इंस्टीट्यूट आफ वैदिक साइंसेज की स्थापना करना चाहते थे सिंहल
अशोक सिंहल जिस रात अस्पताल में भर्ती हुए, उससे कुछ घंटे पूर्व ही करीब आठ बजे उनका फोन मेरे पास आया था। उन्होंने इंस्टीट्यूट आफ वैदिक साइंसेज की स्थापना को लेकर चर्चा की। यह उनकी प्रबल इच्छा थी। वेदों का अध्ययन वह आधुनिक परिवेश में कराने के पक्षधर थे। अब
लखनऊ (प्रो. जीसी त्रिपाठी)। अशोक सिंहल जिस रात अस्पताल में भर्ती हुए, उससे कुछ घंटे पूर्व ही करीब आठ बजे उनका फोन मेरे पास आया था। उन्होंने इंस्टीट्यूट आफ वैदिक साइंसेज की स्थापना को लेकर चर्चा की। यह उनकी प्रबल इच्छा थी। वेदों का अध्ययन वह आधुनिक परिवेश में कराने के पक्षधर थे। अब वह नहीं रहे तो यह हम सभी का कर्तव्य है कि वेद संस्थान के उनके सपने को साकार किया जाए।
मैं जब विद्यार्थी था, तभी से उनसे जुड़ाव था। काशी हिंदू विश्वविद्यालय को वह अपनी मां के रूप में देखते थे। यही कारण है कि मेरे यहां के कुलपति बनने से पूर्व भी जब कभी कहीं चर्चा में बीएचयू का नाम आता तो वह भावुक हो जाते। वह अक्सर कहते कि बीएचयू महामना का एक विग्रह है जिसके टुकड़े करना उचित नहीं है। इस परिसर का सृजन राष्ट्र चिंतन के लिए हुआ है, ऐसा वह मानते थे। सिंहल जी ने बीएचयू से वर्ष 1948 में इंजीनियरिंग की थी। वह सिद्धांत प्रिय, राष्ट्र के लिए समर्पित जन्मजात देशभक्त थे। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर बड़ी संख्या में कार्यकर्ता देश के लिए समर्पित भाव से खड़े हुए। सिंहल जी का निधन संगठन व राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है।
(लेखक काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति हैं।)