Defence Expo 2020: लखनऊ पहुंची 27 विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली सिग्नल रेजीमेंट की डेयर डेविल्स टीम
डिफेंस एक्सपो के लाइव डेमो के लिए शुरू किया अभ्यास लखनऊ पहुंची 27 विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली सिग्नल रेजीमेंट की डेयर डेविल्स टीम।
लखनऊ [निशांत यादव]। दिल थामने वाले हैरतअंगेज प्रदर्शन को भारतीय सेना के जो डेयर डेविल्स आसानी से अंजाम देते हैं। उस प्रदर्शन के लिए सेना के जवान कई प्रक्रिया से होकर गुजरते हैं। मजबूत जिगर, संतुलन साधने की क्षमता और रोजाना क रीब चार घंटे तक बुलेट पर अभ्यास। इन जवानों को डेयर डेविल्स बनाती है। अपने नाम 27 विश्व रिकॉर्ड करने वाली सिग्नल रेजीमेंट की डेयर डेविल्स टीम जबलपुर से लखनऊ पहुंच गई। यह टीम पांच से नौ फरवरी तक वृंदावन योजना में डिफेंस एक्सपो स्थल पर अपनी जांबाजी का प्रदर्शन करेगी। सोमवार को डेयर डेविल्स टीम ने एक्सपो स्थल पर अपना अभ्यास भी शुरू कर दिया है।
सिग्नल रेजीमेंट की डेयर डेविल्स टीम के लिए नए भर्ती हुए जवानों के बीच उनके फिटनेस और जोखिम लेने की क्षमता का टेस्ट होता है। जिसके बाद उनका चयन कर 350 सीसी की बुलेट से उनका अभ्यास शुरू होता है। पहले बुलेट पर संतुलन बनाना और फिर बाद में उसकी गति और नियंत्रण के लिए घंटों अभ्यास कराया जाता है। बुलेट चलाने में दक्ष होने के बाद उनको हैंडल छोड़कर तेज गति से चलाने, आग के जलते गोले के बीच रैंप पर बुलेट को जमीन से करीब तीन फीट ऊंचाई तक उछालने, ट््यूबलाइट की दीवार तोडऩे और 60 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से एक दूसरे को क्रास करने का अभ्यास कराया जाता है। सात बुलेट पर 28 जवानों के मानव पिरामिड में उनको संतुलन का प्रदर्शन करना होता है। करीब दो साल में एक डेयर डेविल्स अपने रोमांचक शो के लिए तैयार हो जाता है।
जान का भी जोखिम
इस हैरतअंगेज करतब के समय जवानों की जान का जोखिम भी रहता है। कोलकाता में डेयर डेविल्स शो के दौरान एक जवान गंभीर रूप से घायल हो गया था।
यह बने हैं विश्व रिकॉर्ड
वैसे तो सिग्नल रेजीमेंट की डेयर डेविल्स टीम के नाम 27 विश्व रिकॉर्ड हैं। लेकिन उनमें कुछ रिकॉर्ड बहुत शानदार हैं।
9 सितंबर 2016 को डेयर डेविल्स के कैप्टन मनप्रीत सिंह ने बुलेट पर खड़े होकर विश्व रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने 75.2 किलोमीटर की दूरी 2:24 घंटे व 12 सेकेंड में तय की। जबकि इसी दिन दूसरा विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए बुलेट की हैंडल पर बैठकर एक जवान ने 1:27 घंटे व 31 सेकेंड तक 46.9 किमी. अपना सफर तय किया था। सबसे बड़ा मानव पिरामिड कैप्टन अभयजीत महलावत के नेतृत्व में बना। करीब 200 मीटर तक 13 बुलेट पर 304 जवानों ने मानव पिरामिड बनाया। वहीं एक बुलेट पर 61 जवान और 15 नवंबर 2019 को हवलदार संग्राम केसरी ने बुलेट में लगी 11 फीट ऊंची सीढ़ी पर बैठकर 4:29 घंटे 45 सेकेंड में 128 किलोमीटर की दूरी तय की थी।