संस्थाओं को नष्ट कर रही थीं पिछली सरकारें: सिद्धार्थनाथ सिंह
पिछली सरकारों की बात करें तो एक-एक कर ऐसी सरकारी संस्थाओं को नष्ट करने का प्रयास किया गया, जिनकी बदौलत पूरी मशीनरी चलती है।
सिद्धार्थनाथ सिंह।
लोकतंत्र में सरकार को पांच साल का समय मिलता है, लेकिन कई बार छह महीने और एक साल में ही सरकार का आकलन होने लगता है। आधा कार्यकाल बीतने के बाद मिड टर्म रिव्यू तो अच्छी बात है पर बहुत शुरुआत में ही आकलन की जल्दबाजी ठीक नहीं है। देखने वाली बात यही है कि छह महीने और एक साल में सरकार अपनी नींव किस तरह डाल रही है।
ध्यान रखना होगा कि सरकार को विरासत में पिछली सरकारों से क्या मिला है। इसीलिए योगी सरकार श्वेत पत्र-2017 लेकर आई। पिछली सरकारों की बात करें तो एक-एक कर ऐसी सरकारी संस्थाओं को नष्ट करने का प्रयास किया गया, जिनकी बदौलत पूरी मशीनरी चलती है। पुलिस में शीर्ष से लेकर दारोगा तक और प्रशासन में एसडीएम स्तर तक व्यवस्था का यादवीकरण कर इन संस्थाओं को तोड़ा गया। डीजीपी से लेकर करीब डेढ़ हजार थानों में 600 से अधिक थानेदार एक ही जाति के बन गए।
लोक सेवा आयोग के चेयरमैन की नियुक्ति योग्यता की बजाए जाति के आधार पर हुई, जबकि आयोग के चयन बोर्ड से भी जाति के आधार पर नियुक्तियां की गईं। इससे भ्रष्टाचार हुआ। हमें अब इसी जमीन पर नई इमारत खड़ी करनी है। जनता को समझना होगा कि ऐसी जमीन पर पहले खोदाई जरूरी है, फिर बेहतर नींव डालने के प्रयास करने होंगे। छह महीने में योगी सरकार ने इसके लिए कई काम किए। साथ ही भविष्य की दिशा तय की गई है। इसमें एक अहम लक्ष्य प्रदेश में निवेश लाने का है, लेकिन बड़े निवेश के लिए प्रदेश में एक खास तरह का ईको सिस्टम चाहिए होगा।
कानून व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए: बड़े निवेश के लिए प्रदेश में कानून व्यवस्था ठीक होनी चाहिए। कुशल श्रम, सड़कें और अस्पताल सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं की ढांचागत व्यवस्था होनी चाहिए। हमने इसके लिए काम शुरू कर दिए हैं। अब तक हालत यह थी कि सड़कों के अलावा एक से दूसरे मंडल में जाने का कोई विकल्प नहीं था। लखनऊ से अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिं में जाना हो तो वाया दिल्ली ही जाना होता था। हम इसके लिए रीजनल एयर कनेक्टिविटी की योजना लेकर आए हैं।
जेवर एयरपोर्ट पर तेजी से काम हो रहा है: 20 सीटर के हवाई जहाज अधिकतम ढाई हजार रुपये तक के टिकट पर प्रदेश के बड़े शहरों के लिए सुलभ यात्र उपलब्ध कराएंगे। प्रदेश की हवाई सेवाओं को देश-विदेश तक जोड़ने के लिए गौतमबुद्ध नगर में जेवर एयरपोर्ट की योजना पर तेजी से काम शुरू किया गया है।
अपराधियों पर कसा जा रहा शिकंजा: कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 500 से अधिक नामी अपराधियों को जेल भेज दिया। 22 कुख्यात अपराधी मुठभेड़ में मार दिए गए, जबकि मुठभेड़ में घायल 100 से अधिक बदमाशों को भी जेल भेज दिया गया है। भ्रष्टाचार की जड़ बने सरकारी ठेकों में ई-टेंडरिंग की व्यवस्था कर धांधली पर रोक लगाई गई, जबकि राज्य कर्मचारियों से जुड़े मामं को बड़ी संख्या में न्यायालय जाने से रोकने से लिए अनेक नियमावलियों में भी संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
बिजली वितरण में भी सुधार: बिजली व्यवस्था में भी लक्ष्य केंद्रित सुधार के कदम उठाए गए हैं जहां आपूर्ति के घंटे बढ़ाए गए हैं, वहीं बड़े पैमाने पर चल रहे अनमीटर्ड कनेक्शनों पर मीटर लगाने का काम भी शुरू कर दिया गया है। प्रदेश में तेजी से सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। सरकारी दफ्तरों में फाइं को आगे बढ़ाने के लिए पैसे देने पड़ते थे। हमने फाइलों को ऑनलाइन लाने के लिए डिजिटाइजेशन शुरू कर दिया है। सचिवालय से इसकी शुरुआत हो रही है।
किसानों की कर्ज माफी बड़ा कदम: किसानों का 36 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया गया तो राजनीतिक टिप्पणियों के साथ अर्थशास्त्रियों ने भी इसे लेकर कई बाते कहीं। जबकि समझना चाहिए कि जो 70 फीसद आबादी गांवों में है, किसान है, उसे विकास से बाहर रख हम कैसे विकास दर बढ़ा सकते हैं। अर्थशास्त्री समग्र विकास की बात तो करते हैं पर ऐसा विकास तो तभी संभव होगा जब गांवों की 70 फीसद आबादी भी विकास की यात्र में शामिल हो और उनके हाथ भी मजबूत हों। ऋणमाफी सिर्फ किसानों की सहायता के लिए नहीं, बल्कि एक मजबूत अर्थव्यवस्था स्थापित करने का निर्णय है। ऋणमाफी के बाद किसान जब फिर से बैंक जाएगा, फसल के लिए ऋण लेगा तो वह भी अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन जाएगा।
शिक्षा पर फोकस: हमारा फोकस खास तौर पर तीन बातों पर है। प्राथमिक शिक्षा सरकार के एजेंडे में है। इसमें सबसे बड़ी बाधा मानव संसाधन की है। जरूरी है कि साक्षरता बढ़े। साक्षरता बढ़ाने के लिए हमें स्कूलों को ऐसा बनाना होगा कि बच्चे स्कूल जाने में प्रसन्नता का अनुभव करें। उन्हें अनुभूति होनी चाहिए कि वे अच्छे लग रहे हैं। पिछली सरकारों ने खाकी यूनीफॉर्म में बच्चों को हवलदार बना दिया था। हमने बच्चों के मनोविज्ञान से जुड़ा निर्णय लेते हुए उनकी स्कूल ड्रेस को प्राइवेट स्कूलों जैसा आकर्षक बनाया। प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने वालों को लेकर भी सख्ती बरती है।
शिक्षा मित्रों से भी सहानुभूति: राज्य सरकार को शिक्षा मित्रों से पूरी सहानुभूति है, लेकिन यह देखा जाना भी जरूरी है कि पढ़ाने वाले की शिक्षा और प्रशिक्षण ठीक से हुआ है या नहीं। इसमें हम कोई समझौता नहीं करेंगे। नीति आयोग ने अपने पहले प्रस्तुतिकरण में ही बताया था कि प्राथमिक स्कूलों में पांचवीं कक्षा तक के करीब 72 फीसद बच्चे दो और दो का जोड़ तक नहीं कर पा रहे हैं। सभी विधायकों से एक-एक प्राथमिक विद्यालय गोद लेने को कहा गया है।
सरकारी डॉक्टरों पर भी सख्ती: अब तक तो सरकारी अस्पताल डॉक्टरों से लेकर पैरा मेडिकल स्टाफ तक की कमी से जूझ रहे थे। पीएचसी-सीएचसी के नाम पर सरकारों ने ऐसी इमारतों के ढांचे खड़े कर दिए, जहां डॉक्टर गायब थे और परिसर में गाय-बकरी बंधी नजर आती थीं। दवा खरीद में भ्रष्टाचार था। ट्रांसफर व पोस्टिंग की नीति नहीं थी। तबादला उद्योग चल रहा था। अब इसे नियंत्रित करना शुरू कर दिया गया है।
दवा खरीद में पारदर्शिता: दवा खरीद में पारदर्शिता के लिए मेडिकल सप्लाइज कारपोरेशन बनाया। स्थानांतरण नीति बनाकर डॉक्टरों का ट्रांसफर मानव संपदा सॉफ्टवेयर के जरिए किया। सीएमओ की तैनाती पहली बार मंत्री की अध्यक्षता में बने पैनल द्वारा इंटरव्यू के जरिये की गई। क सेवा आयोग से जहां वर्ष 2011 से डॉक्टरों का चयन नहीं हो पा रहा था, वहीं भाजपा सरकार ने प्रयास करके इस वर्ष 2065 डॉक्टरों का चयन कराया है। डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए वॉक इन इंटरव्यू के जरिये एक हजार डॉक्टरों की भर्ती भी शुरू कर दी गई है।
स्वच्छता के लिए भी विशेष प्रयास शुरू: शिक्षा और स्वास्थ्य की तरह सरकार ने स्वच्छता के लिए भी विशेष प्रयास शुरू किए हैं। स्वच्छता की राष्ट्रीय सूची में प्रदेश के शहर नीचे से 100 शहरों की सूची में टॉप 10 में शामिल हैं। गंदगी से बीमारियां फैल रही हैं। इसीलिए हमारा लक्ष्य अब अक्टूबर, 2018 तक प्रदेश को खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) बनाने का है।
(लेखक उप्र सरकार के प्रवक्ता व चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री हैं।)