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Shri Ram Mandir : श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का लोगो जारी, जानें- क्या है विशेषता...

Shri Ram Mandir in Ayodhya राम मंदिर निर्माण के लिए गठित श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कोरोना संकट के बावजूद अपने दायित्वों की राह प्रशस्त कर रहा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 07 Apr 2020 10:00 PM (IST)Updated: Thu, 09 Apr 2020 08:33 AM (IST)
Shri Ram Mandir : श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का लोगो जारी, जानें- क्या है विशेषता...
Shri Ram Mandir : श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का लोगो जारी, जानें- क्या है विशेषता...

अयोध्या [रमाशरण अवस्थी]। Shri Ram Mandir in Ayodhya : राम मंदिर निर्माण के लिए गठित श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कोरोना संकट के बावजूद अपने दायित्वों की राह प्रशस्त कर रहा है। इसी क्रम में जहां गत गुरुवार को तीर्थ क्षेत्र ने अपना बैंक खाता सार्वजनिक किया, वहीं मंगलवार को ट्रस्ट का लोगो सामने आया। किसी अन्य संगठन-संस्था के लोगो की तरह यह लोगो भी तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मूल्यों और आदर्शों का परिचायक है।

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लोगो के केंद्र में जहां भगवान राम का सौम्य छवि से युक्त चित्र श्रद्धालुओं को अभय प्रदान करने वाला है, वहीं वलयाकार ऊपरी परिधि पर अंकित श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र लोगो की पहचान पूरी करता है। लोगो में अंकित तीर्थ क्षेत्र के नाम से पूर्व और नाम के समापन पर श्रद्धावनत हनुमान जी का चित्र संयोजित है, जो यह बताता है कि तीर्थ क्षेत्र नख से शिख तक हनुमान जी के आदर्श के अनुरूप और उन्हें ही अपना मार्गदर्शक मानते हुए अपनी भूमिका को अंजाम देगा।

आधार पीठ के रूप में भगवान राम की महत्ता से संबंधित वाल्मीकीय रामायण की यह प्रतिनिधि अर्धावली अंकित है, रामो विग्रहवान धर्म:। भगवान राम और उनकी कथा के गंभीर अध्येता एवं किसान महाविद्यालय-बभनान गोंडा के पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. महाराजदीन पांडेय के अनुसार इस पंक्ति से भगवान राम के अप्रतिम वैशिष्ट्य का मर्म परिलक्षित है और वाल्मीकीय रामायण के अरण्य कांड का यह पूरा श्लोक इस प्रकार है, रामो विग्रहवान धर्म:/ साधु: सत्य पराक्रम:/ राजा सर्वस्य लोकस्य/ देवानामिव वासव:।

डॉ. महाराजदीन पांडेय बताते हैं कि यह श्लोक तब का है, जब रावण राम को दोषी ठहराते हुए मारीच से सीता के अपहरण में सहायता चाहता है। सहायता देने से पूर्व मारीच रावण को भला-बुरा कहता है और इस श्लोक में मारीच राम का वैशिष्टय बयां करता है।

यह सच्चाई श्लोक की शाब्दिक व्याख्या से स्वत: परिभाषित है। इसके अनुसार श्री राम धर्म के मूर्तिमान स्वरूप हैं। वे साधु और सत्य पराक्रमी हैं। जैसे इंद्र समस्त देवताओं के अधिपति हैं, उसी तरह श्री राम भी संपूर्ण जगत के राजा हैं।


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