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लखनऊ के ठाकुरद्वारा में भक्तिमय माहौल, भगवान श्रीकृष्ण की हवेली में बन रहे हैं फूलों से वस्त्र और आभूषण

पुराने लखनऊ में 100 वर्ष से अधिक प्राचीन भगवान श्रीकृष्ण की छह हवेलियां हैं जिसमें सबसे प्राचीन श्री मदनमोहन हवेली है जो चूड़ी वाली गली में है। जहां विधिवत उनकी पूजा अर्चना हवेली के सेवादारों एवं वैष्णवों द्वारा हर दिन की जाती है।

By Vrinda SrivastavaEdited By: Published: Wed, 29 Jun 2022 07:37 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2022 03:28 PM (IST)
लखनऊ के ठाकुरद्वारा में भक्तिमय माहौल, भगवान श्रीकृष्ण की हवेली में बन रहे हैं फूलों से वस्त्र और आभूषण
भगवान श्रीकृष्ण का हो रहा फूलों से श्रृंगार।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। सभी महिलाएं फूलों से कुछ न कुछ तैयार करने में जुटी थीं। रंग-बिरंगे फूल से कोई आसन का कवर बना रहीं थीं तो कोई अन्य वस्त्र। पुराने शहर के ठाकुरद्वारा में इन दिनों अलग सा ही उत्साह है। शाम बाद तो श्रद्धालु भक्ति में डूब जाते हैं। 

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पुराने लखनऊ में 100 वर्ष से अधिक प्राचीन भगवान श्रीकृष्ण जी की छह हवेलियां हैं, जिसमें सबसे प्राचीन श्री मदनमोहन जी की हवेली (मंदिर) है, जो चौक की चूड़ी वाली गली में है। जहां विधिवत उनकी पूजा अर्चना हवेली के सेवादारों एवं वैष्णवों द्वारा हर दिन की जाती है। इन हवेलियों में जो सेवा होती है वो दूसरे मन्दिरों से भिन्न होती है। 

हवेली की देखरेख से जुड़ी रूचि रस्तोगी बताती हैं कि इन हवेलियों में बाहर से बनकर भोग सामाग्री व फूलमाला सेवा में नहीं लायी जाती है। हवेली के प्रांगण में ही सभी भोग सामग्री और फूलों से बनाई गई माला, व वस्त्र और आभूषण तैयार करते हैं। सत्संग घर की करीब पंद्रह से बीस महिलाएं ( वैष्णव) प्रतिदिन शाम को सेवा के लिए हवेली में आती है और फूलों से इन चीजों को तैयार करती हैं।

भगवान श्रीकृष्ण जी के दर्शन (दिनचर्या) को आठ भागों में बांटा गया है और इन सभी भागों को अलग-अलग नाम से बुलाया जाता है जिन्हें मंगला, श्रृंगार, ग्वाल, राजभोग, उथापन, भोग, आरती और  शयन नाम से बुलाया जाता है। सभी दर्शन अपने समयानुसार बीस से पचीस मिनट तक ही खुलते हैं। प्रत्येक ऋतु के हिसाब से भगवान को वस्त्र पहनाए जाते हैं और धातु के आभूषणों के अलावा वैशाख मास से लेकर आषाढ़ मास तक भगवान श्रीकृष्ण फूलघर की सेवादार वैष्णवो के द्वारा बेला के फूलों से बनाए गए वस्त्र व आभूषण पहनते हैं। 

अक्षय तृतीया के दिन से फूलमंडली बनने लगती है जिसका समापन रथयात्रा के एक दिन पहले होता है। इन हवेलियों में फूलमंडली का विशेष महत्व होता है जिसमें वैष्णवों के द्वारा फूलों और फलों से ठाकुर जी के बंगले को सजाया जाता है। मंगलवार को मदनमोहन जी की हवेली में आम का श्रृंगार हो रहा है।


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