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Shravan Maas 2020: जूम एप से होगी महाकाल की भस्म आरती, राशियों के अनुसार ऐसे करें पूजन-होगा लाभ

Shravan Maas 2020 इस बार पडेंगे पांच सोमवार होगा श्रावण मास। कोरोना संक्रमण का दिखेगा असर श्रद्धालु मंदिर में नहीं बजा सकेंगे घंटा।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Fri, 26 Jun 2020 02:47 PM (IST)Updated: Fri, 26 Jun 2020 02:54 PM (IST)
Shravan Maas 2020: जूम एप से होगी महाकाल की भस्म आरती, राशियों के अनुसार ऐसे करें पूजन-होगा लाभ
Shravan Maas 2020: जूम एप से होगी महाकाल की भस्म आरती, राशियों के अनुसार ऐसे करें पूजन-होगा लाभ

लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। Shravan Maas 2020: भगवान शिव की आराधना का श्रावण मास इस बार खास होगा। छह जुलाई सोमवार से शुरुआत और तीन अगस्त सोमवार को समापन होगा। समापन के दिन ही रक्षाबंधन भी पड़ेगा। कोरोना संक्रमण के चलते एक ओर जहां मंदिरों में जयकारे लगाने पर प्रतिबंध होगा तो कुछ मंदिरों की ओर से आरती को फेसबुक व जूत एप से लाइव करने की तैयारी की जा रही है। राजधानी लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर के कपाट भी महंत देव्या गिरि द्वारा आरती के साथ खोला जाएगा, लेकिन शारीरिक दूरी का पालन करना अनिवार्य होगा। 

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एक बार में पांच से ज्यादा को प्रवेश नहीं 

शारीरिक दूरी के साथ ही मुफ्त गंगा जल का वितरण होगा। एक बार में पांच से अधिक श्रद्धालुओं का प्रवेश नहीं होगा। राजेंद्रनगर के महाकाल मंदिर में सोमवार को होने वाली भस्म आरती कोरोना संक्रमण के चलते जूम एप से होगी। संयोजक अतुल मिश्रा ने बताया कि सोमवार को इसका ट्रायल होगा। इसके बाइ श्रद्धालुओं को इसका लिंक दे दिया जाएगा। कोनेश्वर मंदिर के वरिष्ठ सदस्य उत्तम कपूर ने बताया कि सुरक्षा इंतजामों के साथ दर्शन होंगे। सदर के द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर में भी जिला प्रशासन के नियमों के तहत पूजन की कवायद शुरू हो गई है। 

सुरक्षा इंतजामों को लेकर मंथन

बंगलाबाजार के श्री रामजानकी मंदिर, इंद्रेश्वर मंदिर, मौनी बाबा मंदिर व गुलाचिन मंदिर के अलावा सिद्धेश्वर मंदिर, सैसोवीर मंदिर, गोमतेश्वर मंदिर व विन्ध्याचल मंदिर के अलावा शहर के सभी शिव मंदिर में सुरक्षा इंतजामों को लेकर मंथन शुरू हो गया है। बुद्धेश्वर महादेव, स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर, इंदिरानगर भूतनाथ मंदिर, महानगर के सिद्धेश्वर मंदिर, बख्शी का तलाब के मां चंद्रिका देवी मंदिर के चंद्रकेश्वर महादेव मंदिर, कालेश्वर महादेव मंदिर, इटौंजा के रत्नेश्वर महादेव मंदिर, टीकेश्वर महादेव मंदिर के साथ ही सभी छोटे बड़े पर तैयारियों को लेकर मंथन चल रहा है।

श्रावण का खास होता है सोमवार

आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि श्रावण मास में सोमवार को अधिक महत्व होता है। पहले सोमवार को महामायाधारी सदाशिव के स्वरूप का पूजन किया जाता है। इस दिन पूजन करने से लक्ष्मी, नौकरी, व्यापार वृद्धि, ऋण मुक्ति, भौतिक सुख, भवन, वाहन के साथ आर्थिक अनुकूलता प्राप्त होती है। दूसरे सोमवार के पूजन से सुखी गृहस्थ जीवन, पति-पत्नी की प्राप्ति, पारिवारिक कलह से मुक्ति व पितृ दोष का नाश होता है। तीसरा सोमवार अर्द्धनारीश्वर सदाशिव के स्वरूप का पूजन किया जाता है। पूजन से अखंड सौभाग्य, संतान सुख, कन्या विवाह व आकस्मिक धन की होने का योग होता है। चौथा सोमवार तंत्रेश्वर सदाशिव के स्वरूप का पूजन किया जाता है। पूजन से जीवन की बाधाओं का नाश, भविष्य की कठिनाइयों से छुटकारा, अकाल मृत्यु से रक्षा, पूर्ण रोग मुक्ति, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। पाचवां सोमवार को देश व समाज के कल्याण की कामना की जाती है। इस बार कोरोना संक्रमण से छुटकारा की कामना करना श्रेयस्कर होगा।

इसलिए खास है श्रावण मास

आचार्य जितेंद्र शास्त्री ने बताया कि शास्त्रों के मुताबिक, शिव पूजन का यह महीना बेहद खास होता है। श्रावण के महीने में पड़ने वाले सोमवार और मंगलवार का भी विशेष महत्व होता है।इस माह के सोमवार को वन सोमवार भी कहते हैं। मंगलवार को मंगला गौरी के नाम से जाना जाता है। इस दिन मंगल ग्रह के शांति के निमित्त एवं मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा अर्चना एवं व्रत करना उत्तम होता है। पौराणिक कथा के अनुसार जब सनद कुमारों ने महादेव से उनसे श्रावण मास प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योग शक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण लिया था, अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती रूप में हिमालय राज के घर में पुत्री रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के श्रावण मास में निराहार रहकर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया,जिसके बाद से ही महादेव के लिए श्रावण मास विशेष प्रिय हो गया। इस माह पूर्णिमा के दिन श्रवण नक्षत्र विद्यमान होता है, इसकी वजह से इसे श्रावण मास कहते हैं।

 

ऐसे करें पूजन

श्रावण मास में शिव पूजन करने से सभी पापों का नाश हो जाता है। आचार्य राकेश पांडेय ने बताया कि व्रती महिलाएं विशेष कृपा के लिए उनके मन के मुताबिक घरों में पूजन कर सकती हैं। गंगाजल, दूध, शहद, घी, शर्करा, पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। वस्त्र, यज्ञोपवीत, श्वेत और रक्तचन्दन, भस्म, श्वेत मदार, कनेर, बेला, गुलाब के साथ ही बेलपत्र, धतूरा, बेल, भांग व पान अर्पित कर मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करना श्रेयस्कर होता है।

बहनें दिनभर बांध सकेंगी राखी

आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि छह जुलाई को पहला सोमवार पड़ेगा और समापन तीन अगस्त को रक्षा बंधन के दिन पड़ेगा। 13 जुलाई को दूसरा, 20 को तीसरा, 27 को चौथा और तीन अगस्त को अंतिम सोमवार होगा। अंतिम दिन पूजन के साथ बहने भाइयों की रक्षा के लिए राखी भी बांधेंगी। सुबह 9:27 से रात्रि 9 :11 बजे तक बंधन का शुभ मुहूर्त है। दोपहर 1:45 से शाम 4:23 बजे तक और प्रदोष काल 7:01 से 9 :11 बजे तक राखी बांधना विशेष फलदायी हगा। आचार्य ने बताया कि श्रावण में राशियों के अनुसार पूजन का विधान है।

राशियों के अनुसार करें पूजन 

  • मेष - शिवजी को लाल चंदन और लाल फूल चढ़ाना चाहिए, नागेश्वराय नम: का जप करना चाहिए।
  • वृष - शिवजी को चमेली का फूल चढ़ाकर रूद्राष्टक का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
  • मिथुन - शिवजी को धतूरा, भांग चढ़ाकर पंचाक्षरी स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।
  • कर्क - शिवजी का भांग मिश्रित दूध से अभिषेक करना श्रेयष्कर होगा।
  • सिंह- शिव जी को कनेर के फूल अर्पित करने के साथ शिव चालीसा का पाठ करे।
  • कन्या - शिव जी को बेलपत्र धतूरा, भांग आदि चढ़ाए और पंचाक्षरी मंत्र का जप करें।
  • तुला-श्रद्धालु मिश्रित दूध से शिवलिंग का अभिषेक करते हुए शिव सहस्त्रनाथ स्त्रोत का पाठ करें।
  • वृश्चिक- शिवजी को गुलाब का फूल और बेलपत्र चढ़ाए व रूद्राष्टक का पाठ करें।
  • धनु- शिव जी को पीले फूल चढ़ाएं व खीर का भोग लगाए और तांडव स्त्रोत का पाठ करें।
  • मकर - शिवजी को धतूरा भांग, बेलपत्र, कमल का फूल, चढ़ाने के साथ गौरी का पाठ करें।
  • कुंभ - शिवजी का गन्ने व शहद से अभिषेक करें, पंचक्षरी मंत्र का जाप करें।
  • मीन - शिवजी को पंचामृत व पीले फूल और सफेद चंदन की माला अर्पित करें और पंचाक्षरी का पाठ करें।

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