ढांचा ध्वंस के 53वें गवाह ने सुनीं, आडवाणी, सिंहल और उमा की आवाजें
अयोध्या विवादित ढांचा विध्वंस मामले में आज रायबरेली की सीबीआइ ने अयोध्या निवासी सैयद एखलाख अहमद को विशेष अदालत में पेश किया। गवाह ने अदालत से कहा कि घटना के वक्त छह दिसंबर, 1992 को वह घर पर था। विवादित स्थल घर से 150 गज की दूरी पर है। तीन-चार
लखनऊ। अयोध्या विवादित ढांचा विध्वंस मामले में आज रायबरेली की सीबीआइ ने अयोध्या निवासी सैयद एखलाख अहमद को विशेष अदालत में पेश किया। गवाह ने अदालत से कहा कि घटना के वक्त छह दिसंबर, 1992 को वह घर पर था। विवादित स्थल घर से 150 गज की दूरी पर है। तीन-चार दिन पहले से हजारों का मजमा लग गया था। यह भीड़ कारसेवक के नाम से जानी जाती थी। लोग नारे लगा रहे थे। घटना के दिन कारसेवकों की जबर्दस्त भीड़ थी। भाजपा व विहिप नेता लालकृष्ण आडवाणी, अशोक ङ्क्षसहल और उमा भारती आदि की आवाजें मेरे घर तक लाउडस्पीकर से सुनाई पड़ रही थी।
गवाह ने अदालत को बताया कि घर से मंच दिखाई नहीं दे रहा था। विवादित ढांचा 12 बजे दिन से तोड़ा जाने लगा और रात बारह बजे तक समतलीकरण का कार्य चलता रहा। लोग भाले, गैती व रस्सी लेकर जाते दिखाई दे रहे थे। उसने बताया कि एक सप्ताह पहले से चारो ओर तंबू-कनात लग गए थे। उनके अंदर कौन लोग थे इसकी जानकारी नहीं थी। छह दिसंबर को विवादित स्थल के चारो ओर बैरीकेङ्क्षडग लग गई थी। सुबह से ही भजन-कीर्तन व मंत्रोच्चारण हो रहे थे। घटना के बाद जांच अधिकारी मेरे घर आए थे। जांच स्थल का मेरे सामने नक्शा नहीं तैयार किया था। जिरह के लिए समय न बचने पर न्यायालय ने 21 नवंबर की तारीख दी है। बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता विमल श्रीवास्तव, शासकीय अधिवक्ता पूर्णेंद्र चक्रवर्ती व बाबरी एक्शन कमेटी की ओर से अधिवक्ता एमएम हक मौजूद थे।