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महागठबंधन को नया विकल्प देने की कोशिश में शिवपाल, मजबूत होने लगा मोर्चा

समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का गठन करने के बाद शिवपाल सिंह यादव ने इसे मजबूत करने की कोशिशें तेज कर दी हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 08:53 PM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 07:39 AM (IST)
महागठबंधन को नया विकल्प देने की कोशिश में शिवपाल, मजबूत होने लगा मोर्चा
महागठबंधन को नया विकल्प देने की कोशिश में शिवपाल, मजबूत होने लगा मोर्चा

लखनऊ [हरिशंकर मिश्र]। समाजवादी सेक्युलर मोर्चा गठन के बाद शिवपाल सिंह यादव ने इसे मजबूत करने की कोशिशें तेज कर दी हैं। सपा में उपेक्षित नेताओं का खुलकर सहयोग मिलने से अब उनका प्रयास विपक्षी महागठबंधन में खुद को नए विकल्प के रूप में पेश करने का है। इस बीच पूर्व विधायक मलिक कमाल यूसुफ और रघुराज शाक्य के उनके साथ आने से मोर्चा मजबूत हुआ है। जल्द ही पूर्व विधायक शिव प्रताप शुक्ल और शादाब फातिमा के भी मोर्चा में शामिल होने के आसार हैं। दोनों की गिनती शिवपाल के करीबियों में होती है। 

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संपर्क में सपा के प्रभावशाली लोग

बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के समझौता प्रस्ताव को खारिज करने के बाद शिवपाल ने पूरी ताकत मोर्चा को खड़ा करने में लगा दी है। इसके लिए वह सपा में अपने करीबी सभी प्रभावशाली लोगों के संपर्क में हैं। उनका मोर्चा दूसरे दलों में हाशिये पर चल रहे लोगों को भी एक मंच के रूप में नजर आने लगा है। इसीलिए मुलायम के करीबी रहे डुमरियागंज के पांच बार के विधायक और मंत्री रहे मलिक कमाल यूसुफ ने बसपा छोड़ शिवपाल का हाथ थामा है। अब मुस्लिम बहुल डुमरियागंज में चुनाव का तीसरा कोण स्पष्ट नजर आने लगा है।

पूर्वांचल के नेताओं का बड़ा खेमा 

इसी तरह शिवपाल के करीबी पूर्व विधायक रघुराज सिंह शाक्य भी सपा के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में सेंधमारी करने में सक्षम माने जाते हैं। वैसे सपा के किसी विधायक ने अभी खुलकर शिवपाल के समर्थन का एलान नहीं किया है लेकिन, चुनाव आने तक इनमें भी टूट की आशंका जताई जा रही है। सरोजनीनगर से विधायक रह चुके शिव प्रताप शुक्ल और जहूराबाद की पूर्व विधायक शादाब फातिमा तो कभी भी मोर्चा में दस्तक दे सकती हैं। पूर्वांचल में शिवपाल के करीबी रहे कई सपाइयों के भी जल्द ही मोर्चा के साथ जुडऩे के आसार हैं। 

शिवपाल के दोनों हाथ में लड्डू

शिवपाल सिंह यादव दोनों तरफ अपना हित साधने के समीकरण बना रहे हैं। एक तरफ सपा संस्थापक और अपने बड़े भाई मुलायम सिंह पर दबाव बनाकर अपने समर्थकों के लिए सपा में हिस्सेदारी की रणनीति के तहत काम कर रहे हैं और दूसरी तरफ वह अपना संगठन बनाकर संभावित महागठबंधन में मोर्चा बनने का विकल्प बन रहे हैं। उनकी कोशिश सपा व अन्य दलों के बागियों को लेकर प्रस्तावित महागठबंधन की महत्वपूर्ण कड़ी बसपा का ध्यान खींचने की है। मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों में मोर्चा यदि मजबूत दिखा तो बसपा को शिवपाल में लाभ दिख सकता है। वह कांग्रेस को साथ लेकर नई बिसात बिछा सकती है। इससे बसपा को सपा की तुलना में अधिक सीटों का लाभ होगा। फिलहाल भाजपा की भी निगाह शिवपाल पर है। शिवपाल की मजबूती में उसे अपना फायदा भी दिख रहा है। 


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