अखिलेश के व्यवहार की कमी से शिवपाल का विद्रोहः भाजपा प्रदेश अध्यक्ष
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय ने अपने कार्यकाल का एक वर्ष पूरा कर लिया। सुबह से ही उन्हें बधाइयों का तांता लगा रहा।
लखनऊ (जेएनएन)। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय ने अपने कार्यकाल का एक वर्ष पूरा कर लिया। सुबह से ही उन्हें बधाइयों का तांता लगा रहा। इस एक वर्ष में गोरखपुर, फूलपुर, कैराना और नूरपुर उपचुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा तो निकाय और सहकारिता चुनाव में पार्टी ने जीत का परचम भी लहराया। डॉ. पांडेय कहते हैं कि 'उप चुनाव सरकार बनाने के लिए नहीं हुए थे लेकिन, 2019 का चुनाव प्रधानमंत्री बनाने के लिए होगा। उत्तर प्रदेश की जनता फिर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाएगी।'
भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद डॉ. पांडेय ने संगठन के सभी रिक्त पदों को भरने के साथ ही मोर्चा, प्रकोष्ठ, विभाग और प्रकल्प का भी गठन किया। संगठन के लिए यह बड़ी उपलब्धि है क्योंकि दो-दो ढाई वर्ष तक कई मोर्चे और प्रकोष्ठ पूरी तरह गठित नहीं हो सके थे। चुनौतियों के बारे में सवाल हुए तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बेफिक्र नजर आए। बोले, निकाय और सहकारिता के चुनाव जीते और अब लोकसभा की 74 से ज्यादा सीटें जीतेंगे। समाजवादी पार्टी में अंतद्र्वंद्व और शिवपाल सिंह यादव के विद्रोह के पीछे भाजपा की भूमिका पर सवाल उठते ही डॉ. महेंद्र ने कहा कि 'यह भाजपा का विषय नहीं है। शिवपाल जनाधार वाले नेता हैं। अखिलेश यादव ने विरासत में पार्टी हथिया ली और जमीनी नेता शिवपाल को किनारे लगा दिया। शिवपाल के इस तेवर की वजह तो अखिलेश का व्यवहार है। अखिलेश के व्यवहार की कमी में भाजपा कहां दोषी है।'
सांसद अमर सिंह की प्रासंगिकता पर उनका कहना था कि 'अमर सिंह एक शख्सियत हैं। उनको इसी रूप में लेते हैं। अगर वह भाजपा के पक्ष में बोल रहे तो उसे ग्रहण करने में हमें क्या आपत्ति हो सकती है।' डॉ. पांडेय से यह सवाल हुआ कि बूथों को सपा, बसपा, कांग्रेस मुक्त करने का नारा देकर क्या भाजपा विपक्षविहीन राजनीति को प्राथमिकता दे रही है? उन्होंने कहा कि 'मैं लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास रखता हूं। विपक्ष लोकतंत्र का श्रृंगार है और लोकतंत्र में असहमति होनी चाहिए। हां, यह जरूर है कि सपा, बसपा और कांग्रेस के जो अच्छे कार्यकर्ता हैं, उन्हें हम जोड़ेंगे क्योंकि विपक्ष भटकाव की ओर है। जिन वर्गों को लुभाकर उन लोगों ने अपने जनाधार बनाए, उनकी बेहतरी के लिए हमारी सरकार काम कर रही है।' उन्होंने सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर के विद्रोही तेवर पर कहा कि उन्होंने 2024 तक हमारे घटक का हिस्सा बने रहने का बयान दिया है, उसका स्वागत होना चाहिए। विधायकों और कार्यकर्ताओं की अनुशासनहीनता पर उन्होंने कहा कि पूरी पार्टी एकजुटता के साथ खड़ी है। इतने सांसद और विधायकों की पार्टी में सब कुछ सजा-संवरा है। कहीं कोई छिटपुट बात है तो उसे भी दुरुस्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संगठन और सरकार में तालमेल है और प्रमाणिक कार्यकर्ताओं का संगठन और सरकार में समायोजन हो रहा है।