योगी आदित्यनाथ से मिलकर शिवपाल बोले, 10 गुना बढ़ गया भ्रष्टाचार
सपा नेता शिवपाल सिंह यादव समाजवादी कुनबे की कलह में हाशिए पर आ गये थे लेकिन अब वह मुख्य धारा में लौटने लगे हैं।
लखनऊ (जेएनएन)। पूर्व मंत्री एवं सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव समाजवादी कुनबे की कलह में हाशिए पर आ गये थे लेकिन, अब वह मुख्य धारा में लौटने लगे हैं। गुरुवार को शिवपाल ने एनेक्सी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की तो राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। उनके हर कदम पर संभावनाओं और अटकलों का बाजार गर्म हो जाता है। ऐसा हुआ भी लेकिन, शिवपाल ने मुलाकात के बाद दो टूक कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से प्रदेश की खराब कानून-व्यवस्था और बढ़ते भ्रष्टाचार की शिकायत की है।
शिवपाल को लेकर यह बात उठती रही है कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। समय-समय पर उन्होंने इसका खंडन भी किया है।
कानून-व्यवस्था की शिकायत करने गया था
गुरुवार को जब उनके एनेक्सी जाकर मुख्यमंत्री से मिलने की सूचना फैली तो सबसे पहले यही कयास लगा लेकिन, शिवपाल ने बाहर निकलते ही कहा कि मैं तो क्षेत्र की समस्याओं और कानून-व्यवस्था की शिकायत करने गया था। कहा कि जसवंतनगर और इटावा की कई घटनाओं का मैंने हवाला भी दिया है। मुख्यमंत्री ने इन पर कार्रवाई का भरोसा दिया है। शिवपाल ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की बात करने वाली भाजपा के शासन में भ्रष्टाचार 10 गुना बढ़ गया है। थानों से लेकर तहसीलों तक में लूट मची है। हर जगह लोगों को सताया जा रहा है। प्रदेश में जहां भी जाता हूं लोग यही शिकायत करते हैं। अगर किसी मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है तो पुलिस बहुतों से पैसा वसूल लेती है। बिना पैसे के कहीं कोई काम नहीं हो रहा है। सपा सरकार ने राजस्व संहिता लागू की थी। अब तो दाखिल-खारिज होने में भी तीन से छह माह लग जा रहे हैं। एक से दूसरी मेज पर फाइल तभी जाती है जब संबंधित को पैसा मिल जाता है।
शिवपाल को सरकार पर बोलने का नैतिक हक नहीं : भाजपा
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चंद्र श्रीवास्तव ने पलटवार करते हुए कहा कि शिवपाल सिंह यादव को सपा सरकार के दामन में झांकना चाहिए। सपा सरकार में भ्रष्टाचार नहीं, महाभ्रष्टाचार हुआ। खनिज घोटाले से लेकर नौकरी घोटाला जगजाहिर है। गुंडाराज और बदहाल कानून-व्यवस्था के चलते बुरी तरह उनकी सरकार गिर गई। प्रवक्ता ने कहा कि शिवपाल को भाजपा सरकार पर बोलने का हक नहीं है।