बाबरी विध्वंस के 26 वर्ष : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर शिवसेना ने किया हवन
हजरतगंज स्थित हनुमान मंदिर के पास राम मंदिर निर्माण को लेकर किया गया हवन।
लखनऊ, जेएनएन। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर गुरुवार को हजरतगंज स्थित हनुमान मंदिर के पास शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने हवन आैर पूजा की। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने जमकर राम मंदिर के जयकारे लगाए। उधर, बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का गुट भी जमा हुआ। बैनर तले हाथ में भाला रूपी शस्त्र लिए कार्यकर्ताओं ने राम मंदिर निर्माण को लेकर आवाज बुलंद की है।
अलर्ट मोड पर पुलिस
गौरतलब हो कि राम मंदिर के निर्माण को लेकर लोग पूजा-पाठ कर रहें हैं। कहीं पोस्टर तो कहीं बैनर लगाकर राम मंदिर निर्माण का आवाहन किया जा रहा है। प्रदेश भर में हलचल बनी हुई है। दूसरी तरफ अयोध्या में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं , वहीं राजधानी लखनऊ की शांति भंग न हो इसके लिए पुलिस अल्र्ट मोड़ पर है।
लखीमपुर में बाइक रैली-पैदल मार्च
जिले में हिंदू समाज पार्टी और शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने अलग-अलग शौर्य दिवस मनाया। इस मौके पर हिंदू समाज पार्टी ने बाइक रैली और शिवसेना ने पैदल मार्च किया। उधर, बजरंग दल और विहिप ने संयुक्त सभा शहीद नसीरुद्दीन मैदान में की। बजरंग दल और विहीप पदाधिकारियों ने इस दौरान मंदिर निर्माण का संकल्प भी लिया।
राम मंदिर मुद्दे को लेकर क्यों खास है 6 दिसंबर
- विवाद की शुरुआत वर्ष 1987 में हुई। वर्ष 1940 से पहले मुसलमान इस मस्जिद को मस्जिद-ए-जन्मस्थान कहते थे, इस बात के भी प्रमाण मिले हैं। वर्ष 1947 में भारत सरकार ने मुस्लिम समुदाय को विवादित स्थल से दूर रहने के आदेश दिए और मस्जिद के मुख्य द्वार पर ताला डाल दिया गया, जबकि हिंदू श्रद्धालुओं को एक अलग जगह से प्रवेश दिया जाता रहा।
- विश्व हिंदू परिषद ने वर्ष 1984 में मंदिर की जमीन को वापस लेने और दोबारा मंदिर का निर्माण कराने को एक अभियान शुरू किया।
- वर्ष 1989 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि विवादित स्थल के मुख्य द्वारों को खोल देना चाहिए और इस जगह को हमेशा के लिए हिंदुओं को दे देना चाहिए। साप्रदायिक ज्वाला तब भड़की जब विवादित स्थल पर स्थित मस्जिद को नुकसान पहुंचाया गया। जब भारत सरकार के आदेश के अनुसार इस स्थल पर नए मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तब मुसलमानों के विरोध ने सामुदायिक गुस्से का रूप लेना शुरू कर दिया।
- 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के साथ ही यह मुद्दा साप्रदायिक हिंसा और नफरत का रूप लेकर पूरे देश में फैल गया। देश भर में हुए दंगों में दो हजार से अधिक लोग मारे गए। मस्जिद विध्वंस के 10 दिन बाद मामले की जाच के लिए लिब्रहान आयोग का गठन किया गया।
- वर्ष 2003 में हाईकोर्ट के आदेश पर भारतीय पुरात्ताव विभाग ने विवादित स्थल पर 12 मार्च 2003 से 7 अगस्त 2003 तक खुदाई की जिसमें एक प्राचीन मंदिर के प्रमाण मिले। वर्ष 2003 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में 574 पेज की नक्शों और समस्त साक्ष्यों सहित एक रिपोर्ट पेश की गयी।