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बुद्धिजीवियों से मुकाबले का साहस न कर सके शारदा प्रताप

तीन माह पहले स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री बनने के बाद उच्च शिक्षा महकमा संभालने वाले शारदा प्रताप शुक्ला आज बुद्धिजीवियों से मुकाबले का साहस नहीं जुटा सके।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 27 Sep 2016 11:02 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2016 11:13 PM (IST)
बुद्धिजीवियों से मुकाबले का साहस न कर सके शारदा प्रताप

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। तीन माह पहले स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री बनने के बाद उच्च शिक्षा महकमा संभालने वाले शारदा प्रताप शुक्ला आज बुद्धिजीवियों से मुकाबले का साहस नहीं जुटा सके। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कुलपति फोरम में राज्यपाल ने सूबे में उच्च शिक्षा की व्यवस्था पर तमाम सवाल उठा दिये तो मंत्री की हिम्मत टूट गयी। प्रदेश भर से जुटे कुलपतियों व शिक्षाविदों का सामना करने के लिए दो केंद्रीय मंत्री यहां पहुंच गए किन्तु राज्य के मंत्री नहीं आ पाए।

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कुलपति फोरम में प्रदेश भर से कुलपति, महाविद्यालयों के प्राचार्य व शिक्षक आदि आए थे। फोरम में प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) शारदा प्रताप शुक्ल को करना था। वह दिन भर न सिर्फ राजधानी में बल्कि, बापू भवन स्थित अपने कार्यालय में भी बैठे रहे किन्तु बुद्धिजीवियों का सामना करने का साहस न कर सके। दरअसल, कार्यक्रम का उद्घाटन कुलाधिपति व राज्यपाल राम नाईक ने किया था। इस दौरान उन्होंने तमाम मूलभूत सवाल उठाए थे। अन्य सत्रों में भी वक्ताओं को बुद्धिजीवियों के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा था। बताया गया कि शारदा प्रताप ने अपना एक नुमाइंदा भेजकर माहौल पता किया। राज्यपाल द्वारा तमाम सवाल उठाए जाने की बात सामने आने पर शारदा प्रताप की हिम्मत टूट गयी। उन्हें इस फोरम में प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व करना था। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर कोच्चि से मुंबई होते हुए कार्यक्रम में पहुंचे और उनके सहयोगी राज्य मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय भी आ गए। इन लोगों ने उच्च शिक्षा क्षेत्र में केंद्र सरकार की योजनाओं, उपलब्धियों का ब्यौरा देने के साथ शैक्षिक क्षेत्र की समस्याओं का समाधान भी किया। प्रदेश सरकार को लेकर शिक्षाविदों ने तमाम सवाल उठाए लेकिन उनका जवाब देने के लिए राज्य सरकार के नुमाइंदे के रूप में आने का वादा करने वाले शारदा प्रताप आए ही नहीं। इसको लेकर चर्चा रही कि चुनाव में भाषण देना अलग बात है, पढ़े-लिखों का सामना करने सबके बस की बात नहीं है। उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक महासंघ (फुफुक्टा) के प्रदेश महामंत्री डॉ.विवेक द्विवेदी ने कहा कि कार्यक्रम में प्रदेश भर से जुटे शिक्षाविदों ने उच्च शिक्षा क्षेत्र की समस्याएं उठाईं। उच्च शिक्षा मंत्री शारदा प्रताप शुक्ल में इन समस्याओं का सामना करने का साहस ही नहीं था। उच्च शिक्षा क्षेत्र से जुड़े तमाम मामले शासन स्तर पर लंबित हैं, जिनका समाधान मंत्री नहीं करा पा रहे हैं। वह जानते थे कि वे शिक्षाविदों के सवालों का जवाब नहीं दे पाएंगे, इसीलिए नहीं आए।


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