UP CM योगी आदित्यनाथ की शक्ति पूजा, शक्ति पीठ से ‘मिशन शक्ति’ की शुरुआत मील का पत्थर साबित
महिला सशक्तीकरण की दिशा में बीते सप्ताह सरकार की एक और पहल चर्चा में रही। निजी कालेज या शिक्षण संस्थान में किसी परिवार की दो या दो से अधिक सगी बहनें साथ पढ़ती हैं तो अब उनमें से एक बहन की फीस माफ की जाएगी।
लखनऊ, राजू मिश्र। कुछ वर्षो में महिला सशक्तीकरण का विषय राजनीति और समाज की सतह पर प्रमुखता से विचरता रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए यह विशेष अर्थ रखता है। तीन तलाक का मामला हो या लव जिहाद का, मुख्यमंत्री बनने से पहले भी योगी आदित्यनाथ इन विषयों के प्रति मुखर रहे हैं।
समाजवादी पार्टी की सरकार पर राजनीतिक हमले के प्रमुख हथियारों में महिला सुरक्षा का विषय प्रमुख रहा है। भाजपा के सत्ता में आने के बाद कानून-व्यवस्था का मसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एजेंडे में जहां सबसे ऊपर रहा, वहीं महिला सुरक्षा इसका पैमाना बन गई। इस दिशा में गत वर्ष शारदीय नवरात्र के प्रथम दिवस को बलरामपुर जिले में स्थित शक्ति पीठ से ‘मिशन शक्ति’ की शुरुआत मील का पत्थर माना जाता है। अब इसमें एक नया अध्याय जुड़ गया है।
पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री ने ‘मिशन शक्ति’ के तहत स्वावलंबन के नए अध्याय की शुरुआत की। बुधवार को मिशन शक्ति के तीसरे चरण के अंतर्गत मुख्यमंत्री ने ‘निर्भया : एक पहल’ अभियान का शुभारंभ किया। इस शुरुआत के कई अर्थ और संदर्भ हैं। इसके अंतर्गत महिलाओं के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गई। अब इस प्रशिक्षण के बाद महिलाओं को अपना उद्यम शुरू करने के लिए सरकार तीन माह के अंदर ऋण भी दिलाएगी।
लक्ष्य है कि प्रदेश के प्रत्येक जिले में एक-एक हजार महिलाओं को उद्यमी बनाने में सरकार की ओर से सहयोग उपलब्ध कराया जाए। इसमें मुख्य भूमिका सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग (एमएसएमई) विभाग कौ सौंपी गई है। संबंधित वेबसाइट का भी लोकार्पण किया गया। 75 हजार महिलाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण किट दी गई है। प्रशिक्षण में प्रतिभागी महिलाओं को केंद्र और राज्य सरकार की ओर से महिलाओं के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं के बारे में जानकारी देने के साथ इनका लाभ उठाने के तौर तरीके बताए गए। सरकार महिलाओं को उद्यम लगाने के लिए पूंजी की व्यवस्था इन्हीं योजनाओं के माध्यम से कराएगी।
पिछले वर्ष जब मिशन शक्ति की शुरुआत की गई तो इसे शारदीय नवरात्र से लेकर वासंतिक नवरात्र तक छह माह की अवधि में चलाने की मंशा थी। इसके अंतर्गत महिलाओं को सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन की राह दिखानी थी। सबसे पहले सुरक्षित परिवेश तैयार करना, फिर सम्मान के साथ जीवन जीने का आत्मबल जुटाना और अंत में स्वावलंबन की राह पर चलने के लिए महिलाओं को प्रेरित करना था। करीब दो दर्जन विभागों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई कि वह मिशन शक्ति को मुख्यमंत्री योगी की मंशा के अनुरूप स्वरूप दें।
पहले चरण में प्रदेश भर के 1535 पुलिस थानों में महिला हेल्प डेस्क गठित की गई। इसके पीछे उद्देश्य यह था कि महिलाएं निर्भय होकर थानों तक अपनी पीड़ा व शिकायत लेकर पहुंचें। हेल्प डेस्क में अधिकारी व सिपाही सभी महिलाएं तैनात की गईं, ताकि महिलाएं अपनी बात नि:संकोच कह सकें। स्कूलों में आत्मरक्षा (सेल्फ डिफेंस) के प्रशिक्षण दिए गए। शिक्षा के जरिये सम्मानपूर्ण जीवन जीने का लक्ष्य हासिल करने और स्वयं को सशक्त बनाने का प्रयोग किया गया। अब इसी कड़ी में उन्हें स्वावलंबन की ओर मोड़ने की पहल की गई।
विशेष बात यह है कि इस मिशन के लिए अलग से किसी बजट की व्यवस्था करने के बजाय शासन ने उपलब्ध संसाधनों की ही उचित उपयोग की नीति अपनाई गई और इसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं। उदाहरण के लिए दिल्ली की घटना के बाद बने निर्भया फंड का पिछली सरकारों ने कोई उपयोग नहीं किया। अब इस अभियान में महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए इसी फंड का इस्तेमाल किया जा रहा है। अभियान अब 31 दिसंबर तक चलेगा।
महिला शिक्षा की एक और पहल : सरकार की मंशा है कि इसकी पहल निजी शिक्षण संस्थान स्वयं करें। इसके लिए सरकार उन्हें प्रेरित करेगी। यदि शिक्षण संस्थान स्वप्रेरणा से यह काम नहीं करेंगे तो सरकार इस शुल्क की प्रतिपूर्ति करेगी। इस शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए महिला कल्याण, समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण सहित इसी तरह के संबंधित अन्य विभागों को निर्देशित किया गया है।