डायबिटीज मरीजों के शुगर पर अब हर दस मिनट पर रहेगी नजर, एसजीपीजीआइ ने आसान की निगरानी
एसजीपीजीआइ के एंडोक्राइनोलाजिस्ट प्रो. सुशील गुप्ता द्वारा विकसित कंटीन्यूअस ग्लूकोज मानिटरिंग सिस्टम शुगर पर हर पल रखेगा नजर। इस कारण उन मरीजों के लिए हालात बदतर नहीं बनेंगे जो अचानक से शुगर के घटने-बढऩे की वजह से बड़े जोखिम में फंस जाते हैं।
लखनऊ, [कुमार संजय]। तमाम तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझने वाले शुगर के मरीजों की मुश्किलें अनियमित शुगर लेवल के कारण और बढ़ जाती हैं। दरअसल, कुछ मरीजों में शुगर के स्तर में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है और अचानक होने वाले इस बदलाव से शरीर को तालमेल बैठाने में मुश्किल आ जाती है। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) ने इस मुश्किल का एक कारगर हल निकाला है। इससे मरीज के शुगर लेवल की नियमित निगरानी काफी आसान हो जाएगी। इस कारण उन मरीजों के लिए हालात बदतर नहीं बनेंगे, जो अचानक से शुगर के घटने-बढऩे की वजह से बड़े जोखिम में फंस जाते हैं, जिसमें कभी-कभी मरीज की जान पर भी बन आती है।
इससे जुड़ी समस्या का समाधान निकाला है एसजीपीजीआइ के एंडोक्राइनोलाजिस्ट प्रो. सुशील गुप्ता ने, जिन्होंने कंटीन्यूअस ग्लूकोज मानिटरिंग सिस्टम पेश किया है। इसके माध्यम से मरीज के शुगर लेवल की 15 से 20 मिनट के अंतराल पर पड़ताल होती रहती है। इसमें एक निडिल लगी चिप को त्वचा में चिपका दिया जाता है। इससे डिजिटल प्रारूप में रिकार्ड मिलता है। उसी के आधार पर आगे के उपचार की दशा-दिशा तय होती है।
चिप की विशेषताओं के विषय में प्रो. सुशील का कहना है कि इस सिस्टम में त्वचा में स्थित इंटेस्टियल द्रव में मौजूद शुगर की निगरानी होती है। वहीं, चिप से जुड़ी छोटी निडिल सेंसर के रूप में काम करती है। प्रो. सुशील गुप्ता ने बताया कि रक्त या इंटेस्टियल द्रव में शुगर का स्तर बराबर होता है। लिहाजा, इसकी माप में किसी गड़बड़ी की आशंका नहीं है।
यह चिप खासतौर से टाइप-वन डायबिटीज के मरीजों के अलावा इंसुलिन पर आश्रित उन लोगों के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगी, जिनके शुगर लेवल में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। बताया जा रहा है कि हर महीने कम से कम 10 से 15 मरीजों के लिए इस मानिटरिंग की जरूरत पड़ रही है।