PGI ने खोज निकाला, गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर का कारण, मिले चौंकाने वाले तथ्य Lucknow News
पीजीआइ लखनऊ के डॉक्टरों ने खोजा गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप का विशेष कारण। 1.4 फीसद गर्भवती क्रॉनिक हाइपरटेंशन की शिकार।
लखनऊ [कुमार संजय]। गर्भावस्था के दौरान क्रॉनिक हाइपरटेंशन के जटिल कारणों का पता लगाने में संजय गांधी पीजीआइ के मैटर्नल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ विभाग के विशेषज्ञों ने कामयाबी हासिल की है। विशेषज्ञों ने इन कारणों से मां और शिशु को होने वाली परेशानी से बचने के उपाय भी बताए हैं।
विभाग ने 4,635 गर्भवती महिलाओं को देखा, जो हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के साथ आई थीं। इनमें से 7.6 फीसद में प्रीक्लेम्पसिया ( उच्च रक्तचाप) की परेशानी थीं। 1.4 फीसद में क्रॉनिक हाइपरटेंशन की परेशानी थीं। कारण पता करने के लिए कई तरह की जांच के बाद पता चला कि इनमें से 45 फीसद क्रॉनिक किडनी डिजीज, 30 फीसद टाकायासू आर्थराइिटस, 15 फीसद में पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज के अलावा फीयोक्रोमोसाइटोमा सहित अन्य परेशानियां थीं।
विभाग की प्रो. संगीता यादव, प्रो. नीता सिंह, डॉ. श्रुति जैन और प्रो. मंदाकिनी प्रधान ने 'आइडेंटिफिकेशन एंड मैनेजमेंट ऑफ रेयर कॉज ऑफ क्रॉनिक हाइपरटेंशन इन प्रेग्नेंसी' विषय पर शोध किया। इसे इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल प्रेग्नेंसी हाइपरटेंशन ने स्वीकार किया है।
मां और शिशु दोनों के लिए खतरनाक
गर्भावस्था के दौरान रक्तचाप बढऩे की परेशानी की आशंका हर 12वीं गर्भवती महिला में होती है। सही समय पर इलाज होने पर 2.6 फीसद गर्भवती महिला की मौत हो जाती है। 16.9 फीसद मृत शिशु के जन्म की आशंका रहती है।
हाई रिस्क ग्रुप
- गर्भ में एक से ज्यादा बच्चे होने पर
- 20 वर्ष से कम उम्र की गर्भवती महिलाएं
- 40 वर्ष से अधिक उम्र की गर्भवती महिलाएं
- उच्च रक्तचाप या गुर्दे की बीमारियों और बीएमआइ (बॉडी मास इंडेक्स) 30 से अधिक होने पर
- अधिक वजन वाली महिलाएं
बचाव के लिए जारी हुई गाइडलाइन
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने गाइडलाइन जारी की है, जिसके अनुसार गर्भावस्था के 16 सप्ताह, 24-28 सप्ताह, 32 सप्ताह और 36 सप्ताह में कम से कम चार एंटीनैटल विजिट के लिए जाना चाहिए।