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Positive India: डोनर नहीं आ पा रहे तो डॉक्टर खुद करने लगे Blood Donation

Blood Donation कैंसर और थैलेसीमिया मरीजों के लिए एसजीपीजीआइ के डॉक्टरों ने किया रक्तदान देशभर के चिकित्सा संस्थानों को संदेश।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 09 Apr 2020 09:02 AM (IST)Updated: Thu, 09 Apr 2020 09:02 AM (IST)
Positive India: डोनर नहीं आ पा रहे तो डॉक्टर खुद करने लगे Blood Donation
Positive India: डोनर नहीं आ पा रहे तो डॉक्टर खुद करने लगे Blood Donation

लखनऊ [कुमार संजय]। Blood Donation शोध और चिकित्सा क्षेत्र में विश्व स्तरीय उपलब्धियों के लिए प्रख्यात लखनऊ का संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) अक्सर व्यवहार और कार्यशैली संबंधी उदाहरण भी स्थापित करता है। लॉकडाउन के कारण संस्थान के ब्लड बैंक में रक्त के अभाव को देखते हुए यहां के डॉक्टर खुद रक्तदान कर रहे हैं। यहां भर्ती कैंसर और थैलेसीमिया मरीजों के लिए रक्त की जरूरत है जिसे पूरा करने के लिए संस्थान के पांच डॉक्टरों ने रक्तदान किया। 

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संस्थान के कई अन्य डॉक्टरों ने आवश्यकता पड़ने पर रक्तदान करने की इच्छा जताई है। एसजीपीजीआइ में उप्र के अलावा आसपास के राज्यों से भी कैंसर और थैलेसीमिया के गंभीर मरीज भर्ती होते हैं जिनके लिए काफी मात्र में रक्त की जरूरत पड़ती है। यह जरूरत स्वैच्छिक और रिप्लेसमेंट रक्तदाताओं के जरिये पूरी होती है। गत 24 मार्च से लॉकडाउन के कारण रक्तदाता पीजीआइ नहीं पहुंच पा रहे। इस कारण संस्थान के ब्लड बैंक में रक्त की कमी हो गई है। इसका प्रभाव गंभीर मरीजों के इलाज पर पड़ रहा है। संस्थान में ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के प्रो. अतुल सोनकर और प्रो. राहुल ने बताया कि रक्त की कमी को पूरा करने के लिए कई स्तरों पर कोशिश की जा रही है। कुछ स्वैच्छिक रक्त दाताओं को पास बनवा कर भेजे गए जिनमें कुछ लोगों ने आकर रक्तदान किया। इससे 400 यूनिट रक्त का स्टाक हो गया है।

इन चिकित्सकों ने किया रक्तदान

बुधवार को न्यूओटोलाजिस्ट प्रोफेसर अमित केसरी, न्यूरो सर्जन प्रोफेसर कमलेश सिंह बैसवार, न्यूरोसर्जन प्रोफेसर कुंतल कांति दास, पैथोलाजी के प्रोफेसर राघवेंद्र और ट्रामा सेंटर के मैक्सीफेशियल सर्जनप्रोफेसर कुलदीप ने रक्त दान किया।

कैंपस के आसपास रहने वालों से की अपील

प्रो. अमित का कहना है कि हम लोगों ने संदेश देने की कोशिश की है कि जो लोग कैंपस में या आसपास रहते है, वे आगे आकर रक्त दान करें जिससे भर्ती मरीजों को खून की कमी न पड़े। ब्लड कैंसर, कैंसर, थैलेसीमिया के आलावा डायलसिस पर चल रहे किडनी मरीजों के आलावा अन्य विभागों में भर्ती मरीजों को खून की जरूरत पड़ती है। यह ऐसा प्राकृतिक तत्व है जो केवल मनुष्य से ही मिल सकता है। प्रो. कमलेश और प्रो. कुतंल कांति कहते हैं कि दूर से लोग नहीं आ सकते।


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