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दिल के दगा देने से पहले ही चल जाएगा पता, PGI में ऐसेे होगा इलाज Lucknow News

एसजीपीजीआइ में हार्ट अटैक के खतरे का पता लगाकर इलाज संभव। मरीज पर सफल प्रयोग घबराहट की जांच कराने पर निकला दिल में ब्लॉकेज।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 22 Jul 2019 10:26 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 09:06 AM (IST)
दिल के दगा देने से पहले ही चल जाएगा पता, PGI में ऐसेे होगा इलाज Lucknow News
दिल के दगा देने से पहले ही चल जाएगा पता, PGI में ऐसेे होगा इलाज Lucknow News

लखनऊ, (कुमार संजय)। जिंदगी की भागमभाग और तनाव के बीच हमारे दिल पर जोर लगातार बढ़ रहा है। यही कारण है, इसके दगा देने के मामले भी बढ़ रहे हैं। हार्ट अटैक होने पर कुछ मामलों में जान बचाने तक का मौका नहीं मिलता। कुछ में जिंदगी बच भी जाती है, मगर दिल के दौरे की संभावना उम्रभर बनी रहती है। लखनऊ स्थिति संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) में गंभीर होते इस मर्ज का रास्ता खोजा गया है। कुछ इस तरह ताकि दिल के दगा देने से पहले उसकी हरकत का पता चल जाए।

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दरअसल, बस्ती निवासी 40 वर्षीय विपिन शुक्ला को लंबे समय से घबराहट की परेशानी थी, जबकि सात से आठ किमी चलने पर कोई दिक्कत नहीं होती थी। सीढ़ी भी चढ़ते थे। घबराहट की जांच के लिए वह पीजीआइ के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. सुदीप के पास आए। ईसीजी सहित कुछ जांचें हुईं, वजह पता नहीं चली। इस पर प्रो. सुदीप ने मायोकार्डियल परफ्यूजन इमेजिंग (एमपीआइ) जांच कराई। उसमें दिल की परेशानी के कुछ संकेत मिले। एंजियोग्राफी की तो दिल की एक रक्त वाहिका में रुकावट मिली, जिसे स्टेंट लगाकर दूर कर दिया। अब उन्हें हार्टअटैक की संभावना खत्म हो गई है। प्रो. सुदीप की मानें तो हार्ट अटैक के बाद इलाज सामान्य प्रक्रिया है, मगर आशंका का पहले पता लगाकर दिल दुरुस्त करने से भविष्य की चिंता खत्म हो जाती है। 

एमपीआइ और पेट स्कैन खोलता दिल के राज

न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. एस. गंभीर के मुताबिक, मायोकार्डियल परफ्यूजन जांच में हम मीबी नाम की आइसोटोपिक दवा इजेंक्ट करते है। ऐसा करने के कुछ देर बाद गामा कैमरे में दिल की मांसपेशियों की हलचल देखते हैं। फिर मरीज का स्ट्रेस (दौड़ाकर) देखते हैं कि कहीं मेहनत के दौरान रक्त प्रवाह तो कम नहीं हो रहा। यदि रक्त प्रवाह कम है तो कहीं रुकावट है। इसके अलावा पेट (पॉजीट्रान इमेशन टोमोग्राफी) के जरिए भी पता लगाया जा सकता है कि दिल के किस हिस्से में कितना रक्त प्रवाह है। यह बेहद संवेदनशील जांच होती है।


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