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PGI की नई उपलब्‍ध‍ि : TB बैक्टीरिया का पता लगाने को खोजा नया तरीका lucknow news

डॉ.शशिकांत ने बताया कि टी सेल रिस्पांस स्टडी से 97 फीसद तक छिपे बैक्टीरिया का पता लगाकर समय पर इलाज शुरू कर संक्रमण से बचाया जा सकता है।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Wed, 28 Aug 2019 09:03 PM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 07:54 AM (IST)
PGI की नई उपलब्‍ध‍ि : TB बैक्टीरिया का पता लगाने को खोजा नया तरीका lucknow news
PGI की नई उपलब्‍ध‍ि : TB बैक्टीरिया का पता लगाने को खोजा नया तरीका lucknow news

लखनऊ, (कुमार संजय)। संजय गांधी पीजीआइ के क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग के डॉ.सुब्रत आर्य और डॉ.शशिकांत कुमार ने शरीर में छिपे टीबी बैक्टीरिया का पता लगाने के लिए नई तकनीक इजाद की है। सिनर्जी विटविन ट्यूबरकुलीन स्किन टेस्ट एंड प्रोलीफरेटिव टी सेल रिस्पांस नाम से शोध किया है। इस तकनीक में रक्त के टी सेल का रिस्पांस देखा जाता है। 

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इस तकनीक को स्थापित करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि सामान्य हेल्थ वर्कर और टीबी के मरीजों में शोध किया गया। शोध में रक्त को लेकर उसमें टीबी बैक्टीरिया के बाहरी सतह के प्रोटीन को मिलाकर पांच दिन के लिए कल्चर किया गया। इसके बाद टी सेल में कितना बदलाव हुआ इसका अध्ययन फ्लो साइटोमेट्री तकनीक से किया तो देखा कि जिनमें बैक्टीरिया छिपा था उनके  टी सेल में अधिक बदलाव (प्रोलीफरेशन) हुआ।

डॉ.शशिकांत ने बताया कि अभी तक शरीर में बैक्टीरिया छिपे होने का पता लगाने के लिए पीपीडी (मांटेक्स) टेस्ट किया जाता है, लेकिन इससे केवल 50 से 60 फीसद लोगों में छिपे संक्रमण का पता ही लगता है, जबकि टी सेल रिस्पांस स्टडी से 97 फीसद तक छिपे बैक्टीरिया का पता लगाकर समय पर इलाज शुरू कर समाज को संक्रमण से बचाया जा सकता है। शोध में पल्मोनरी मेडिसिन के प्रमुख प्रो. आलोक नाथ, फिजिशियन डॉ.प्रेरणा कपूर, क्लीनिकल इम्यूनोलाजिस्ट प्रो. अमिता अग्रवाल और डॉ. सुधीर सिन्हा के निर्देशन में हुए शोध को प्लॉस इंटरनेशनल जरनल ने स्वीकार किया है।

इस विषय पर अभी तक विश्व में कोई शोध रिपोर्ट प्रकाशित नहीं हुई है। हमारे देश में टीबी के मरीज अधिक हैं। हर व्यक्ति में टीबी का बैक्टीरिया छिपा है। देखा गया है कि शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर होने के साथ 10 फीसद से अधिक लोगों में दो से पांच साल में बीमारी के लक्षण आने लगते है। इस शोध से लक्षण आने से पहले इलाज कर अंगों को बचाया जा सकता है।


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