सप्त नदियों के देश में भी पानी की तलाश, बूंद-बूंद को मोहताज महोबा
कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां सौ फीट गहराई के बाद पानी मिल रहा है। किसान के सामने जो दिक्कतें मौजूदा समय में हैं, विकराल हैं ही, आगे समय इससे भी भयावह हो सकता है।
महोबा (जेएनएन)। बारिश तो कभी सूखा। लगता है कुदरत ही बुंदेली किसानों से रूठी है। बुंदेलखंड का जलस्तर लगातार नीचे खिसकता गया। हालात ये हैं कि सप्त नदियों वाले देश में पानी की तलाश करनी पड़ रही है। क्षेत्र मे पानी के संसाधन तो जुटा लिये गए लेकिन, वे कारण कोई नहीं तलाश सका जहां से समस्या शुरू हुई।
ऐसा नहीं कि जिले में बांध, नहरें, पोखर, तालाब कम हैं। यहां ऐतिहासिक बेहर व चंदेल शासनकाल के विशाल सरोवर भी हैं। फिर भी जिला गर्मी में बूंद-बूंद पानी को मोहताज है। कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां सौ फीट गहराई के बाद पानी मिल रहा है। किसान के सामने जो दिक्कतें मौजूदा समय में हैं, विकराल हैं ही, आगे समय इससे भी भयावह हो सकता है।
बांधों का जलस्तर देखकर प्रशासन भी आशंकित है। सिंचाई व्यवस्था के लिए निकली नहरों का पानी आठ माह पहले ही रोक दिया गया था। नहरों पर आश्रित रहने वाली खेती इस बार परती ही पड़ी रही। मंजर इतना भयावह है कि खेतों में बेबसी की धूल उड़ रही है। तपती धूप में खेत चटक गए हैं और अस्तित्व बचाने को सदानीरा नदियां कराह रही हैं।
बीते वर्षों में हुई बारिश का औसत
2017 : 450 मिलीमीटर
2016 : 800 मिलीमीटर
2015 : 410 मिलीमीटर
2014 : 600 मिलीमीटर
2013 : 810 मिलीमीटर
2012 : 510 मिलीमीटर
2011 : 610 मिलीमीटर
17 साल में तीन बार ही भर सकें बांध
जिले में वर्ष 2003, 2013, 2016 में पर्याप्त बारिश हुई थी। बीते 17 साल के अंदर इन तीन वर्षों में ही जिले के पांचों बाधों में पानी आ सका था। वर्ष 2006, 2007, 2015 और अब 2017-18 में सूखा पड़ गया।
डार्क जोन ब्लाक
जल निगम के सहायक अभियंता संदेश सिंह ने बताया कि महोबा में पनवाड़ी और जैतपुर अति दोहित क्षेत्र हैं। यहां पानी का खिचाव अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक है। वैसे तो चारों ब्लाक डार्क जोन घोषित हैं। इसमें कबरई, चरखारी ब्लाक शामिल हैं।
30 फीट तक नीचे खिसका पानी
पनवाड़ी ब्लाक के इमिलिया, घुटई, थलौरा, दादरी, भुजपुरा, अमानपुरा, बदरौनी, कुनाहटा, चक्का, पांतर सहित सैकड़ों गांव हैं जहां जल स्तर 60 फीट हुआ करता था। वर्तमान में 90 फीट तक पहुंच गया है। दादरी के किसान शंभू का कहना है कि एक साल पहले तक 60 फीट पर आसानी से पानी उपलब्ध हो जाता था।