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कुनबे की एकजुटता की कोशिश में जुटे सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव पर नरम नहीं पड़ रहे शिवपाल यादव

लोकसभा चुनाव 2019 में मिली करारी शिकस्त के बाद यादव कुनबे में एकजुटता के प्रयास को कामयाबी मिलती नहीं दिखायी दे रही है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 10 Jun 2019 12:00 AM (IST)Updated: Mon, 10 Jun 2019 08:31 AM (IST)
कुनबे की एकजुटता की कोशिश में जुटे सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव पर नरम नहीं पड़ रहे शिवपाल यादव
कुनबे की एकजुटता की कोशिश में जुटे सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव पर नरम नहीं पड़ रहे शिवपाल यादव

लखनऊ, जेएनएन। लोकसभा चुनाव 2019 में मिली करारी शिकस्त के बाद यादव कुनबे में एकजुटता के प्रयास को कामयाबी मिलती नहीं दिखायी दे रही है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की कोशिशों के बावजूद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख शिवपाल यादव अभी बैकफुट पर आने का तैयार नहीं हैं। शिवपाल सोमवार से लोकसभा चुनाव नतीजों की समीक्षा के साथ उपचुनाव की तैयारी भी शुरू कर देंगे।

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समीक्षा बैठकें चार दिन चलेंगी। सोमवार को लोकसभा प्रत्याशी और मंडल प्रभारियों को बुलाया गया है। मंगलवार को जिला व शहर अध्यक्षों के साथ उपाध्यक्ष एवं प्रमुख महामंत्री भी बुलाये गए हैं। बुधवार 12 जून को फ्रंटल संगठनों के प्रांतीय पदाधिकारियों की बैठक होगी और 13 जून को प्रदेश कार्यकारिणी उपचुनाव की रणनीति तय करने के साथ संगठन विस्तार की कार्ययोजना भी तैयार करेगी। प्रसपा प्रवक्ता दीपक मिश्रा का कहना है कि गठबंधन की राजनीति फेल साबित होने के बाद जनता की निगाहें प्रसपा की ओर लगी हैं। खुद प्रसपा सुप्रीमो शिवपाल यादव भी समाजवादी पार्टी में घर वापसी की चर्चा को विराम लगा चुके हैं।

पुराने समाजवादियों की एकजुटता चाह रहे मुलायम

लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन औंधे मुंह गिरने के बाद से समाजवादी नेताओं को एक मंच पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रमुख नेताओं से अलग अलग वार्ता में मुलायम सिंह यादव पुराने कार्यकर्ताओं को एक मंच पर लाकर भाजपा का विकल्प तैयार करने की इच्छा जता चुके हैं। तर्क दिया जा रहा है कि भाजपा को रोकने का दम केवल सपा में है, बसपा कभी अकेले विकल्प नहीं बन सकती है। वर्ष 2007 जैसी स्थिति फिर बन पाना संभव नहीं है, क्योंकि बसपा से पिछड़ों व अतिपिछड़ों का मोह भंग हो चुका है और मुस्लिमों की पहली पंसद आज भी समाजवादी पार्टी ही है। ऐसी स्थिति में लोहिया और चौधरी चरण सिंह के अनुयायियों को एक मंच पर आसानी से लाया जा सकता है।

रामगोपाल को लेकर सवाल

यादव कुनबे में फिर एकता को लेकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) की ओर से सपा महासचिव रामगोपाल की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। प्रसपा समर्थकों का कहना है कि रामगोपाल के रहते एकजुटता मुश्किल है। सूत्र बताते हैं कि कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिश जारी है परंतु शिवपाल समर्थक रामगोपाल के रहते वापसी के मूड में कतई नहीं हैं।

शिवपाल ने अटकलों पर लगाया था विराम

पिछले दिनों प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने सपा में वापसी को लेकर जारी सभी अटकलों पर विराम लगा दिया था। उन्होंने कहा था कि अब हमारा फोकस पार्टी के विस्तार और उसे बढ़ाने पर है। पत्रकारों के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि सपा में वापसी का कोई इरादा नहीं है, परिवार के बीच कोई गिला शिकवा नहीं है। इस तरह की सभी बातें बेबुनियाद हैं। हमारा फोकस पार्टी के विस्तार पर है। आने वाले चुनावों के लिए अभी से तैयारी की रूपरेखा बनाई जाएगी और उसी पर काम किया जाएगा।

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