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जीएसटी के लिए वाणिज्य कर विभाग तीन महीने तक नहीं करेगा छापेमारी

वाणिज्य कर विभाग अब शासक की बजाय मित्र की भूमिका में नजर आएगा। तीन महीने तक वाणिज्य कर के अधिकारी न तो किसी की जांच करेंगे और न ही कहीं छापा डालेंगे।

By Ashish MishraEdited By: Published: Thu, 29 Jun 2017 01:09 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jun 2017 01:09 PM (IST)
जीएसटी के लिए वाणिज्य कर विभाग तीन महीने तक नहीं करेगा छापेमारी
जीएसटी के लिए वाणिज्य कर विभाग तीन महीने तक नहीं करेगा छापेमारी

लखनऊ (जेएनएन)। वैट और सर्विस टैक्स सहित कुल 15 टैक्स छोड़ कर जीएसटी की राह पकडऩे में घबरा रहे कारोबारियों को चिंतामुक्त करने और उनका हौसला बढ़ाने के लिए वाणिज्य कर विभाग अब शासक की बजाय मित्र की भूमिका में नजर आएगा। तीन महीने तक वाणिज्य कर के अधिकारी न तो किसी की जांच करेंगे और न ही कहीं छापा डालेंगे। इतना ही नहीं, जीएसटी लागू होने के बाद जो पहला रिटर्न 20 जुलाई तक फाइल करना था, उसके लिए भी दो महीने की छूट है। यानी पहला रिटर्न अब 20 सितंबर तक दाखिल करना होगा।

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गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में जीएसटी पर वाणिज्य कर विभाग की ओर से बुधवार को आयोजित मेगा जीएसटी सेमिनार में वाणिज्य कर आयुक्त मुकेश मेश्राम ने इन घोषणाओं से व्यापारियों का तनाव दूर करने का प्रयास किया। व्यापारियों ने भी जोरदार तालियों से रियायतों का स्वागत किया। उन्होंने व्यापारियों को आश्वस्त किया कि जीएसटी के आवेदन या रजिस्ट्रेशन में कोई कमी होने पर भी किसी को कारोबार से रोका नहीं जाएगा। मेश्राम ने कहा कि तीन महीनों में यदि विभाग का कोई अधिकारी पहुंचे तो सूचना दें, उस पर कार्रवाई की जाएगी।

हर जिले-जोन में होगा फ्री इंटरनेट
जीएसटी में रजिस्ट्रेशन के लिए वाणिज्य कर विभाग हर जिले में पांच और हर जोन में 10 कंप्यूटर लगाने जा रहा है। व्यापारियों को सिर्फ एक बार इस केंद्र में आना होगा और यहीं से उनका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा। इन केंद्रों में फ्री इंटरनेट या फ्री वाई-फाई की व्यवस्था रहेगी। सुबह आठ से रात आठ बजे तक विभाग के दो अधिकारी भी यहां मौजूद रहेंगे। इन केंद्रों में दो-दो अधिकारियों की ड्यूटी सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक और दोपहर दो से रात आठ बजे तक रहेगी। इन अधिकारियों के नाम व मोबाइल नंबर भी विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे।

छह लाख का पंजीकरण
मुकेश मेश्राम ने बताया कि प्रदेश के करीब आठ लाख व्यापारियों और डेढ़ लाख सेवा क्षेत्र के कारोबारियों में से अब तक छह लाख ने जीएसटी में पंजीकरण करा लिया है। आठ लाख में से सवा तीन लाख व्यापारियों का टर्नओवर 20 लाख से कम होने के कारण वे जीएसटी में पंजीकरण के दायरे से बाहर हैैं, जबकि पौने तीन लाख व्यापारी 20 से 75 लाख रुपये के टर्नओवर के बीच होने के कारण कंपोजीशन श्रेणी में आ जाएंगे।

बाकी बचे व्यापारियों में से सिर्फ पांच फीसद यानी करीब 10 हजार व्यापारियों का ही साल में एक बार एसेसमेंट होगा, जबकि बाकी व्यापारियों का रिटर्न मान लिया जाएगा। एसेसमेंट वाले व्यापारियों का चुनाव भी कंप्यूटर से रैैंडम आधार पर होगा। आयुक्त ने बताया कि 10 हजार व्यापारियों के एसेसमेंट के लिए विभाग में दो हजार अधिकारी हैैं, इसलिए काम सहजता से होगा।

नहीं सस्ता रहेगा चीन का सामान
कम दाम की बदौलत भारतीय बाजार पर कब्जा जमा चुके चीनी उत्पाद भी जीएसटी लागू होने के बाद उपेक्षित नजर आएंगे। जैसे राज्य के लिए स्टेट जीएसटी और केंद्र के लिए सेंट्रल जीएसटी है, वैसे ही विदेश से आने वाले सामान पर आइ जीएसटी यानी इंटरनेशनल जीएसटी लगेगा। इससे चीनी उत्पाद भी भारतीय उत्पादों की मूल्य श्रेणी में आ जाएंगे और कीमत से मात खा रहे भारतीय उत्पाद भी चल पड़ेंगे।

पहली जुलाई को मनेगा जीएसटी दिवस
प्रदेश सरकार पहली जुलाई को जीएसटी दिवस मनाएगी। वाणिज्य कर आयुक्त ने बताया कि इस दिन सुबह सभी जिलों में आयोजन होंगे, जबकि शाम को डॉ.राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय में होने वाले भव्य आयोजन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व अन्य मंत्री शामिल होंगे। इसी शाम दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में होने वाले आयोजन का सीधा प्रसारण भी लखनऊ के कार्यक्रम में नजर आएगा।

व्यापारियों ने पूछे सवाल
वाणिज्य कर विभाग के मेगा सेमिनार में व्यापारियों ने अपनी शंकाएं भी अधिकारियों के सामने रखीं। कुछ के सवाल मूल व्यवस्थाओं से जुड़े थे कि माइग्रेशन कैसे होगा, वे-बिल का क्या प्राविधान होगा, 30 जून के स्टॉक को कैसे संभालेंगे या अपंजीकृत व्यापारी से खरीद कैसे करेंगे तो कई व्यापारियों ने अपने ट्रेड के बारे में जानकारी ली। स्टेशनरी पर कर मुक्त से लेकर 28 फीसद तक की दरें होने या होटल के कमरों के किराए को लेकर सवाल पूछे गए।

विशेषज्ञों ने उनके सवालों के जवाब दिए और बताया कि जीएसटी में सिर्फ दो तरह के इनवायस चलेंगे। एक कर मुक्त या कंपोजीशन श्रेणी का और दूसरा टैक्स के लिए होगा। इसका कोई प्रोफार्मा नहीं है, लेकिन इनवायस में 16 सूचनाओं का होना जरूरी है। इस मौके पर व्यापारियों ने एक झटके में वैट के पुराने मामले खत्म करने की मांग रखी, जिस पर आयुक्त ने विचार करने का आश्वासन दिया।

वाणिज्य कर आयुक्त की विवादास्पद टिप्पणी

आयुक्त ने ऑनलाइन प्रक्रिया को लेकर व्यापारियों का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि जो वॉट्सएप चला लेता है, वह जीएसटी भी चला लेगा। हालांकि सेवा क्षेत्र में कर चोरी पर बोलते हुए आयुक्त बहक गए और ब्यूटी पार्लर के व्यवसाय को लेकर महिलाओं पर विवादास्पद टिप्पणी कर बैठे। मेश्राम बोले, ब्यूटी पार्लर से निकलने के बाद भी पत्नी वही ओरिजनल वाली रहती है, लेकिन लीपापोती के नाम पर दस-पांच हजार रुपये ले लिए जाते हैं।
 


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