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World Museum Day 2020: इतिहास पर चढ़ा आधुनिकता का रंग, घर बैठे देखें म्यूजियम

World Museum Day 2020 डिजिटल प्रदर्शनी में दिखेगी पुरातन काल की सभ्यता।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 18 May 2020 12:44 PM (IST)Updated: Mon, 18 May 2020 05:01 PM (IST)
World Museum Day 2020: इतिहास पर चढ़ा आधुनिकता का रंग, घर बैठे देखें म्यूजियम
World Museum Day 2020: इतिहास पर चढ़ा आधुनिकता का रंग, घर बैठे देखें म्यूजियम

लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। World Museum Day 2020: भारतीय कला और संस्कृति का अपना अलग स्थान रहा है। कलाकृतियों के इतिहास पर गाैर करें तो ऐसे कई सशक्त उदाहरण हमारी समृद्ध कला को प्रदर्शित करती हैं। सोमवार को होने वाले अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर राज्य संग्रहालय में पहली बार कला कृतियों की डिजिटल प्रदर्शनी लगाई जा रही है। कोरोना संक्रमण से आम लोगों केा बचाने और लॉकडाउन का पालन करने की मंशा के अनुरूप यह प्रयास किया गया। दिवस के सहारे हम आपको राजधानी के धार्मिक पौराणिक संग्रहालयों के बारे में बताएंगे जो हमारी कला और धार्मिक संस्कृति और क्रिया कलाप की परिचायक है। 

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इसलिए मनाया जाता है दिवस

संयुक्त राष्ट्र ने संग्रहालय की विशेषता एवं महत्व को समझते हुए 18 मई 1983 में अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाने का निर्णय लिया था। इसका उद्देश्य था कि जनसामान्य में संग्रहालयों के प्रति जागरूकता तथा उनके कार्यकलापों के बारे में जन जागृति फैले। इसके बाद से हर वर्ष 18 मई को यह दिवस मनाया जाता है।

 

यूट्यूब पर दिखेगा राज्य संग्रहालय

नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान परिसर में स्थापित राज्य संग्रहालय में लॉकडाउन के चलते आप भले ही न जा पाएं, लेकिन आपको संग्रहालय यूट्यूब पर नजर आएगा। लॉकडाउन के चलते संग्रहालय प्रशासन की ओर से दर्शकों को घर बैठे संग्रहालय की सैर कराने का निर्णय लिया है। यूट्यूब पर ही नहीं संग्रहालय के फेसबुक पेज पर भी लाइव प्रदर्शनी नजर आएगी। राज्य संग्रहालय‌ की उत्कृष्ट प्रस्तर कलाकृतियों के छायाचित्रों के साथ ही द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर के पूर्व मध्यकाल तक के उत्कृष्ट प्रस्तर आव अवलोकन ऑनलाइन किया जा सकता है। संग्रहालय के निदेशक डॉ. आनंद कुमार सिंह ने बताया कि पहले दर्शक जिसमें किसान से लेकर विद्वान तक संग्रहालय भ्रमण के द्वारा यहां रखी हुई विशिष्ट कलाकृतियों को देखने के लिए संग्रहालय तक आते थे परंतु अब वह समय आ गया है की विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस माहौल में अब संग्रहालय अपनी विशिष्ट कलाकृतियों को लेकर अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से आम जनमानस तक पहुंचे, जिससे  लोगों में भारत के गौरवशाली अतीत से परिचित होने के साथ साथ संग्रहालय में रखे इन उत्कृष्ट प्रदर्शों को देखने की अभिलाषा एवं आकांक्षा उत्पन्न हो। दर्शक घर में रहकर संग्रहालय की कलाकृतियों का अवलोकन कर सकते हैं।

 

गुरुमत संग्रहालय में दिखती है गुरु की महिमा

सिख समाज के सभी 10 गुरुओं की जीवनी गुरुद्वारों में स्थापित गुरुमत संग्रहालय में नजर आती है। गुरुद्वारा नाका हिंडोला में स्थापित गुरुओं के चित्र उनकी बहादुरी और समर्पण का दास्तां बयां करते हैं। लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा ने बताया कि आने वाले समय में युवाओं को गुरु और सिख योद्धाओं की जानकारी देने के लिए इसकी स्थापना की गई है। गुरुद्वारा मानसरोवर कानपुर रोड में भी 26 चित्रों के माध्यम से गुरु की महिमा का बखान किया गया है। अध्यक्ष संपूर्ण सिंह बग्गा ने बताया कि गुरुद्वारे में प्रकाश के साथ ही संग्रहालय में भी प्रकाश किया जाता है।

 

हस्तलिखित गुरु ग्रंथ साहिब

गुरुद्वारा यहियागंज के अध्यक्ष डॉ.गुरमीत सिंह ने बताया कि सिखों के नवें गुरु तेग बहादुर गुरुद्वारा यहियागंज में 1670 में आए थे और तीन दिन तक रुके थे। इसके बाद 1672 में 10वें गुरु गोविंद सिंह साहिब का आगमन हुआ था। वह माता गुजरी और मामा कृपाल चंद जी के साथ छह वर्ष की आयु में यहां आए थे। दो माह 13 दिन यहां रुके थे। उनके द्वारा हस्तलिखित पवित्र हुक्मनामा और हस्ताक्षर युक्त गुरु ग्रथ साहिब गुरुद्वारे में संग्रहालय के रूप में स्थापित है।

 

भक्ति का हनुमत संग्रहालय

कलियुग के एक मात्र जाग्रत देव पवन सुत हनुमान के हजारों स्वरूपों को अपने आंचल में समेट हनुमत संग्रहालय भी भक्ति का संचार करता है। जीबी चेरीटेबल ट्रस्ट के सुनील गोम्बर द्वारा इंदिरानगर में स्थापित संग्रहालय में पांच हजार से अधिक स्वरूप और सात हजार से अधिक उनके प्रतीक विविध कलाकृतियों में स्थापित है। लॉकडाउन में फेसबुक और वॉट्सएप ग्रुप के माध्यम से तस्वीरों को शेयर करते हैं।

घर को ही बना दिया संग्रहालय

बजरंग बली के प्रति ऐसी श्रद्धा और भक्ति चढ़ी कि पान की दुकान चलाने वाले चौक के केके चौरसिया ने भी अपने घर में को ही हनुमत संग्रहालय बना दिया। बान वाली गली में स्थापित संग्रहलाय में स्थापित केसरीनंदन के जितने भी स्वरूप हैं, उन्होंने अपने हाथों से ही बनाया है। छह हजार से अधिक हनुमान जी के प्रतीक होने के कारण संग्रहालय का नाम इंडिया बुक और लिम्बा बुक ऑफ रकॉर्ड्स में दर्ज हो चुका है। लॉकडाउन में ऑनलाइन फोटो शेयर करेंगे।

वर्चुअल संग्रहालय समय की मांग

आधुनिकता के इस दौर में डिजिटल के बगैर सबकुछ बेमानी लगता है। सदियों पुरानी धरोहरों को संजोए रखना और अभिलेखों को संरक्षित करना जब एक बड़ी चुनौती है तो इसमे हम वर्चुअल संग्रहालय की ओर जा सकते हैं। इससे पुरानी धरोहर को बचाया जा सकता है। विदेशों में काफी पहले इसकी पहल शुरू हो गई है। देश के कई हिस्सोें में भी डिजिटल का दौर चल रहा है। राजधानी स्थित राज्य संग्रहालय ने 18 मई से ऑनलाइन प्रदर्शनी लगाकर इसकी शुरुआत की है। इंडियन नेशनल ट्रस्ट ऑफ ऑर्ट एंड कल्चर हेरीटेज- इंटेक- के प्रदेश प्रमुख जयंत कृष्णा ने बताया कि पुराने दस्तावेजों को संवारने और धरोहरों को संरक्षित करने का कार्य चल रहा है। राजधानी में पिक्चर गैलरी और नगर निगम दस्तावेजों को संरक्षित करने की पहल शुरू हुई है। इनटेक का सीधे आम लोगों से जुड़ाव कम है, लेकिन इंटेक की साइट पर और क्षेत्रीय फेसबुक पेज पर इंटेक की गतिविधियों को हम घर बैठे देख सकते हैं। उन्होंने बताया कि विश्व के कई संग्रहालय ऑनलाइन हैं और उनके द्वारा लगी प्रदर्शनी भी आप कहीं से भी घर बैठे देख सकते हैं। दिल्ली स्थित रेलवे के संग्रहालय के साथ कोलकाता, हैदराबाद में संग्रहालय ऑनलाइन की ओर से बढ़ चुके हैं। प्रदेश में आगरा के ताज महल में स्थापित संग्रहालय विश्व के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है। वाराणसी व इलाहाबाद के अलावा राजधानी के राज्य संग्रहालय में डिजिटल की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी है। इंटेक की ओर से वाराणसी में कुछ पार्ट को संवारने की पहल की गई है, लेकिन वर्चुअल के क्षेत्र में अभी बहुत कुछ करना बाकी है।

अभिलेखों को संरक्षित करने की बढ़ेगी की भूमिका

इंटेक की बात करें तो भारतीय परंपराओं और मूल्यों को बताने वाले दस्तावेजों को संवारने और संरक्षण में अपनी भागीदारी बढ़ा रहा है। यूपी हेड जयंत कृष्णा बताते हैं कि समय के साथ बदलाव जरूरी है। वह किसी भी क्षेत्र में है। प्रदेश की बात करें तो ऐसे कई ऐतिहासिक प्रतीक हैं जो समय के साथ अपनी यादों को समेटे हुए हैं। संग्रहालय में संरक्षित करने में इंटेक की भूमिका बढ़ी है। राजधानी के साथ ही वाराणसी में भी काम काम चल रहा है।


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