आइएसआइएस : बरेली के एक मौलाना पर खुफिया नजर
झुमका तथा सूरमा के लिए विख्यात बरेली शहर में अब खुफिया नजर काफी पैनी है। यहां के एक मौलाना पर आइएसआइएस के लिए काम करने के शक पर उसके आसपास एजेंसियां का घेरा मजबूत होता जा रहा है।
बरेली [अभिनय सिंह] । झुमका तथा सूरमा के लिए विख्यात बरेली शहर में अब खुफिया नजर काफी पैनी है। यहां के एक मौलाना पर आइएसआइएस के लिए काम करने के शक पर उसके आसपास एजेंसियां का घेरा मजबूत होता जा रहा है।
बरेली के कैंटोनमेंट क्षेत्र से सटी नगर पंचायत ठिरिया निवासी मौलाना बरेली व आसपास के बेरोजगार युवाओं को आइएसआइ के लिए हथियार बना रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ ही गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय को ऐसा इनपुट मिलने के बाद खुफिया इकाइयां क्षेत्र में सक्रिय हो गई हैं। उसकी गतिविधियां ट्रेस की जा रही हैं। सूत्रों का कहना है, मौलाना मोटी रकम लेकर बेरोजगार युवाओं को सऊदी अरब में नौकरी दिलाने का झांसा देकर भेजता है।
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, मौलाना का भाई कई वर्ष से दुबई में है। यहां से भेजे गए युवक दुबई में रहने वाले मौलाना के भाई के जरिए ब्रेनवाश कर आइएसआइ के संपर्क में लाए जाते हैं। फिर वे आइएसआइ एजेंट के तौर पर काम करने लगते हैं। इसके एवज में मौलाना को आइएसआइ से मोटा पैसा मिलता है। पूरे घटनाक्रम की जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय, रक्षा मंत्रालय और गृहमंत्रालय को भी है।
वार्ड चार का है निवासी
संदिग्ध मौलाना नगर पंचायत ठिरिया निजावत खां के वार्ड चार का रहने वाला है। पांच भाइयों में वह तीसरे नंबर का है और चौथे नंबर का भाई दुबई में रहता है। इस कारोबार के जरिए कुछ ही समय में उसने अच्छी खासी संपत्ति भी अर्जित कर ली है।
पीछे लगी खुफिया इकाइयां
यह जानकारी मिलने के बाद खुफिया इकाइयां मौलाना के पीछे लग गई हैं। उसका नाम ट्रेस हो चुका है और अब उसके माध्यम से दुबई भेजे गए लोगों के नाम व उनकी लोकेशन ट्रेस करने की कोशिश की जा रही है।
बरेली में रहता था आइएसआइ का एजेंट
पिछले दिनों एसटीएफ ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के एजेंट मुहम्मद एजाज उर्फ मुहम्मद कलाम को मेरठ में कैंट क्षेत्र से गिरफ्तार किया था। वह 15 महीने से प्रेमनगर के शाहबाद क्षेत्र में किराए पर रह रहा था। लोगों की नजरों से बचने के लिए उसने फोटोग्राफी को अपना धंधा बना रखा था और बिहार में आरा जिला निवासी आसमां से शादी की थी। पकड़ में आने के बाद जब पूछताछ हुई तो पता लगा कि वह सैन्य क्षेत्र व अन्य महत्वपूर्ण ठिकानों की रेकी कर रहा था।
बरेली का नाम पहले भी बदनाम
आतंकी गतिविधियों को लेकर बरेली का नाम पहले भी बदनाम हो चुका है। एक जनवरी 2008 की रात करीब ढाई बजे रामपुर के सीआरपीएफ कैंप पर आंतकी हमला हुआ था। एके-47 और हैंड ग्रेनेड से लैस आतंकियों ने कैंप पर हमला कर सात जवानों समेत आठ लोगों की हत्या कर दी थी। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ली थी। यह हमला लखनऊ, फैजाबाद व वाराणसी कोर्ट परिसर में विस्फोट के करीब एक महीने बाद हुआ था। इस मामले में सुरक्षा एजेंसियों ने आठ संदिग्धों को गिरफ्तार किया था, जिसमें से एक बहेड़ी निवासी गुलाब खान भी था। इससे पहले अक्षरधाम मंदिर में हुए विस्फोट के तार भी बरेली से जुड़ चुके हैं।