लखनऊ: गर्दन में घुसा था पेचकस, डॉक्टरों ने 30 मिनट में निकालकर दिया जीवनदान
ऑपरेशन में जरा भी लापरवाही मरीज को पैरालिसस का शिकार बना सकती थी। लोकल एनेस्थीसिया देकर डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया।
लखनऊ, जेएनएन। राजधानी स्थित ट्रॉमा सेंटर में दर्द से तड़पता 30 वर्षीय युवक पहुंचा। उसके गर्दन में पेंचकस घोंपा गया था। आधा अंदर और आधा बाहर दिख रहा पेंचकस देख डॉक्टर भी हैरान रह गए। युवक दर्द से चीख रहा था। लिहाजा, डाॅक्टरों ने सारी जांचे करने केे बाद लोकल एनेस्थिसिया देकर 30 मिनट में ऑपरेशन कर युवक को जीवनदान दिया।
नौकरी करने आया था, विवाद में मार दिया पेचकस
ट्रॉमा सर्जरी विभाग के डॉ. समीर मिश्रा के मुताबिक, शाहआलम 30 वर्ष बंगाल निवासी है। वह दिल्ली के एक ठेकेदार के साथ काम करने राजधानी आया था। यहां उसका विवाद हो गया। उसकी गर्दन में पेचकस मार दिया गया। ऐसे में पेचकस गले में स्पाइन के ग्रीवा हिस्से को पार कर गया। गले में पेचकस होने से उसकी एमआरआइ-सीटी स्कैन मुमकिन नहीं थी। ऐसे में एक्सरे ही कराया जा सका।
पैरालिसिस का था खतरा
ऑपरेशन टीम में शामिल डॉ. अनीता के मुताबिक, एमआरआइ-सीटी स्कैन न होने से गर्दन के अंदर क्षतिग्रस्त हिस्से को सही लोकेट नहीं किया जा सका। पेचकस आहार नाल में गया या सांस नली इसको लेकर असमंजस था। उसकी क्षतिग्रस्त नसों व मांसपेशियों का आकलन भी नहीं किया जा सका। ऐसी स्थिति में ऑपरेशन में जरा भी लापरवाही मरीज को पैरालिसस का शिकार बना सकती थी। लिहाजा, जनरल एनेस्थीसिया देने के बजाय सिर्फ लोकल एनेस्थिसिया देने का फैसला किया गया। संबंधित हिस्से को सुन्न कर पेचकस निकाला गया। ऐसे में मरीज कौन सा हिस्सा काम कर रहा है या किसमें दिक्कत है यह ऑपरेशन के वक्त जानकारी देता रहा। 30 मिनट की प्रक्रिया के बाद पेचकस निकाल दिया गया।
सरिया से घायल बच्चा डिस्चार्ज
मडिय़ांव निवासी नदीम (3) छत की तीसरी मंजिल से गिर गया था। उसके जांघ से होते हुए सरिया पेट में घुस गई थी। ट्रॉमा सर्जरी के डॉक्टरों ने उसका ऑपरेशन किया था। हालत ठीक होने पर उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।