वैज्ञानिकों ने खोजा मलेरिया से निपटने का तरीका
केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) में करंट ट्रेंड्स इन ड्रग डिस्कवरी रिसर्च (सीटीडीडीआर) में वैज्ञानिकों ने अपने शोध को साझा किया।
लखनऊ, जेएनएन। मलेरिया से दो-दो हाथ करने के लिए वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिकों ने रोड मैप तैयार किया है। वर्तमान में प्रचलित दवाओं के प्रति तेजी से प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने वाले परजीवी को अब नए-नए ढंग से टारगेट किया जाएगा। मलेरिया के लिए टारगेटेड ड्रग डिस्कवरी और डिजाइन पर समर्पित सत्र में ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, कैनबरा ऑस्ट्रेलिया के प्रो. कियारन किर्क ने कहा कि मेम्ब्रेन ट्रांसपोर्ट प्रोटीन एंटीमलेरियल दवा के टार्गेट के रूप में उपयोगी है।
उन्होंने बताया कि कैसे फीनोटाइपिक स्क्रीन में मेम्ब्रेन ट्रांसपोर्ट प्रोटीन को एंटीमलेरियल्स टारगेट्स के तौर पर पहचाना जा सकता है। ड्रेक्सल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन फिलाडेल्फिया, अमेरिका के डॉ. अखिल वैद्य ने नई एंटीमलेरियल दवाओं के द्वारा सोडियम आयन और लिपिड होमियोस्टैसिस संतुलन को भंग करने के परिणामों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मलेरिया परजीवी में सोडियम आयन संतुलन को भंग करने वाले कई यौगिकों में परजीवियों के ब्लड स्टेज पर ही सफाया करने की क्षमता है जिसका औषधि अनुसंधान में उपयोग किया जा सकता है।
मेडिसिन फॉर मलेरिया वेंचर (एमएमवी) जिनेवा स्विट्जरलैंड के ड्रग डिस्कवरी प्रोग्राम के प्रमुख डॉ. जेरेमी एन. बुरुज ने बताया की उनकी संस्था किस तरह से मलेरिया पीड़ित देशों में मलेरिया के बोझ को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के सहयोग से नई, प्रभावी और सस्ती दवाओं के अनुसंधान और विकास के मिशन को पूरा कर रही है।
फेफड़ों की टीबी के लिए इनहेलर
सीडीआरआइ के डॉ.अमित मिश्र ने पल्मोनरी टीबी के लिए इनहेलर दवाओं के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा अगर टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों का एक रोग है तो टीबी के रोगियों को मुख से निगलने के बजाय श्वास से लेने वाली इनहेलर दवाओं का सेवन करना चाहिए। उन्होंने प्रतिभागियों को दवा संवेदनशील और दवा प्रतिरोधी (एमडीआर) टीबी दोनों के लिए सूखे पाउडर आधारित इनहेलेबिल दवा संयोजनों (ड्रग कॉम्बीनेशन) के विकास के बारे में किए जा रहे शोध के बारे में अवगत कराया।