Move to Jagran APP

भगवा वस्त्र पहनने के बाद भी भगवा ब्रिगेड पर लगातार हमलावार थीं सावित्रीबाई फुले

दलित सांसद सावित्रीबाई फुले भारतीय जनता पार्टी में रहने के बाद भी आरक्षण और दलित उत्पीडऩ जैसे मसलों पर लगातार पार्टी को सवालों के घेरे में खड़ी करती रही हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 06 Dec 2018 04:11 PM (IST)Updated: Fri, 07 Dec 2018 09:38 AM (IST)
भगवा वस्त्र पहनने के बाद भी भगवा ब्रिगेड पर लगातार हमलावार थीं सावित्रीबाई फुले
भगवा वस्त्र पहनने के बाद भी भगवा ब्रिगेड पर लगातार हमलावार थीं सावित्रीबाई फुले

लखनऊ, जेएनएन। भगवा वस्त्र पहनने वाली दलित सांसद सावित्रीबाई फुले से बहराइच के भारतीय जनता पार्टी की सांसद भले ही थीं, लेकिन पार्टी के लागातार विरोध के कारण वह अक्सर ही चर्चा में रहती हैं। भाजपा के टिकट पर बहराइच के बेल्हा से विधानसभा का चुनाव लड़ चुकीं सावित्रीबाई फुले ने उनके इस्तीफे का अनुमान राजनीतिक विश्लेषकों ने पहले ही लगा लिया था।

loksabha election banner

भारतीय जनता पार्टी में रहने के बाद भी वह लगातार आरक्षण और दलित उत्पीडऩ जैसे मसलों पर पार्टी को सवालों के घेरे में खड़ी करती रही हैं। भाजपा के नाराज सांसदों में उनका नाम शीर्ष पर चल रहा था। इसके कारण पार्टी नेतृत्व ने भी उनको कोई बड़ा काम नहीं दिया था। भाजपा सरकार बहुजनों के हित में कार्य नही कर रही।बाबा साहब की प्रतिमा तोड़ी गयी लेकिन उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नही की गई। भाजपा के मंत्री संविधान बदलने की बात करते है। भाजपा के बड़े नेता आरक्षण को खत्म करने की बात करते है।अल्पसंख्यक लोगो को प्रताड़ित किया जा रहा है।

सावित्रीबाई फुले भाजपा में दलित महिला चेहरा थीं। छह वर्ष की बाली उमर में विवाह करने को मजबूर होने वाली सावित्रीबाई ने बड़े होने पर उन्होंने ससुराल पक्ष वालों को बुलाकर सन्यास लेने की अपनी इच्छा बताई। इसके बाद अपने पति से छोटी बहन का विवाह करा दिया। इसके बाद वह बहराइच के जनसेवा आश्रम से जुड़ीं। छोटी उम्र से ही गलत बातों का विरोध करने वाली सावित्रीबाई फुले वजीफा की राशि हड़प करने वाली स्कूल की प्रिंसिपल से भीड़ गई थीं। उनको आठवीं क्लास पास करने पर उन्हें 480 रुपये का वजीफा मिला था, जिसे स्कूल के प्रिंसिपल ने अपने पास रख लिया। इसके बाद स्कूल से उनका नाम काट दिया गया।

इसके बाद उन्होंने राजनीति के मैदान में कदम रखा। साध्वी सावित्रीबाई फुले ने 2012 में भाजपा के टिकट पर बलहा (सुरक्षित) सीट से चुनाव जीता। 2014 में उन्हें सांसद का टिकट मिला और वह देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंच गईं। उन्होंने लखनऊ के कांशीराम स्मृति उपवन में 'भारतीय संविधान व आरक्षण बचाओÓ रैली आयोजित की। इसमें भी भगवा रंग के वस्त्र पहनकर अपनी ही केंद्र के साथ राज्य सरकार पर तीखे प्रहार किए। मंच से मैदान तक रैली को नीले रंग से रंग दिया था।

उस रैली में बीएसपी के संस्थापक कांशीराम का चित्र भी लगाया गया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि इस समय पूरे देश में दलित और पिछड़े परेशान हैं। उनका उत्पीडऩ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा था कि आरक्षण को लेकर जो संविधान में व्यवस्था है, सरकार उसे लागू करे, जिससे बहुजन समाज आगे बढ़े और गरीबी दूर हो। आरक्षण पूरी तरीके से लागू हो। पिछड़ी जातियों को अब भी 27 फीसदी आरक्षण नहीं मिल रहा है। आरक्षित वर्ग के पद नहीं भरे जा रहे हैं। इसकी वजह से दलितों और पिछड़ों की मुश्किलें बढ़ रही हैं। मैं संविधान लागू करने की मांग को लगातार संसद में उठाते आई हूं। मैंने इसीलिए अब मैदान में आने का फैसला किया। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.