Ayodhya Case: ओम प्रकाश पांडेय फरार घोषित, सतीश प्रधान ने कहा-मैं नहीं था घटना स्थल पर
Ayodhya Case आरोपित सतीश प्रधान ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से दर्ज कराए बयान। अदालत के सामने आरोपित 30 जुलाई तक कर सकते सफाई साक्ष्य प्रस्तुत।
लखनऊ, जेएनएन। अयोध्या के ढांचा ध्वंस मामले में विशेष अदालत के समक्ष आरोपित सतीश प्रधान ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ठाणे महाराष्ट्र से उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज कराते हुए कहा है कि उन्हें इस मामले में फर्जी फंसाया गया है जबकि वह कथित घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे। विशेष न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव ने आरोपित का बयान दर्ज करने के बाद सफाई साक्ष्य के लिए आगामी 30 जुलाई की तिथि नियत करते हुए कहा है कि बचाव पक्ष लिखित में सफाई साक्ष्य प्रस्तुत कर सकता है।
अदालत ने आरोपित सतीश प्रधान का बयान दर्ज करने के बाद आदेश दिया कि आरोपित के बयानों पर हस्ताक्षर कराने के लिए सीबीआइ मुंबई के ईमेल आईडी पर पीडीएफ भेज दी जाए। सीबीआइ अपने माध्यम से आरोपित सतीश प्रधान का बयानों पर हस्ताक्षर करा कर उसे न्यायालय को प्रेषित करे। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले को आगामी 31 अगस्त के पूर्व निस्तारित किए जाने का आदेश दिया है। लिहाजा उभय पक्ष अपनी अपनी लिखित बहस तैयार कर ले। वहीं अभियोजन पक्ष अपनी लिखित बहस प्रस्तुत करे। जिससे सफाई साक्ष्य समाप्त होने के पश्चात बहस हेतु अनावश्यक समय न लगे। अदालत में अभियोजन की ओर से अधिवक्ता ललित कुमार सिंह, पूर्णेन्दु चक्रवर्ती और आरके यादव मौजूद थे।
आरोपित ओम प्रकाश पांडेय फरार घोषित
बचाव पक्ष की ओर से अदालत में अर्जी देकर कहा गया कि आरोपित ओम प्रकाश पांडे का कोई पता नहीं चल रहा है जिसके कारण उसे न्यायालय में उपस्थित करना संभव नहीं है। क्योंकि ओम प्रकाश पांडे के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट एवं अचल संपत्ति की कुर्की किए जाने का आदेश पारित किया था लेकिन उनके गृह जनपद आजमगढ़ का पुश्तैनी मकान गिर गया है और माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है। अदालत ने सीबीआइ एवं पुलिस की रिपोर्ट को पत्रावली पर रखते हुए कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है की आरोपित ओम प्रकाश के मिलने की संभावना नहीं है। उसे फरार घोषित किया जाता है। अदालत ने कहा है कि अभियुक्त ओम प्रकाश पांडे के विरुद्ध स्थाई वारंट संबंधित थाने को भेजा जाए जिससे भविष्य में कभी भी आरोपित ओम प्रकाश पांडे के गिरफ्तार होने की दशा में उसे न्यायालय में पेश कर आगे की कार्रवाही की जा सके।