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पूर्णिमा पर पुण्य की डुबकी लगाने उमड़ा जनसैलाब, घर लौटे कल्पवासी

माघी पूर्णिमा के पावन स्नान पर्व पर इलाहाबाद के संगम तट पर श्रद्धा-भक्ति का आप्लावित माहौल रहा। पुण्य की डुबकी लगाने तीर्थराज प्रयाग में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। देश के कोने-कोने से आए लाखों श्रद्धालुओं ने त्रिविध ( दैहिक, दैविक और भौतिक) ताप नाशिनी मां गंगा-श्यामल यमुना की मिलन

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 03 Feb 2015 04:12 PM (IST)Updated: Tue, 03 Feb 2015 04:21 PM (IST)
पूर्णिमा पर पुण्य की डुबकी लगाने उमड़ा जनसैलाब, घर लौटे कल्पवासी

लखनऊ। माघी पूर्णिमा के पावन स्नान पर्व पर इलाहाबाद के संगम तट पर श्रद्धा-भक्ति का आप्लावित माहौल रहा। पुण्य की डुबकी लगाने तीर्थराज प्रयाग में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। देश के कोने-कोने से आए लाखों श्रद्धालुओं ने त्रिविध ( दैहिक, दैविक और भौतिक) ताप नाशिनी मां गंगा-श्यामल यमुना की मिलन स्थली संगम डुबकी लगाकर दान-पुण्य किया। पूर्णिमा तिथि सोमवार के रात से लगने पर स्नान-दान का सिलसिला भोर से आरंभ हो गया, सूर्योदय होने के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गई। स्नान कर सूर्यदेव को जलांजलि देकर स्तुति की, फिर तीर्थपुरोहितों के मंत्रोच्चार के यथासंभव दान किया। स्नान-दान का सिलसिला दिनभर चलता रहा। माघी पूर्णिमा स्नान के साथ त्याग, तपस्या का प्रतीक 'कल्पवास' का समापन हो गया। वह यहां घर-परिवार से दूर रहकर पौष पूर्णिमा से तपस्या कर रहे थे।

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उखडऩे लगे संस्थाओं का शिविर

मेला क्षेत्र में लगे संत-महात्माओं व संस्थाओं का शिविर भी उखडऩे लगा। माघी पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं के साथ संत-महात्माओं ने भी स्नान किया। जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती, स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी, जगद्गुरु स्वामी महेशाश्रम, स्वामी रामकैलाश, महंत माधवदास, महंत रामतीर्थदास सहित सैकड़ों संन्यासियों ने शिष्यों के साथ स्नान किया। कल्पवासियों ने गंगोली शिवाला, पुराना जीटी रोड, काली मार्ग, रामघाट आदि गंगा घाटों पर जाकर डुबकी लगाकर पूर्वजों व आराध्य का स्मरण कर मनौतियां मांगी। शिविर में आकर ध्यान-पूजन कर प्रसाद स्वरूप तुलसी का बिरवा व जौ का पौधा लेकर तपस्थली को प्रमाण कर सुखद स्मृतियों के साथ घर की ओर कूच कर गए।

करेंगे त्रिजटा का स्नान

माघ मेला क्षेत्र में काफी संख्या में संत व कल्पवासी अभी जमे रहेंगे। वह फाल्गुन कृष्णपक्ष की प्रतिपदा पांच फरवरी को त्रिजटा का स्नान करके यहां से जाएंगे। त्रिजटा स्नान गंगा, यमुना व सरस्वती के साथ भगवान सूर्य को समर्पित माना गया है। ऐसी मान्यता है कि कल्पवास के दौरान त्रिजटा स्नान करने से पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। जबकि कुछ संत व भक्त शिवरात्रि तक यहां रुकेंगे।


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