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मुलायम सिंह को पद्मविभूषण मिलने पर सैफई में खुशी की लहर, UP की इन 7 विभूतियों को पद्मश्री, जानें इनके बारे में

उत्तर प्रदेश की जिन सात विभूतियों को पद्मश्री पुरस्कार मिला है उनमें राधा चरण गुप्त (साहित्य एवं शिक्षा) दिलशाद हुसैन (कला) अरविन्द कुमार (विज्ञान और इंजीनियरिंग) उमा शंकर पाण्डेय (सामाजिक कार्य) मनोरंजन साहू (चिकित्सा) ऋत्विक सान्याल (कला) और विश्वनाथ प्रसाद तिवारी (साहित्य एवं शिक्षा) शामिल हैं।

By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaPublished: Thu, 26 Jan 2023 08:51 AM (IST)Updated: Thu, 26 Jan 2023 08:51 AM (IST)
मुलायम सिंह को पद्मविभूषण मिलने पर सैफई में खुशी की लहर, UP की इन 7 विभूतियों को पद्मश्री, जानें इनके बारे में
मुलायम के राजनीतिक योगदान को मिला दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान । जागरण

 जागरण संवाददाता, लखनऊ : उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री एवं देश के रक्षामंत्री रह चुके समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्मविभूषण सम्मान मिलने पर उनके गांव सैफई में खुशी की लहर है। पूर्व सांसद तेज प्रताप सिंह यादव ने इस सम्मान पर खुशी जताते हुए कहा कि वे इसके हकदार थे। उन्होंने अपना जीवन लोगों की सेवा में बिता दिया। मुलायम सिंह के भतीजे व जिला पंचायत अध्यक्ष अभिषेक यादव ने कहा कि नेता जी को सम्मान मिलना परिवार के लिए गौरव की बात है। सैफई के प्रधान रामफल बाल्मीकि का कहना है कि नेता जी का जीवन गरीबों की भलाई में ही बीता है, उन्हें जितना सम्मान दिया जाए उतना ही कम है। सैफई गांव के निवासी संतोष शाक्य ने कहा कि मुलायम सिंह ने हमेशा लोगों की भलाई के लिए काम किया।

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मुलायम के राजनीतिक योगदान को मिला दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान

समाजवादी पार्टी के संस्थापक व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत उनके राजनीतिक व सामाजिक योगदान को बड़ा सम्मान मिलने जा रहा है। उन्हें केंद्र सरकार पद्म विभूषण सम्मान देने जा रही है। यह सम्मान उनके 15 वर्ष की आयु से लेकर पूरी उम्र सामाजिक न्याय के खातिर किए गए संघर्ष के लिए मिलने जा रहा है। राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण जैसे दिग्गज समाजवादी नेताओं के साथ काम करने वाले मुलायम सिंह यादव ने सांप्रदायिकता के खिलाफ जंग में एक लकीर खींची थी।

मुलायम सिंह का जन्म 22 नवंबर, 1939 को इटावा में हुआ था। डा. राममनोहर लोहिया से प्रभावित होकर मुलायम 1950 के समाजवादी आंदोलन में कूद पड़े थे। यह आंदोलन किसानों के हक के लिए चलाया गया था। वर्ष 1954 में मात्र 15 वर्ष की आयु में डा. लोहिया के आह्वान पर नहर रेट आंदोलन में भाग लिया और पहली बार जेल गए। वह पहली बार 1967 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए विधायक चुने गए। 10 बार विधानसभा व सात बार लोकसभा के सदस्य रहे। 1975 में आपातकाल के दौरान 19 महीने जेल में भी रहे। ॉ

वर्ष 1977 में लोकदल उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष बने। वर्ष 1980 में जनता दल उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष बने थे। डा. लोहिया के समाजवादी सिद्धांतों पर चलते हुए मुलायम ने चार अक्टूबर, 1992 में सपा का गठन किया। मुलायम तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और 1996 में देश का रक्षामंत्री भी बने थे। मुलायम ने राजनीति में विकल्पों को खुला रखा। उन्होंने भाजपा से जंग भी लड़ी और जरूरत पड़ने पर सहयोग भी किया। कांशीराम के साथ मिलकर सरकार गठन कर सबको चौंका दिया था। 1989 में मुलायम पहली बार उप्र के मुख्यमंत्री बने। अयोध्या में मंदिर आंदोलन तेज हुआ तो कार सेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया था।

उत्तर प्रदेश की सात विभूतियों को पद्मश्री सम्मान

उत्तर प्रदेश की जिन सात विभूतियों को पद्मश्री पुरस्कार मिला है उनमें राधा चरण गुप्त (साहित्य एवं शिक्षा), दिलशाद हुसैन (कला), अरविन्द कुमार (विज्ञान और इंजीनियरिंग), उमा शंकर पाण्डेय (सामाजिक कार्य), मनोरंजन साहू (चिकित्सा), ऋत्विक सान्याल (कला) और विश्वनाथ प्रसाद तिवारी (साहित्य एवं शिक्षा) शामिल हैं।

दिलशाद हुसैन: पदमश्री सम्मान के लिए चयनित होकर पीतलनगरी के नाम को रोशन करने वाले दिलशाद हुसैन गदगद हैं। चेहरे पर खुशी और आंखों में खुशी के आंसू हैं। उनका कहना है कि पदमश्री सम्मान के लिए उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। जून, 2022 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेरी कला की सराहना की तो मेरा हौसला और बढ़ गया। उन्होंने कहा कि नक्काशी को और लोगों को भी सिखाएं, तबसे मैंने आसपास के बच्चों को भी सिखाना शुरू कर दिया। प्रधानमंत्री ने मेरे काम को सराहा है। पढ़ें इनके बारे में...

उमाशंकर: पानी के पहरेदार जखनी गांव के जल योद्धा उमाशंकर पांडेय को पद्मश्री से सम्मानित होना बुंदेलखंड के लिए गौरव की बात है। उन्होंने खेत पर मेड़ और मेड़ पर पेड़ का मंत्र पूरे देश को दिया। सामुदायिक सहभागिता से उन्होंने जल संरक्षण की दिशा में अनेक कार्य किए। वह कहते हैं कि सरकार ने उनकी उपलब्धि का मान रखते हुए उन्हें इस सम्मान से नवाजा है। उनके 30 वर्ष से निस्वार्थ भाव से किए गए कार्य का यह प्रतिफल है।

विश्वनाथ तिवारी: साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष, नामचीन कवि व आलोचक प्रो.विश्वनाथ तिवारी को पद्मश्री सम्मान की घोषणा के बाद उनकी लेखनी के कायल प्रशंसक खुश हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मान भारत सरकार के सर्वोच्च सम्मानों में से एक है। सरकार किसी लेखक को बिना मांगे या प्रयत्न किए यदि यह सम्मान देती है, तो उसे इसका आदर करना चाहिए। मैं शुरू से आज तक एक तटस्थ लेखक के रूप में रहा हूं। अगर ऐसे लेखक को सरकार ने सम्मानित किया है तो यह उसकी भी तटस्थता प्रदर्शित करता है। पढ़ें इनके बारे में...


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