ग्रामीण उपभोक्ता किस्तों में जमा कर सकेंगे बकाया बिजली बिल
उपभोक्ताओं को क्रमश: बकाया राशि का 10 प्रतिशत व 20 प्रतिशत तथा ऑनलाइन सिस्टम पर करेंट बिल चुकाना होगा। शेष धनराशि को छह समान मासिक किस्तों में अदा करना होगा।
लखनऊ(जेएनएन)। उप्र पावर कार्पोरेशन ने ग्रामीण क्षेत्रों के विद्युत उपभोक्ताओं के लिए बिजली के बकाये बिल को किस्तों में जमा करने की सुविधा को और सरल बना दिया है। इसका मकसद ग्रामीण उपभोक्ताओं को सहूलियत देने के साथ बिजली का बकाया वसूल करना है।
विद्युत आपूर्ति संहिता 2005 के तहत अभी तक सक्षम प्राधिकारी द्वारा अधिकतम चार किस्तों में बिजली का बकाया बिल जमा करने की सुविधा दिये जाने का प्रावधान था। इसमें उपभोक्ताओं के लिए पहली किस्त में बकाये का न्यूनतम 40 प्रतिशत जमा करना अनिवार्य था। शेष किस्तों की धनराशि 10 हजार रुपये से अधिक होने की स्थिति में उपभोक्ता को पोस्ट डेटेड चेक जमा करनी होती थी।
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि पावर कार्पोरेशन ने ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रावधान को शिथिल करते हुए नॉन-आरएपीडीआरपी क्षेत्र के घरेलू बत्ती-पंखा (एलएमवी-1) और निजी नलकूप (एलएमवी-5) श्रेणियों के उपभोक्ताओं के लिए बकाया भुगतान की प्रक्रिया और आसान कर दी है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र के एलएमवी-1 और एलएमवी-5 श्रेणियों के उपभोक्ताओं को क्रमश: बकाया राशि का 10 प्रतिशत व 20 प्रतिशत तथा ऑनलाइन सिस्टम पर करेंट बिल चुकाना होगा। शेष धनराशि को छह समान मासिक किस्तों में अदा करना होगा।
यदि उपभोक्ता एक महीना किस्त जमा करने के बाद अगले माह में भुगतान नहीं करेगा तो वह जितने महीने बाद भुगतान के लिए आएगा, उतने महीने की किस्त को शामिल करते हुए उसे बकाये का भुगतान करना होगा।
इस प्रकार से भुगतान स्वीकार किये जाने पर उपभोक्ता द्वारा देय सरचार्ज यथावत लगाया जाएगा। सिस्टम द्वारा इस प्रकार से स्वीकार किये गए भुगतान की रिपोर्ट ऑनलाइन बिलिंग सिस्टम पर उपलब्ध करायी जाएगी। संबंधित उपखंड अधिकारी, सहायक अभियंता (राजस्व) व अधिशासी अभियंता द्वारा इसका अध्ययन किया जाएगा और त्रुटिपूर्ण बिलों को सही कर छह किस्तों में उनकी वसूली सुनिश्चित की जाएगी।
प्रमुख सचिव ऊर्जा और पावर कार्पोरेशन के अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि बकाया वसूली के लिए अब एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) नहीं आएगी। ओटीएस योजना से ऐसे उपभोक्ता हतोत्साहित होते हैं जो समय से अपना बिल जमा करते हैं। वहीं ऐसे उपभोक्ता प्रोत्साहित होते हैं जो समय से बिल नहीं जमा करते हैं। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ताओं के लिए इस तरह की किस्तों का प्रावधान किया गया है।