बिना लाइसेंस चलती रही दवा की दुकान, नौ साल से हो रहा फर्जी ऑडिट
केजीएमयू के सीटीवीएस विभाग में खेल, हर साल दुकान से होती रही करीब पांच करोड़ के सामान की बिक्री।
लखनऊ, [आशीष त्रिवेदी] । केजीएमयू के सीटीवीएस विभाग में बिना लाइसेंस के चल रही वेलफेयर सोसाइटी की दवा दुकान का नौ साल से ऑडिट होता रहा।
करीब दो महीने पहले लाइसेंस न होने की पोल खुलने पर बंद हुई इस दवा दुकान से हर महीने औसतन करीब 40 लाख रुपये की दवाएं व सर्जिकल सामान बेचे जा रहे थे। यानी हर साल करीब पांच करोड़ के सामान की बिक्री हो रही थी। मजे की बात ये है कि मामले को दबाने के लिए इसका ऑडिट भी होता रहा। यही नहीं, वर्ष 2012 में वेलफेयर सोसाइटी के सचिव द्वारा एक साथ छह वर्ष के लिए ऑडिट के लिए सीए को 31 मार्च 2018 तक अनुबंध कर लिया गया। उन्हें हर महीने 1.20 लाख रुपये ऑडिट फीस भी केजीएमयू की वेलफेयर सोसाइटी देती रही।
केजीएमयू में वेलफेयर सोसाइटी के नाम पर पिछले कई वर्षो से खेल किया जा रहा था। केजीएमयू ने डेंटल ओपीडी, शताब्दी अस्पताल व सीटीवीएस की दवा की दुकान के लिए लाइसेंस आवेदन किया था लेकिन सिर्फ डेंटल व शताब्दी अस्पताल की दुकान ही लाइसेंस पा सकी। सीटीवीएस की दवा दुकान वर्ष 2009 से ही बिना लाइसेंस के चल रही थी। ऐसे में इस अवैध दुकान को गलत ढंग से चलाने के लिए ऑडिट भी कराया जाता रहा।
केजीएमयू के मीडिया इंचार्ज प्रो. संतोष कुमार ने बताया कि अगर यह मामला सही है तो इसकी गंभीरता से जांच होगी। हम पारदर्शिता से काम करते हैं।