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आरटीआइ एक्टिविस्ट का दावा : यूपी पुलिस रोक सकती थी उड़ी का आतंकी हमला

आरटीआई एक्टिविस्ट दानिश खान ने दावा किया है कि उन्हें कश्मीर में आतंकी हमले की संभावित जानकारी पहले से थी और उन्होने रामपुर एसपी को पत्र लिखकर इस जानकारी से अवगत भी कराया था।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 24 Sep 2016 12:14 PM (IST)Updated: Sat, 24 Sep 2016 08:31 PM (IST)
आरटीआइ एक्टिविस्ट का दावा : यूपी पुलिस रोक सकती थी उड़ी का आतंकी हमला

लखनऊ [वेब डेस्क]। सेना को छोडि़ए कश्मीर के उड़ी में बीते रविवार को हुए आतंकी हमले को उत्तर प्रदेश पुलिस ही रोक सकती थी। उत्तर प्रदेश पुलिस को हमले से एक हफ्ते पहले ही अलर्ट मिल गया था। रामपुर के पुलिस अधीक्षक को आरटीआइ एक्टिविस्ट ने कश्मीर में सेना के कैंप पर संभावित हमले की जानकारी आठ सितंबर को ही एक पत्र के माध्यम से दी थी।

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अब इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस जांच की बात कर रही है।

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रामपुर निवासी रामपुर के आरटीआई एक्टिविस्ट दानिश खान ने दावा किया है कि उन्हें कश्मीर में आतंकी हमले की संभावित जानकारी पहले से थी और उन्होने रामपुर एसपी को पत्र लिखकर इस जानकारी से अवगत भी कराया था।

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दानिश खान के अनुसार उनकी फेसबुक आईडी पर सार्वजनिक उनके निजी नम्बर पर उनकी बिहार के पटना निवासी शबाना हासमी नाम की एक महिला ने व्हाट्सएप पर पांच सितम्बर को संपर्क साधा। शबाना ने वर्तमान में ओमान देश में रहना बताते हुए दानिश खान को जो जानकारी दी वो बेहद चौंकाने वाली थी।

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शबाना ने अपना नाम न सार्वजनिक करने की दुहाई देते हुए दानिश खान को बताया कि उसके पास ही में रहने वाले दो लोग पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर जिसे उसने आजाद कश्मीर बताया है वहं के बरनाला निवासी इरफान यूनुस नाम के एक शख्स को फसाद के लिए भारी तादात में पैसा भेज रहे हैं।

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पैसा भेजने वालों को इरफान का अब्बू और भाई बताया गया है। महिला ने इरफान यूनुस का फोटो और मोबाइल नम्बर भी दानिश खान से व्हाट्सअप पर शेयर किया था और उसके विजिट वीजा का नम्बर पता कर देने की भी बात कही गयी है। पांच सितम्बर को शबाना के साथ हुई संवेदनशील चैटिंग को गंभीर मानते हुए दानिश खान ने बीते आठ सितम्बर को इसकी जानकारी पत्र लिखकर रामपुर के एसपी को भी दी।

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दानिश का कहना है कि पत्र लिखे जाने के बाद सुरक्षा और इन्टेलिजेंस एजेन्सियों ने उनसे सम्पर्क कर जानकारी भी ली थी। हालांकि दानिश खान का कहना है कि उनको मिली जानकारी का कोई लिंक उड़ी में हुए हमले से था या नहीं यह सुरक्षा एजेंसी की जांच से ही साफ हो सकेगा।

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अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर दानिश के दावों में अगर सच्चाई है तो क्या सुरक्षा ऐजेंसिंयों ने दानिश खान की इस महत्वपूर्ण जानकारी को हलके में लिया था।

वहीं मामला मीडिया में आने के बाद से रामपुर के एसपी की ओर से कोई बयान नहीं आया हैं। अगर समय रहते उत्तर प्रदेश पुलिस इनफार्मेशन आगे बढ़ा देती तो शायद 18 जवानों की जान बचाई जा सकती थी।


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