Lockdown 3.0: बेंगलूर पुलिस बोली, एक हजार लगेगा... जिसके पास न हो वह वापस जाएं
प्रवासी श्रमिकों से 830 रुपये मूल्य के रेल टिकट का बेंगलुरु में वसूला गया 970 रुपये। दक्षिण भारत की दो ट्रेनों से लखनऊ आएं प्रवासी दो ट्रेनों के स्टेशन बदले।
लखनऊ, जेएनएन। फिरोज अली ने बेंगलूर से संत कबीरनगर अपने घर आने के लिए वहां पंजीकरण करवाया। दो दिन बाद बेंगलूर पुलिस ने फोन कर कहा कि आपका टिकट तैयार है। पटेल पब्लिक स्कूल आना होगा। वहां पहुंचने पर पुलिस ने कहा कि जिसके पास एक हजार रुपये है वहीं लाइन में लगेगा। बाकी जिनके पास नहीं है वह वापस जाएं। बस में बैठाने से पहले रुपया जमा कराया और बस यात्रा के टिकट को ही प्रिंट कर दे दिया। जब स्टेशन पहुंचे तो बोगी के भीतर पहुंचने के बाद हमको रेलवे का टिकट दिया गया। जिसपर 830 रुपये दर्ज था। जमा किए गए एक हजार रुपये में से 30 रुपये वापस किए गए। कहा बस सहित कुल किराया 970 रुपये है।
कुछ अच्छी और कुछ पीड़ादायक यादों के बीच लॉकडाउन में फंसे प्रवासी श्रमिकों का सफर जारी है। गुरुवार को भी प्रवासी श्रमिकों को लेकर दक्षिण भारत से दो ट्रेनें लखनऊ आयीं। जबकि भुसावल से लखनऊ आ रही श्रमिक स्पेशल को उन्नाव में ही स्थगित कर दिया गया। गोधरा से आने वाली श्रमिक स्पेशल को लखनऊ की जगह बाराबंकी भेज दिया गया। ऐसा चार ट्रेनों के सुबह छह से 10 बजे के बीच लखनऊ आने से होने वाली अव्यवस्था को रोकने के लिए किया गया। परिवहन निगम ने भुसावल से आ रही श्रमिक स्पेशल के श्रमिकों के लिए उन्नाव और गोधरा से आने वाली स्पेशल के श्रमिकों के लिए बाराबंकी में बसों की व्यवस्था की। वहां से प्रदेश भर में इन श्रमिकों को थर्मल स्कैनिंग के बाद भेजा गया।
रास्ते में दो जगह खाने का इंतजाम
केरल के एर्नाकुलम से चली स्पेशल ट्रेन में सवार श्रमिकों के लिए विजयवाड़ा और फिर नागपुर में भी खाने व पानी की व्यवस्था की गई थी।
स्लीपर का किराया लेकर जनरल की सीट
गोधरा से लखनऊ तक स्पेशल टे्रन का किराया जौनपुर के रवि पटेल ने 535 रुपये दिया। रेलवे ने स्लीपर क्लास का सुपरफास्ट व रिजर्वेशन चार्ज लेकर भी उनको जनरल बोगी डी-2 की बैठने वाली सीट नंबर 61 दे दिया गया। सारी रात रवि इस सीट पर बैठकर आए। हालांकि साबरमती एक्सप्रेस का गोधरा से लखनऊ का किराया 520 रुपये है। एर्नाकुलम से लखनऊ का सुपरफास्ट किराया 930 रुपये है। जबकि श्रमिक स्पेशल ट्रेन के श्रमिकों को यह किराया 920 रुपये पड़ा। बेंगलूर के येलहंका जंक्शन से ऐशबाग तक 15016 गोरखपुर एक्सप्रेस का स्लीपर का किराया 800 रुपये है। श्रमिकों को यह टिकट सुपरफास्ट चार्ज जोड़कर और बस का 140 रुपये किराए सहित 970 रुपये में दिया गया।
परिवारीजन से मांगी मदद
एर्नाकुलम और बेंगलूर से आए प्रवासी श्रमिकों ने बताया कि उन्होंने यूपी में रहने वाले अपने परिवारों से मदद मांगी। उन्होंने डिजिटल पेमेंट अकाउंट में किया। वहां सिर्फ कैश ही लिया जा रहा था। एटीएम से इसका भुगतान लिया गया। कुछ ने ठेकेदारों से मदद ली तो कई ने चंदा भी एकत्र किया।
बस का किराया भी ले लिया
हमने रेलवे का तो किराया दिया ही था लेकिन कर्नाटक सरकार ने बेंगलूर में हमको स्टेशन तक पहुंचाने के लिए बसों का किराया भी ले लिया। यूपी में आए तो यहां राज्य सरकार ने हमारे लिए निश्शुल्क व्यवस्था की है। कौशल निषाद देवरिया
रास्ते में खाने की थी व्यवस्था दो दिन के सफर में हम लोगों के खाने और पानी का पूरा ध्यान रखा गया था। साथ में आरपीएफ की सुरक्षा भी चल रही थी। अब कंपनी ने कहा है कि लॉकडाउन के बाद वापस आ जाना। राजू गौड़ देवरिया
यूपी सरकार ने दिया साथ हम लोगों ने लॉकडाउन तक घर आने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। लेकिन यूपी सरकार ने जो हेल्पलाइन नंबर जारी किया था। बस उसपर संपर्क करते ही हमारे वापस आने के रास्ते खुल गए। इसके लिए यूपी की सरकार का शुक्रिया । मो. रियाज बस्ती
अब नहीं जाऊंगा वापस
कई दिनों का संकट देखकर अब अपने ही प्रदेश में रहकर रोजगार की तलाश का निर्णय लिया है। अपने यहां की आमदनी करूंगा। जिससे भविष्य में ऐसी स्थिति का सामना दोबारा न करना पड़े। मेराज अहमद बस्ती