संन्यास के बाद ऑफ द फील्ड भी क्रिकेट में एक्टिव रहेंगे आरपी सिंह
मुंबई से आरपी सिंह ने फोन पर वार्ता के दौरान कहा कि टीम इंडिया में वापसी बेहद मुश्किल थी। अब किसी युवा की जगह पर घरेलू क्रिकेट में खेलना मुझे ठीक नहीं लगा।
लखनऊ [धर्मेन्द्र पाण्डेय]। रायबरेली के छोटे से गांव से क्रिकेट के शीर्ष स्तर का सफर तय करने वाले बाएं हाथ के तेज गेंदबाज रुद्र प्रताप (आरपी) सिंह ने क्रिकेट के तीनों फार्मेट से अपने संन्यास को भी उसी दिन तय किया जिस दिन उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सफर का आगाज किया था। रायबरेली के 32 वर्षीय आरपी सिंह ने दो दिन पहले ही भारत तथा उत्तर प्रदेश के क्रिकेट जगत को स्तब्ध कर दिया।
मुंबई से आरपी सिंह ने फोन पर वार्ता के दौरान कहा कि टीम इंडिया में वापसी बेहद मुश्किल थी। अब किसी युवा की जगह पर घरेलू क्रिकेट में खेलना मुझे ठीक नहीं लगा। इसी कारण क्रिकेट के तीनों फार्मेट से संन्यास का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल तो दो-तीन महीना परिवार (माता-पिता) के साथ पत्नी तथा बेटी को थोड़ा समय देने के बाद ऑफ द फील्ड क्रिकेट में एक्टिव रहूंगा।
उन्होंने कहा आज जो मैं हूं वह क्रिकेट की बदौलत ही हूं। अब जीवन में जब तक संभव होगा, क्रिकेट के लिए ही समर्पित रहूंगा। क्रिकेट में अपने सीनियर मोहम्मद कैफ की तरह ही राजनीति में किस्मत आजमाने के बारे में कांग्रेस के गढ़ रायबरेली निवासी आरपी सिंह ने कहा कि इस बारे में अभी तो कुछ कहा नहीं जा सकता है।
क्रिकेट जगत में 'रायबरेली एक्सप्रेस' के नाम से मशहूर आरपी सिंह ने चार सितंबर को क्रिकेट के तीनों फार्मेट (टेस्ट, एकदिनी तथा टी-20) से संन्यास लेने का फैसला किया। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट से अपने संन्यास की बाबत एक पत्र प्रेषित किया। विश्व के शीर्ष बाएं हाथ के तेज गेंदबाज पाकिस्तान के वसीम अकरम को भी अपना मुरीद बनाने वाले आरपी सिंह ने 13 वर्ष पहले चार सितंबर को जिमबाब्वे के हरारे में अपना पहला एकदिनी मैच खेला था। इसके बाद उन्होंने 69 वन डे मैच में 58 झटके।
इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ फैसलाबाद में अपना पहला टेस्ट मैच जनवरी 2006 में खेला। पहले ही टेस्ट मैच में शानदार गेंदबाजी कर उन्होंने मैन ऑफ द मैच का खिताब जीता।14 टेस्ट मैच में उनको 40 विकेट मिले हैं। 2007 में अपना पहला ट्वेंटी-20 मैच खेलने वाले आरपी सिंह 2007 की विश्व विजेता टीम के सदस्य थे। आरपी सिंह ने 10 टी-20 मैच में 15 विकेट अपने झोली में डाले। रिवर्स स्विंग में महारत हासिल करने वाले आरपी सिंह ने आइपीएल में भी धमाल मचाया था।
प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उत्तर प्रदेश से रणजी ट्राफी के खेलने के बाद उन्होंने अंतिम रणजी ट्राफी मैच गुजरात से खेला। गुजरात की टीम रणजी ट्राफी चैंपियन भी बनी। रायबरेली के छोटे से गांव के बाद लखनऊ के स्पोट्र्स कालेज व स्पोट्र्स हास्टल में अपनी गेंदबाजी को धारदार बनाने के बाद आरपी सिंह ने उत्तर प्रदेश की टीम के रास्ते टीम इंडिया में जगह पक्की की। 13 वर्ष के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में उन्होंने तमाम ऊंचाई को भले ही छू लिया, लेकिन उनका जीवन आज भी बेहद सादगी भरा है।
सहज स्वाभाव के आरपी सिंह ने कहा कि संन्यास लेने के बाद अभी तत्काल की तो कोई योजना नहीं है। कुछ महीने आराम के बाद क्रिकेट से ही जुड़े रहने का इरादा है। फिलहाल अभी तो कोचिंग के साथ कमेंट्री का काम जारी रहेगा। इसके इतर अगर बीसीसीआई मौका देगा तो क्रिकेट की बेहतरी का काम जारी रहेगा। बेहद आसान तथा लयबद्ध बॉलिंग एक्शन के कारण आरपी सिंह अपनी गेंदों को गति देने में सफल रहते थे। नई गेंद को दोनों दिशा में स्विंग कराने के बाद ही वह पुरानी गेंद को रिवर्स स्विंग कराते थे। इसके साथ स्लोअर गेंद से भी माहिर बल्लेबाजों को चौंकाने में माहिर थे।
आरपी सिंह ने चार सितंबर को क्रिकेट के सभी फार्मेट से संन्यास का ऐलान करते हुए अपने ट्विटर पर एक भावुक पोस्ट लिखा ''13 वर्ष पहले आज ही के दिन यानि 4 सितंबर 2005 को मैंने भारतीय जर्सी पहली बार पहनी थी। मेरी आत्मा और दिल आज भी उस युवा लड़के के साथ है, जिसने पाकिस्तान के फैसलाबाद में करियर की शुरुआत की थी। जो लेदर बॉल को अपने हाथ में रखते हुए सिर्फ खेलना चाहता था। शरीर एहसास दिला रहा है कि अब मेरी उम्र हो चुकी है और युवा खिलाडिय़ों के लिए जगह खाली करने का समय आ गया है।
उन्होंने लिखा कि मैंने एक छोटे से गांव में जन्म लिया और कभी ये नहीं सोचा था कि एक दिन में कह पाऊंगा कि मैंने अपना सपना पूरा कर लिया। इसके लिए मैं आप सभी प्रशंसकों को धन्यवाद करना चाहूंगा। मुझ पर भरोसा करने के लिए, मेरी आलोचना करने के लिए और हमेशा मेरे साथ बने रहने के लिए। धन्यवाद।
रुद्र प्रताप सिंह
जन्म : 6, दिसंबर 1985 रायरबरेली
टेस्ट मैच : 14, विकेट : 40
वन डे मैच : 58, विकेट : 69
ट्वेंटी-20 मैच : 10, विकेट :15
जूनियर विश्व कप : 2004 बांग्लादेश।