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दिलफेंक प्रभारी की करतूत आम होने पर 1090 से हटाया

उत्तर प्रदेश की वीमेन पॉवर लाइन के प्रभारी (आरएमओ) राघवेंद्र प्रताप सिंह हटा दिया गया है। उन पर पावर लाइन से जुड़े महत्वपूर्ण दिशा निर्देशों का उल्लंघन का आरोप है। छेड़छाड़ की शिकार छात्रा पर डोरे डालना 1090 के प्रभारी को महंगा पड़ गया।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2016 06:52 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2016 01:06 PM (IST)
दिलफेंक प्रभारी की करतूत आम होने पर 1090 से हटाया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की वीमेन पॉवर लाइन के प्रभारी (आरएमओ) राघवेंद्र प्रताप सिंह हटा दिया गया है। उन पर पावर लाइन से जुड़े महत्वपूर्ण दिशा निर्देशों का उल्लंघन का आरोप है।

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छेड़छाड़ की शिकार छात्रा पर डोरे डालना वीमेन पावर लाइन 1090 के प्रभारी को महंगा पड़ गया। दिलफेंक प्रभारी की करतूत सार्वजनिक होने के बाद सरकार के सख्त तेवर को देख प्रभारी राघवेन्द्र सिंह को हटा दिया गया। अब आइजी नवनीत सिकेरा मामले की जांच करेंगे। सिकेरा से प्राथमिकता के आधार पर जांच पूरी करने की अपेक्षा की गयी है। एक पुलिस प्रवक्ता ने पत्रकारों को बताया कि 1090 के प्रभारी राघवेन्द्र सिंह के बारे में मीडिया में प्रकाशित खबर का शासन ने अत्यंत गंभीरता से संज्ञान लिया। राघवेन्द्र प्रताप सिंह को वीमेन पावर लाइन से हटाकर उन्हें उनके मूल विभाग रेडियो मुख्यालय में वापस भेज दिया गया है। राज्य सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक इस प्रकरण में प्रथम दृष्टतया मिली जानकारी के अनुसार 1090 के प्रभारी द्वारा अपने निजी नंबर का प्रयोग वाट्सएप पर चैट करने के लिए किया गया। यह पावर लाइन की कार्यप्रणाली के विरुद्ध है। यह प्रावधान है कि पावर लाइन में तैनात कोई भी कर्मी किसी भी पीडि़ता या आरोपी से कभी भी अपने व्यक्तिगत नंबरों से कॉल नहीं कर सकता है। 1090 एक सरकारी व्यवस्था है। प्रवक्ता का कहना है कि 1090 पर की गयी काल अथवा वहां से दिये जाने वाले उत्तर आदि सभी कॉल की रिकार्डिंग होती है। वहां की जाने वाली सारी बातचीत सरकारी होती है। इसे किसी भी प्रकार से निजी स्तर पर लाना नियमों का उल्लंघन है।

प्रभारी की करतूत से 1090 पर उठे सवाल

वीमेन पावर लाइन (1090) में पीडि़त छात्रा को ही उल्टा तंग करने के मामले में आरोपी 1090 के प्रभारी आरएमओ (रेडियो मशीन ऑपरेटर) कुंवर राघवेंद्र प्रताप सिंह की लचर कार्यप्रणाली ने 1090 की व्यवस्था पर ही सवाल खड़े कर दिए। पूरे प्रकरण से महिलाओं के लिए नई शक्ति बनकर उभरी 1090 की छवि को गहरा झटका लगा है। आइजी वीमेन पावर लाइन नवनीत सिकेरा के मुताबिक जांच में आरोपी राघवेंद्र 1090 के नियमों के विरुद्ध किसी पीडि़ता से निजी नंबर के जरिए व्यक्तिगत संवाद करने के दोषी पाए गए हैं। उन्होंने 1090 में तैनात सीओ बबिता सिंह को पूरे प्रकरण की विभागीय जांच सौंपी है।

महिला सम्मान प्रकोष्ठ में की थी छात्रा ने शिकायत

लखनऊ विश्वविद्यालय में विधि की छात्रा ने परसों महिला सम्मान प्रकोष्ठ में 1090 के प्रभारी आरएमओ राघवेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ गंभीर शिकायत की थी। छात्र ने उसके वॉट्स एप पर भेजे गए संदेशों का प्रमाण भी दिया था। सम्मान प्रकोष्ठ की इंस्पेक्टर सत्या सिंह ने बताया कि छात्रा का आरोप है कि महानगर में एक अपार्टमेंट निवासी बुटीक संचालिका उसकी मित्र है। बुटीक संचालिका ने उसका परिचय अपने मित्र कुंवर अभिषेक राजवीर प्रताप सिंह से कराया था। कुंवर अभिषेक उसे मानसिक व शारीरिक रूप से परेशान करने लगा। आरोप है कि छात्र ने इसकी शिकायत बुटीक संचालिका से की तो उसे सितंबर 2015 में बुटीक में बंधक बनाकर पीटा गया। तब छात्रा की सहेली ने 100 नंबर पर घटना की सूचना दी थी। इसके बाद छात्र ने महानगर कोतवाली में मारपीट व धमकी देने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। छात्रा का आरोप है कि इस मामले में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। उसने 1090 पर शिकायत की प्रभारी राघवेंद्र ने पहले उसकी मदद का भरोसा दिलाया और बाद में उल्टा उसे ही तंग करना शुरू कर दिया।

1090 के चैनल का ही प्रयोग करने का है निर्देश

आइजी नवनीत सिकेरा के मुताबिक किसी भी पीडि़त महिला अथवा आरोपी से संवाद अथवा कार्रवाई के लिए 1090 के चैनल का ही प्रयोग करने के स्पष्ट निर्देश हैं। यह प्रावधान है कि पावर लाइन में तैनात कोई भी कर्मी किसी भी पीडि़ता या आरोपी से कभी भी अपने व्यक्तिगत नंबरों से कॉल नहीं कर सकता है। 1090 एक सरकारी व्यवस्था है और 1090 पर की गयी काल अथवा वहां से दिये जाने वाले उत्तर आदि सभी कॉल की रिकार्डिग होती है। वहां की जाने वाली सारी बातचीत सरकारी होती है। इसे किसी भी प्रकार से निजी स्तर पर लाना नियमों का उल्लंघन है।

तीन सदस्यीय कमेटी

महिला सम्मान प्रकोष्ठ की डीजी सुतापा सान्याल के मुताबिक छात्रा ने परसों शिकायत की थी। उस छात्रा के प्रार्थनापत्र पर पूरे प्रकरण की जांच तीन सदस्यीय टीम गठित कर उसको सौंपी गई है। जो एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगी। टीम में एक महिला निरीक्षक की अगुआई में जांच करेगी।


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