राज्यसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में बढ़ी रस्साकसी, शह मात का खेल चालू
भाजपा के आठ और सपा के एक उम्मीदवार की जीत तय मानी जा रही है लेकिन, दसवीं सीट पर भाजपा और सपा-कांग्रेस-रालोद समर्थित बसपा उम्मीदवार के बीच रोमांचक मुकाबला है।
लखनऊ (जेएनएन)। राज्यसभा की दस सीटों के लिए शुक्रवार को मतदान है। इसे लेकर राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ गई है। भाजपा के आठ और सपा के एक उम्मीदवार की जीत तय मानी जा रही है लेकिन, दसवीं सीट पर भाजपा और सपा-कांग्रेस-रालोद समर्थित बसपा उम्मीदवार के बीच रोमांचक मुकाबला है। इसे लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में रस्साकसी बढ़ गई है।
एक-एक वोट सहेजने के लिए दोनों पक्षों ने ताकत लगा दी है। भाजपा, सपा और कांग्रेस की ओर से विधायकों को दी गई दावतों ने एक-एक वोट पर दलीय सक्रियता जाहिर कर दी है। मतदान में महज 36 घंटे अवशेष होने से जोड़-तोड़ और गणित भी तेज हो गई है। दसवीं सीट पर सत्ता और विपक्ष के अपने-अपने दावे हैं लेकिन, परदे के पीछे भी दोनों तरफ कुछ ऐसा खेल चल रहा है जिसके कोई संकेत मिल नहीं पा रहे हैं। दोनों तरफ से भ्रम में रखने और शह-मात के लिए दिखावटी चाल भी चली जा रही है। विधायकों से संपर्क के लिए भाजपा में संगठन और सरकार के कुछ लोगों को जिम्मेदारी दी गई है, जबकि विपक्ष में बसपा, सपा और कांग्रेस के रणनीतिकार एक साथ काम कर रहे हैं।
रघुराज ने भाजपा और नितिन ने सपा-बसपा की बढ़ाई मुश्किल
भाजपा खेमे को उम्मीद थी कि निर्दलीय रघुराज प्रताप सिंह और उनके सहयोगी विनोद सरोज उनके साथ खड़े होंगे लेकिन, रघुराज ने अखिलेश यादव की पार्टी में जाकर भाजपा की मुश्किल बढ़ा दी है। वैसे निर्दलीय अमन मणि त्रिपाठी योगी के आवास पर भाजपा की पार्टी में गए, जबकि निषाद पार्टी के विजय मिश्र ने न जाकर भी भाजपा के पक्ष में वोट का एलान किया। भाजपा के दोनों सहयोगी दलों ने भी पूरी प्रतिबद्धता दिखा दी है।
इधर, भाजपा के लिए सर्वाधिक मुफीद हाल में सपा छोड़कर भाजपा में शामिल सांसद नरेश अग्रवाल के विधायक पुत्र नितिन अग्रवाल हुए। नितिन योगी के आवास पर जाकर सपा-बसपा की उम्मीदों को झटका दे गए हैं। इससे विपक्ष की दिक्कत बढ़ी है। इस बीच जेल में बंद बसपा विधायक मुख्तार अंसारी और सपा के हरिओम यादव के वोट देने में अदालती अनुमति अनिवार्य होने की बात से भी भाजपा की खुशी बढ़ गई है। सपा के कई और विधायक अखिलेश की पार्टी में नहीं गए थे। हालांकि सपा का कहना है कि यह उनकी जानकारी में है।
उम्मीदवार और दलीय स्थिति
भाजपा से केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली, अशोक बाजपेई, विजयपाल सिंह तोमर, सकलदीप राजभर, कांता कर्दम, अनिल जैन, जीवीएल नरसिम्हा राव, हरनाथ सिंह यादव और नवें उम्मीदवार के रूप में अनिल अग्रवाल हैं। दूसरी तरफ सपा की अधिकृत उम्मीदवार जया बच्चन और विपक्ष समर्थित बसपा उम्मीदवार भीम राव अम्बेडकर मैदान में हैं। भाजपा के पास 311, सहयोगी दल अपना दल एस के पास नौ और सुभासपा के पास चार विधायक (कुल 324) हैं। सपा के पास 47, बसपा के पास 19, कांग्रेस के पास सात, निर्दलीय तीन, निषाद के पास और रालोद के पास एक विधायक हैं।
एक उम्मीदवार को जीत के लिए 37 विधायकों के मत की जरूरत है। भाजपा के आठ उम्मीदवारों को 37-37 विधायक आवंटित करने के बाद 28 विधायकों के वोट बच रहे हैं। उधर, सपा का जया बच्चन को आवंटन के बाद 10, बसपा के 19, कांग्रेस के सात और रालोद के एक विधायक बच रहे हैं। इनमें सपा के नितिन अग्रवाल का मत खिसकने से सपा-बसपा की मुश्किल बढ़ी है तो निर्दलीय रघुराज प्रताप और उनके सहयोगी की वजह से राहत भी मिली है। वैसे राजनीतिक समीक्षकों का दावा है कि मतदान होने तक अभी कई तरह के बदलाव होने हैं।