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कैबिनेट फैसला : सहायक आयुक्त को स्टांप पत्रों की वापसी का अधिकार

राज्य सरकार ने स्टांप पत्रों में निहित धनराशि की वापसी नियमावली में संशोधन करते हुए इसके लिए सहायक आयुक्त और आयुक्त स्टांप को अधिकृत कर दिया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 13 Dec 2017 08:02 PM (IST)Updated: Wed, 13 Dec 2017 08:16 PM (IST)
कैबिनेट फैसला : सहायक आयुक्त को स्टांप पत्रों की वापसी का अधिकार
कैबिनेट फैसला : सहायक आयुक्त को स्टांप पत्रों की वापसी का अधिकार

लखनऊ (जेएनएन)। राज्य सरकार ने स्टांप पत्रों में निहित धनराशि की वापसी नियमावली में संशोधन करते हुए इसके लिए सहायक आयुक्त और आयुक्त स्टांप को अधिकृत कर दिया है। पहले स्टांप पत्रों की धनराशि की वापसी का अधिकार कलेक्टर को था। अब दो वर्ष के भीतर तक सहायक आयुक्त स्टांप और उसके बाद चार वर्ष के भीतर तक आयुक्त स्टांप ऐसे मामलों में निर्णय ले सकेंगे। इसके बाद आठ वर्ष के भीतर तक स्टांप की धनराशि की वापसी पर शासन स्तर से निर्णय लिया जाएगा। आठ वर्ष के बाद ऐसे मामलों पर निर्णय नहीं लिया जाएगा। 

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नियमावली के संशोधन को बुधवार को राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में मंजूरी दे दी गई। इस नियमावली को उत्तर प्रदेश स्टांप (संशोधन) नियमावली-2017 कहा जाएगा। सरकार के इस फैसले से स्टांप पत्रों में निहित धनराशि जल्द वापस हो सकेगी। इससे पहले स्टांप पत्रों में निहित धनराशि की वापसी का अधिकार कलेक्टर में निहित था। कलेक्टर को दो वर्ष के भीतर धनराशि वापसी का अधिकार था। इसके बाद प्रकरण पर निर्णय के लिए शासन को संदर्भित किया जाता था। चूंकि वर्तमान में स्टांप पत्रों के विक्रय का कार्य ई-स्टांपिंग के माध्यम से किए जाने की व्यवस्था कर दी गई है। इसलिए नियमावली में संशोधन किया गया। स्टांप वापसी के लिए प्रार्थना पत्र इसकी क्रय तिथि से दो वर्ष के भीतर करना अनिवार्य होगा।

सचिवालय में अब बायोमीट्रिक हाजिरी

कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश सचिवालय में बायोमीट्रिक एवं आधार पर आधारित हाजिरी लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। प्रदेश में स्वच्छ पारदर्शी, संवेदनशील एवं उत्तरदायी शासन एवं प्रशासन देने के लिए वर्तमान सरकार कटिबद्ध है। इसके लिए आवश्यक है कि प्रदेश में सचिवालय से लेकर फील्ड स्तर के विभिन्न कार्यालयों में सभी अधिकारी एवं कर्मचारी समय से उपस्थित रहकर शासकीय कार्यों का पूरी निष्ठा से संपादन करें। इसीलिए यह व्यवस्था लागू की जा रही है। इस दिशा में उप्र सचिवालय में बायोमीट्रिक एवं आधार पर आधारित उपस्थिति की व्यवस्था लागू होगी। इससे सभी कर्मचारी और अधिकारी कार्यालयों में समय से उपस्थित होकर अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकेंगे।

इलाहाबाद में होगा न्याय ग्राम टाउनशिप का निर्माण

उच्च न्यायालय इलाहाबाद के लिए वहां की सदर तहसील के ग्राम देवघाट (झलवा) में न्याय ग्राम टाउनशिप बनेगा। बुधवार को योगी की कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। राज्य सरकार के प्रवक्ता और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने यह जानकारी देते हुए खासतौर से खुशी जताई। यह निर्माण उनके विधानसभा क्षेत्र शहर पश्चिमी में होगा। न्याय ग्राम टाउनशिप में जजों और उनके कर्मचारियों के लिए आवास बनेगा। प्रवक्ता ने बताया कि इस ग्राम टाउनशिप में आडिटोरियम भवन, जूडिशियल एकेडमी, एडमिनिस्टे्रटिव बिल्डिंग, ट्रेनिंग सेंटर लाइब्रेरी तथा अनावासीय भवनों, तथा निदेशक आवास के निर्माण के लिए 39510.56 लाख रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। 

जूनियर हाईस्कूल पद परिभाषित

जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों और कर्मचारियों की अब वेतन विसंगति दूर होगी। कैबिनेट ने उप्र जूनियर हाईस्कूल (अध्यापकों एवं कर्मचारियों के वेतन का भुगतान) (संशोधन) अध्यादेश, 2017 के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। प्रदेश में प्रबंधतंत्र द्वारा संचालित मान्यता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में कार्यरत अध्यापकों एवं कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए उप्र जूनियर हाईस्कूल (अध्यापकों एवं कर्मचारियों के वेतन का भुगतान) अधिनियम 1978 के प्रावधान लागू हैं। इस अधिनियम की धारा-दो में संस्था पद परिभाषित है लेकिन, जूनियर हाईस्कूल पद परिभाषित नहीं है। इस वजह से न्यायालयों में बहुत से वाद लंबित है और प्राय: यह स्थिति उत्पन्न हो रही है कि वादों का निस्तारण वादियों के पक्ष में हो रहा है। इस नियमावली से अधिनियम 1978 में जूनियर हाईस्कूल पद को परिभाषित किया गया है। इसी तरह एक अन्य प्रस्ताव में उप्र बेसिक शिक्षा अधिनियम-1972 में बेसिक शिक्षा परिषद की स्थापना का प्रावधान है। इसमें बेसिक शिक्षा को परिभाषित किया गया है लेकिन जूनियर बेसिक स्कूल और जूनियर हाई स्कूल परिभाषित नहीं है। इसे परिभाषित करने के लिए उप्र बेसिक शिक्षा संशोधन अध्यादेश 2017 को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। 

गन्ना क्रयकर में मिली छूट की विसंगति होगी दूर

पेराई सत्र 2012-2013 में चीनी मिलों को गन्ना क्रयकर में एक वर्ष के लिए दी गई छूट की विसंगति दूर होगी। कैबिनेट ने बुधवार को इस प्रस्ताव को मंजूर कर दिया। इस करीब पांच लाख किसानों को लाभ मिलेगा। 23 मई, 2013 को गन्ना क्रयकर पर एक वर्ष के लिए छूट दी गई थी। यह छूट चीनी मिलों द्वारा शासनादेश निर्गत होने से एक वर्ष के लिए चीनी विक्रय पर जमा किये जाने वाले गन्ना क्रय कर पर लागू की गई थी। गन्ना क्रयकर पर छूट की अधिकतम सीमा पेराई सत्र 2012-13 में क्रय किये गए गन्ने की वास्तविक मात्रा के क्रयकर के समतुल्य यानी प्रति क्विंटल दो रुपये निर्धारित थी। चूंकि गन्ना क्रयकर पर यह छूट पेराई सत्र 2012-13 में शासनादेश निर्गत होने से एक वर्ष के लिए चीनी विक्रय पर जमा होने वाले क्रयकर में दिया गया इसलिए इसमें आ रही कठिनाइयों के दृष्टिगत विसंगति दूर किये जाने की मांग कतिपय जिलों से आ रही थी। इसीलिए एक वर्ष के स्थान पर एक अक्टूबर 2012 से 30 सितंबर, 2013 तक लागू होगा। 

तहसील स्तर पर समेकित गांव निधि गठित 

गांवों में भू-माफिया के कब्जे से जमीनों को मुक्त कराने में आने वाले व्यय वहन के लिए धन की जरूरत होती है। पहले जिला स्तर पर डीएम के पास यह निधि होती थी लेकिन कैबिनेट ने इसे तहसील स्तर पर करने का फैसला किया है। इसके निमित्त उप्र राजस्व संहिता 2006 में उल्लिखित तहसील स्तरीय समेकित गांव निधि का गठन किया गया है। नई व्यवस्था में इस निधि में मिलने वाली 50 प्रतिशत धनराशि समेकित जिला गांव निधि तथा 50 प्रतिशत तहसील स्तरीय समेकित गांव निधि में जमा होगी। पहले इसके अधीन जमा होने वाली धनराशि में दो बटा पांच समेकित जिला गांव निधि में और तीन बटा पांच भाग समेकित तहसील गांव निधि में धनराशि जाती थी। 

सीधी भर्ती से भरे जाएंगे माइक्रोबायोलाजिस्ट के पद

कैबिनेट ने उप्र खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग विश्लेषक (खाद्य एवं औषधि प्रयोगशाला) सेवा नियमावली-2017 को मंजूरी दी है। इस नियमावली को मंजूरी मिलने के बाद अब माइक्रोबायोलाजिस्ट (खाद्य) तथा कनिष्ठ विश्लेषक (खाद्य/औषधि) के पद सीधी भर्ती से भरे जाएंगे। पहले प्रदेश में स्थापित जन विश्लेषक प्रयोगशालाएं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के नियंत्रण में थीं। उस समय दूसरी नियमावली प्रभावी थी। 2009 में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग गठित होने के बाद 2006 की नियमावली के पदों तथा वेतनमान में भिन्नता थी। इसलिए 2014 में प्रयोगशाला संवर्ग का पुनर्गठन किया गया। नए पदों के सृजन, पदनाम परिवर्तन एवं शैक्षिक योग्यता तथा वर्तमान में लागू वेतनमान को जोड़ते हुए सेवा नियमावली 2006 के स्थान पर नई नियमावली लागू की जा रही है। इसे कैबिनेट की मंजूरी मिली है। नव सृजित पदों में संयुक्त आयुक्त/मुख्य राजकीय जन विश्लेषक, साइंटिफिक अधिकारी-एक (खाद्य/औषधि), साइंटिफिक अधिकारी-द्वितीय (खाद्य/औषधि), माइक्रोबायोलाजिस्ट (खाद्य),ज्येष्ठ विश्लेषक (खाद्य/औषधि) एवं कनिष्ठ विश्लेषक (खाद्य/औषधि)के पदों पर भर्ती का स्रोत, नियुक्ति प्राधिकारी व शैक्षिक अर्हताओं का निर्धारण किया जा रहा है। इन पदों में माइक्रोबायोलाजिस्ट (खाद्य) तथा कनिष्ठ विश्लेषक (खाद्य/औषधि) के पद सीधी भर्ती के माध्यम से तथा बाकी पद प्रोन्नति के जरिये भरे जाएंगे। माइक्रोबायोलाजिस्ट (खाद्य) तथा कनिष्ठ विश्लेषक (खाद्य/औषधि) के पदों के नियुक्ति प्राधिकारी आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग तथा शेष पदों के नियुक्ति प्राधिकारी 


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