Move to Jagran APP

यूपी के दुधवा टाइगर रिजर्व के बाद अब कतर्नियाघाट और सोहागी बरवा में भी बनेंगे गैंडा पुनर्वास केंद्र

दुधवा टाइगर रिजर्व में गैंडा परियोजना की सफलता को देखते हुए अब बहराइच के कतर्नियाघाट और महाराजगंज के सोहागी बरवा वन्यजीव क्षेत्र में भी गैंडा पुनर्वास केंद्र बनाने की योजना है। इसका प्रस्ताव बनाकर वन विभाग ने सरकार को भेजा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 11 Dec 2020 11:14 AM (IST)Updated: Sat, 12 Dec 2020 06:21 AM (IST)
यूपी के दुधवा टाइगर रिजर्व के बाद अब कतर्नियाघाट और सोहागी बरवा में भी बनेंगे गैंडा पुनर्वास केंद्र
बहराइच के कतर्नियाघाट और महाराजगंज के सोहागी बरवा वन्यजीव क्षेत्र में भी गैंडा पुनर्वास केंद्र बनाने की योजना है।

लखनऊ [शोभित श्रीवास्तव]। दुधवा टाइगर रिजर्व में गैंडा परियोजना की सफलता को देखते हुए अब बहराइच के कतर्नियाघाट और महाराजगंज के सोहागी बरवा वन्यजीव क्षेत्र में भी गैंडा पुनर्वास केंद्र बनाने की योजना है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अध्ययन में यह क्षेत्र गैंडों के लिए मुफीद पाया गया है। इनके संरक्षण के लिए यहां प्राकृतवास चिह्नित कर उस क्षेत्र की घेराबंदी की जाएगी। इसके बाद यहां दूसरे स्थानों से गैंडे लाकर उनका पुनर्वास किया जाएगा। यह ऐसा क्षेत्र है जहां नेपाल से भी गैंडे आते हैं।

loksabha election banner

प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव सुनील पाण्डेय ने बताया कि गैंडों के पुनर्वास के लिए प्रदेश में दो और स्थान चिह्नित किए गए हैं। इसका प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा गया है। वहां से हरी झंडी मिलते ही कतर्नियाघाट व सोहागी बरवा में भी इनका पुनर्वास किया जाएगा।

दुधवा टाइगर रिजर्व में गैंडों की संख्या बढ़ी : भारत में गैंडे 1850 तक बंगाल और उत्तर प्रदेश के तराई इलाके में काफी संख्या में पाए जाते थे, लेकिन अब यह केवल असम तक ही सिमटकर रह गए हैं। इसी को देखते हुए दुधवा टाइगर रिजर्व में वर्ष 1984 में गैंडा पुनर्वासन कार्यक्रम शुरू किया गया था। उस समय असम से पांच गैंडे दुधवा लाए गए थे। अगले साल 1985 में नेपाल से चार और मादा गैंडे लाए गए। गैंडा पुनर्वास योजना की सफलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2018 में यहां हुई डीएनए आधारित गणना में 38 गैंडे मिले थे। वर्तमान में इनकी संख्या लगभग 42 बताई जा रही है।

सरकार के पास भेजा गया प्रस्ताव : गैंडा परियोजना की सफलता को देखते हुए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग ने प्रदेश में कतर्नियाघाट व सोहागी बरवा में भी इनका पुनर्वास केंद्र बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। इसे सरकार के पास भेज दिया गया है। यहां असम व नेपाल से गैंडे लाकर उनका पुनर्वास किया जाएगा। इसे लंबी घास के मैदानों में रहना पसंद है। आसपास दलदली इलाका हो तो सोने पे सुहागा हो जाता है। इसे कीचड़ स्नान भी बहुत भाता है। यह सारी चीजें कतर्नियाघाट व सोहागी बरवा में मौजूद हैं।

डेढ़ से दो टन होता है गैंडे का वजन : भारतीय गैंडों की औसत लंबाई 12 फीट और ऊंचाई पांच से छह फीट तक होती है। मादा गैंडे का वजन डेढ़ टन व नर गैंडे का वजन लगभग दो टन के आसपास होता है। यह शाकाहारी होते हैं। यूं तो गैंडा धीमी चाल चलता है, लेकिन वह सरपट दौड़ भी सकता है। मादा गैंडा एक बार में एक बच्चे को जन्म देती है। जन्म के समय गैंडे के बच्चे का सींग नहीं होता है। जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ती जाती है, सींग भी बड़ा होता जाता है। भारतीय गैंडे की औसत आयु लगभग 100 साल है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.