गैंडों को रास आ गया दुधवा का नया आशियाना, तिन्नी, जनेवा और उर्दी घास आ रही है पसंद Lakhimpur News
लखीमपुर के दुधवा में गैंडों को रास आ गया अपना नया आशियाना। डेढ़ साल पहले बेलरायां रेंज में बसाए गए है चार गैंडे।
लखीमपुर [हरीश श्रीवास्तव]। दुधवा टाइगर रिजर्व के गैंडा पुनर्वास परियोजना फेज टू में शिफ्ट किए गए गैंडों को उनका नया आशियाना काफी हद तक रास आ गया है। अपने नए घर में गैंडे काफी खुश है। अप्रैल 2018 में एक नर और तीन मादा गैंडों को बेलरायां रेंज के करीब 14 किमी एरिया में बनाए गए उनके नए घर में शिफ्ट किया गया था। तबसे उनकी लगातार निगरानी की जा रही है। इसके लिए छह लोगों की टीम लगाई गई है, साथ ही दो हाथियों को भी लगाया गया है। निगरानी में जो तस्वीरें मिल रही है। उसमें सभी गैंडों के हाव-भाव खुशी वाले है।
हाथी के साथ ड्रोन कैमरे से भी हो रही निगरानी
गैंडा पुनर्वास परियोजना फेज टू और उसमें शिफ्ट किए गैंडों को अब लगभग डेढ़ साल हो गए है। पार्क प्रशासन गैंडो की निगरानी ड्रोन कैमरे से भी करा रहा है। जिससे उनकी लाइव तस्वीरें भी मिलती है। इन तस्वीरों का विश्लेषण से जो हालत दिख रहे है वह काफी अच्छे हैं।
गैंडों को भा गई तिन्नी, जनेवा और उर्दी घास
खास बात यह कि गैंडों को नई जगह रास आ गई है। इतना ही नहीं सभी गैंडे पूर्ण रूप से स्वस्थ है। भादी ताल के आसपास जनेवा, उर्दी और तिन्नी घास पाई जाती है जो काफी नरम होती है। यह गैंडों को काफी पसंद आती है। यहां पर पानी और दलदली जगह की भी कमी नहीं है। गैंडों को ये माहौल काफी रास आ रहा है।
जिम्मेदार की सुनिए
दुधवा टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक मनोज सोनकर ने बताया कि गैंडा पुनर्वास परियोजना फेज टू के चारों गैंडों की लगातार मॉनीटङ्क्षरग हो रही है। देखा जाता है कि कहीं उनमें कोई घाव या बीमारी के लक्षण तो नहीं है फिलहाल ऐसी कुछ भी सामने नहीं आया है। यहां पाई जाने वाली घास गैंडों को भा रही है और यह जगह भी उनके अनुकूल है।