उत्तर प्रदेश में स्टांप-पंजीयन से बढ़ा राजस्व, मई में हुआ दोगुना, पिछले वर्ष की अपेक्षा बढ़ता जा रहा है राजस्व संग्रह
उत्तर प्रदेश में स्टांप-पंजीयन से राजस्व में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। मई माह में स्टांप-पंजीयन से दोगुना राजस्व वसूल किया गया। वहीं पिछले वर्ष की अपेक्षा राजस्व संग्रह बढ़ता जा रहा है। वहीं स्टांप शुल्क का भुगतान करने में प्रदेशवासियों को राहत प्रदान की गई है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। कोरोना से उबरने के साथ ही राज्य में स्टांप एवं पंजीयन से मिलने वाला राजस्व भी बढ़ता जा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस वर्ष मई में तो राजस्व संग्रह दोगुणा से अधिक रहा है। स्टांप पंजीयन राज्यमंत्री रविन्द्र जायसवाल ने बताया कि वर्ष 2022-2023 के लिए तय राजस्व संग्रह लक्ष्य 29692.12 करोड़ रुपए की तुलना में अबकी मई तक कुल 3932.75 करोड़ रुपये राजस्व मिला है। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि में मिले राजस्व 1844.25 करोड़ रुपये के दोगुने से भी अधिक है।
जायसवाल ने बताया कि मई तक तय राजस्व संग्रह लक्ष्य 4712.10 करोड़ रुपये के सापेक्ष 3932.75 करोड़ रुपए जमा हुए हैं। मंत्री ने विभागीय अफसरों को निर्देश दिया है कि शत-प्रतिशत लक्ष्य को हासिल किया जाए। जायसवाल ने बताया कि प्रदेशवासियों को राहत देने के लिए भी कई अहम निर्णय किए गए हैं।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में अब तक अचल संपत्ति दान करनी हो या फिर बेचनी अभी दोनों ही तरह के मामलों में समान स्टांप शुल्क का भुगतान करना पड़ता रहा है। भारी-भरकम स्टाम्प शुल्क से बचने के लिए संपत्ति के स्वामी खून के रिश्तेदारों (रक्त संबंधियों) को संपत्ति देने के बजाय संपत्ति की वसीयत ही ज्यादा कर रहे हैं। इसमें भले ही स्टांप शुल्क नहीं देना पड़ता है लेकिन स्वामी की मृत्यु के बाद वसीयत के अनुसार परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति बंटवारे का विवाद अक्सर देखने को मिलता है।
उत्तर प्रदेश के स्टांप व पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल का कहना है कि अब ऐसे मामलों में मात्र पांच हजार रुपये ही स्टाम्प शुल्क देना होगा। इससे आसानी से संपत्ति हस्तांतरण होने से जहां वसीयत के विवाद घटेंगे वहीं रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
मंत्री रवीन्द्र जायसवाल के मुताबिक प्रदेशवासियों को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किए गए निर्णय से करीब 200 करोड़ रुपये का राजस्व घटने का अनुमान है लेकिन सरकार, परिवारों में प्रेम व सौहार्द बढ़ाने को ही अपना मुनाफा मान रही है। साथ ही जो लोग स्टांप बचाने के लिए वसीयत कर रहे थे वे अब संपत्ति पिता, माता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, पुत्र वधू, दामाद, सगा भाई, सगी बहन आदि को हस्तांतरित करेंगे।
पिछली सरकार की नीतियों के कारण वित्तीय वर्ष 2016-2017 में जहां स्टांप एवं निबंधन विभाग को 11643.84 करोड़ सकल राजस्व की प्राप्ति हुई थी तो वहीं मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के नेतृत्व में पिछले चार वर्षो में उत्तरोतर वृद्धि करते हुए वित्तीय वर्ष 2020-21 में 16532.56 करोड़ का सकल राजस्व प्राप्त किया था।