यूपी के सभी DM को मिल गया आदेश, अन्य ड्यूटी में नहीं लगाए जाएंगे राजस्व कर्मी; सिर्फ करेंगे ये काम
उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्व कर्मियों को खरीफ फसलों की कटाई के दौरान अन्य ड्यूटी में नहीं लगाने का निर्देश दिया है। विशेष परिस्थितियों में ही उनकी ड्यूटी अन्य कामों में लगाई जा सकेगी। इसके लिए कारण बताना अनिवार्य होगा। साथ ही उपजिलाधिकारियों और तहसीलदारों को फसल कटाई प्रयोगों के संपादन की समीक्षा करने का भी निर्देश दिया गया है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। खरीफ फसलों की कटाई की अवधि के दौरान राजस्व कर्मियों को अन्य ड्यूटी में नहीं लगाया जाएगा। सिर्फ विशेष परिस्थितियों में ही उनकी ड्यूटी अन्य कामों में लगायी जा सकेगी, हालांकि इसके लिए कारण बताना अनिवार्य होगा।
योगी सरकार ने फसल की कटाई के दौरान राजस्व कर्मियों को अन्य ड्यूटी में नहीं लगाने के आदेश सभी जिलाधिकारियों को दिए है। साथ ही उपजिलाधिकारियेां और तहसीलदारों को फसल कटाई प्रयोगों के संपादन की समीक्षा का भी निर्देश दिया गया है।
सभी जिलों में कृषि, राजस्व एवं विकास विभाग के अधिकारियों को 15 प्रतिशत अनिवार्य निरीक्षण के लिए नामित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत संबद्ध बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों को भी 30 प्रतिशत क्राप कटिंग प्रयोगों का अवलोकन कराने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, फसल कटाई के बाद पोर्टल पर कटाई प्रयोगों का परीक्षण कर ही उपज तौल अनुमोदित किया जाएगा।
हाल ही में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के समक्ष हुए प्रस्तुतीकरण में बताया गया था कि सीसीई एग्री एप के माध्यम से खरीफ 2022 से भारत सरकार के निर्देशानुसार आवश्यक रूप से 100 प्रतिशत क्राप कटिंग लागू है। फसल बीमा में ली गयी खरीफ की धान, मक्का, बाजरा, ज्वार, उर्द, मूंग, तिल, मूंगफली, सोयाबीन व अरहर और रबी की गेहूं, जौ, चना, मटर, मसूर, लाही-सरसों, अलसी व आलू की फसलें शामिल हैं।
सीसीई एग्री ऐप से क्राप कटिंग कराने के लिए राजस्व परिषद से निर्देश जारी किए जा चुके हैं। रबी 2023-24 में 86.09 प्रतिशत प्रयोग सीसीई एग्री एप से संपादित कराये गए । वहीं, जीसीईएस एप पर रबी 2023-24 से लागू है। जीसीईएस में ली गयी खरीफ धान, मक्का, बाजरा, ज्वार, उर्द, मूंग, तिल, मूँगफली, सोयाबीन व अरहर की फसलें शामिल हैं, और रबी की गेहूं, जौ, चना, मटर, मसूर, लाही-सरसों, अलसी व आलू शामिल हैं।
रबी 2023-24 में 13,388 क्राप कटिंग प्रयोग नियोजित हुए, जबकि 88 प्रतिशत क्राप कटिंग प्रयोग जीसीईएस एप से संपादित कराए गए। इसी तरह खरीफ 2024 में 13,654 प्रयोग नियोजित कराए गए।
सात साल में 46 फीसद प्रतिशत घटीं पराली जलाने की घटनाएं
पराली जलाने को लेकर योगी सरकार की सख्ती और प्रोत्साहन की नीति रंग ला रही है। इस नीति के कारण सात वर्षों में पराली जलाने की घटनाओं में करीब 46 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2017 में पराली जलाने की कुल 8784 घटनाएं हुई थीं। वर्ष 2023 में ये घटकर 3996 हो गईं। किसानों को जागरूक करने का यह सिलसिला इस सीजन में भी जारी है।
साथ ही सरकार पराली की खेत में ही कम्पोस्टिंग के लिए 7.5 बायो डी कंपोजर भी उपलब्ध करवा रही है। एक बोतल डी कंपोजर से एक एकड़ खेत की पराली की कम्पोस्टिंग की जा सकती है। पराली जलाने पर 15 हजार रुपये जुर्माने का प्राविधान है। पराली जलाने से फसल के लिए सर्वाधिक जरूरी पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (एनपीके) के साथ अरबों की संख्या में भूमि के मित्र बैक्टीरिया और फफूंद भी जल जाते हैं।
शोध बताते हैं कि बचे डंठलों में एनपीके की मात्रा क्रमश: 0.5, 0.6 और 1.5 प्रतिशत होती है। जलाने की बजाय अगर खेत में ही इनकी कम्पोस्टिंग कर दी जाय तो मिट्टी को यह खाद उपलब्ध हो जाएगी। इससे अगली फसल में करीब 25 फीसद उर्वरकों की बचत से खेती की लागत में इतनी ही कमी आएगी और लाभ इतना ही बढ़ जाएगा।