एक साथ जुटे जिम्मेदार विभाग तो घटने लगी जानलेवा बीमारी इंसेफ्लाइटिस
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बेड बढ़ाकर, आइसीयू बनाकर, 64 हजार से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व 500 से अधिक डॉक्टरों को प्रशिक्षित कर उपचार की व्यवस्थाओं को मजबूत किया गया है।
लखनऊ (जेएनएन)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इंसेफ्लाइटिस के तुलनात्मक आंकड़ों को चौंकाने वाला यूं ही नहीं बता रहे हैं। एक साल पहले अगस्त में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जहां भर्ती हुए 400 से अधिक मरीजों में 86 से अधिक की मौत हो गई थी, वहीं इस बार अगस्त में केवल 80 मरीज आए, जबकि मौतों की संख्या घटकर केवल छह रह गई।
इंसेफ्लाइटिस की जानलेवा बीमारी में यह कमी अपने आप नहीं आई है। मुख्यमंत्री ने सदन में भी बताया है कि किस तरह गांवों में साफ पेयजल की व्यवस्था करके और जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को बीमारी से बचाव के लिए मानसिक और सामाजिक तौर पर तैयार किया गया और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बेड बढ़ाकर, आइसीयू बनाकर और 64 हजार से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व 500 से अधिक डॉक्टरों को प्रशिक्षित कर उपचार की व्यवस्थाओं को एक साल में मजबूत किया गया है। एक साल का यह बदलाव इसलिए भी कई मायनों में बड़ा है, क्योंकि पिछले साल अगस्त महीने में ही इंसेफ्लाइटिस से बच्चों की मौत की खबर ने सबको झकझोर दिया था।
इससे एक ओर लोगों में बीमारी की दहशत कई गुना बढ़ गई थी, वहीं स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर भी सवाल खड़े हो गए थे। चौतरफा हमलों से घिरी राज्य सरकार ने इसी के बाद नए सिरे से इंसेफ्लाइटिस को लेकर योजना बनाई थी और चरणबद्ध कार्यक्रम शुरू किए थे। इलाज की बदली रणनीति और बेहतर सुविधाओं ने अब एक साल में पूर्वांचल और गोरखपुर पर लगे इंसेफ्लाइटिस से बच्चों की बेहिसाब मौत के दाग को काफी हद तक हलका कर दिया है। बीते एक साल में पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीकू) व मिनी पीकू जैसे कई स्वास्थ्य केंद्र अस्तित्व में आए तो साथ ही प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी इंसेफ्लाइटिस का प्रभावी प्राथमिक उपचार शुरू हो गया।
इससे बीआरडी कॉलेज पर मरीजों के भार में तेजी से कमी आई। बीते चार वर्षों में अगस्त तक बीआरडी कॉलेज में भर्ती मरीजों की संख्या जहां एक हजार के आसपास रहती थी, वहीं इस बार अगस्त तक यह घट कर करीब आधी रह गई। इंसेफ्लाइटिस से मौतों की संख्या में भी खासी कमी आई है। सभी विभागों के संयुक्त प्रयास से बीमारी से बचाव के प्रभावी प्रयास भी शुरू हो गए हैैं। इन उपायों से इस साल इंसेफ्लाइटिस के मरीजों में उल्लेखनीय कमी तो आई है, लेकिन बीमारी का सीजन अभी चार-पांच महीने और बाकी है।
इन्होंने निभाई भूमिका
इंसेफ्लाइटिस के खिलाफ समग्र लड़ाई के लिए प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के साथ को नोडल विभाग बनाते हुए चिकित्सा शिक्षा, महिला कल्याण, बाल विकास, पंचायती राज व नगर विकास विभाग को भी अभियान में शामिल किया है। पिछले साल हुए रिकॉर्ड टीकाकरण ने जहां इंसेफ्लाइटिस से लड़ाई के लिए मजबूत आधार प्रदान किया, वहीं स्वच्छता कार्यक्रमों व विशेष अभियानों के साथ बीते अप्रैल से जुलाई तक चले टीकाकरण के नए दौर ने भी एक से 13 साल तक के बच्चों को वायरस से बचाया है।
अगस्त में मौतें
वर्ष- भर्ती- मौतें
2014- 1079- 253
2015- 906- 133
2016- 1182- 205
2017- 1120- 120
2018- 575- 63