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Research on cannabis: सिंथेटिक व प्राकृतिक दवाओं के विकल्प में रूप में परखा जाएगा भांग का असर

डॉ.बिरेन्द्र कुमार ने बताया कि कई सिंथेटिक और रासायनिक दवाओं के प्राकृतिक विकल्प के रूप में भांग यानी कैनबिस के अर्क की प्रभावकारिता को साबित करने के लिए परीक्षण किए जाएंगे।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 03:46 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 03:47 PM (IST)
Research on cannabis: सिंथेटिक व प्राकृतिक दवाओं के विकल्प में रूप में परखा जाएगा भांग का असर
Research on cannabis: सिंथेटिक व प्राकृतिक दवाओं के विकल्प में रूप में परखा जाएगा भांग का असर

लखनऊ, जेएनएन। केन्द्रिय औषधि एवं सगंध पौधा संस्थान ( सीमैप) द्वारा भारतीय भांग के जीनोटाइप्स में पाए जाने वाले औषधीय तत्वों जैसे टीएचसी, सीबीडी और कैनबिडिड टेरपिन का पता लगाने के लिए अनुसंधान परियोजना पर काम हो रहा है। परियोजना की समीक्षा बैठक में प्रधान अन्वेषकडॉ.बिरेन्द्र कुमार ने बताया कि परियोजना के अगले चरण में कई सिंथेटिक और रासायनिक दवाओं के प्राकृतिक विकल्प के रूप में भांग यानी कैनबिस के अर्क की प्रभावकारिता को साबित करने के लिए परीक्षण किए जाएंगे।  उन्होंने बताया कि टीएचसी, सीबीडी, टीएचसी - ए और कैनाबिनोइड टेरपिन के विभिन्न स्तरों के साथ कई जेनेटिक मेटीरियल स्ट्रेन्स की खोज की गई है जो अंतर्राष्ट्रीय औषधीय कैनबिस उद्योग के लिए अमूल्य होगी। यह परियोजना मैसर्स अशीष कॉन्सेंट्रेट्स इंटरनेशनल एलएलपी (एसीआई), मुंबई द्वारा वित्तपोषित है ।

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बताते चलें कि प्राचीन समय से ही भारत में भांग का उपयोग होलिस्टिक हीलिंग के लिए आयुर्वेदिक, सिद्धा और यूनानी दवाइयों में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता रहा है। इस बात के भी प्रमाण हैं कि भांग के सभी जेनेटिक मेटीरियल स्ट्रेन्स का उदगम भारतीय उपमहाद्वीप में हुआ है।

सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कि इंडस्ट्री के साथ संयुक्त शोध से मानव जाति के कल्याण के लिए देश में भांग की खेती तथा उसके उत्पादों को पुनः प्रचलित करने में मदद मिलेगी और साथ ही साथ किसानों को भी अवसर मिलेंगे। उन्होने बताया कि परियोजना के पहले वर्ष में डॉ.बीरेंद्र कुमार की देखरेख में 15 वैज्ञानिकों की एक टीम मॉर्फो-एनाटोमिकल, केमिकल और यील्ड पर एक विस्तृत अध्ययन करने में सक्षम रही है। भांग पर आधारित औषधीय उत्पादों की इंडस्ट्री से भारत में 'मेक इन इंडिया' के तहत उद्योग स्थापित करके किसानों, शिक्षित युवाओं और उद्यमियों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। 


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