Republic Day Memories: स्वतंत्रता सेनानियों के लिए मुखबिरी करतीं थीं महिलाएं, देती थीं अंग्रेज सिपाहियों की पल-पल की खबर
Republic Day Memories from Lucknow 1938 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस आजादी के लड़ाकों में जोश भरने के लिये लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्र गोसाईगंज पहुंचे और यहां तिरंगा फहराया। अंग्रेज सिपाहियों के आने की महिलाएं देती थीं जानकारी।
लखनऊ, जेएनएन। Republic Day Memories: देश की आजादी के लिए जिस समय सेनानी मोहल्ले में पंचायत करते थे उस समय महिलाएं उनके लिए मुखबिरी करती थी। उनकी वजह से अंग्रेज सिपाहियों के आने की खबर आजादी के दीवानों तक पहुंचते देर नहीं लगती थी। 1938 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस आजादी के लड़ाकों में जोश भरने के लिये गोसाईगंज पहुंचे और यहां तिरंगा फहराया। जिसे बाद में जब्त कर लिया गया।
प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्र गोसाईगंज के सराय करोरा मोहल्ले में ही करीब 43 स्वतंत्रता सेनानी रहते थे। यहां आजादी की लड़ाई की रणनीति तय करने के लिये पंचायतें हुआ करती थी और फिरंगियों व स्वतंत्रता सेनानियों के बीच लुका छिपी का खेल चलता रहता था। जब पंचायत होती थी तब महिलायें मुखबिर के रूप में इधर उधर निगरानी के लिये लगी रहती थी। आजादी की दीवानों की धरपकड़ के लिये अक्सर सिपाही सराय करोरा मोहल्ले की खाक छाना करते थे।
1938 में नेता जी सुभाषचंद्र बोस भी सराय करोरा पहुंचे और सेनानियों की पंचायत में शामिल होकर उनकी ताकत को बढ़ाने का काम किया। नेताजी ने सेनानी मंगल प्रसाद यादव के दरवाजे पर तिरंगा फहराया। तिरंगा फहराने के कुछ ही समय में अंग्रेज सिपाहियों को इसकी भनक लग गई और उन्होंने सराय करोरा में पहुंच कर तिरंगे को जब्त कर लिया। उस समय मंगल प्रसाद, याकूब पहलवान, बाबू चंद्रिका प्रसाद, सुन्दरलाल, तुलसीराम, ईश्वरदीन, मिश्रीलाल, रामकली व अन्य लड़ाकों पर आजादी का जुनून सवार रहता था।
यही कारण था कि करोरा की गलियों में अक्सर अंग्रेज सिपाहियों के बूटों की आवाजें गूंजा करती थी। सेनानी भी थे कि मानने का नाम ही नहीं ले रहे थे। जिस स्थान पर नेताजी ने तिरंगा फहराया था, वह ध्वजस्तंभ आज भी मौजूद है। गोसाईगंज के चेयरमैन रहे बृजेश यादव ने ध्वजस्तंभ का जीर्णोद्धार कराया। स्तंभ पर तमाम स्वतंत्रता सेनानियों के नाम अंकित हैं। गोसाईगंज के उक्त स्तंभ पर आज भी राष्ट्रीय पर्वों पर ध्वजारोहण कर आजादी के दीवानों को नमन किया जाता है। इस मोहल्ले की महिलायें भी पुरुषों के साथ आजादी की लड़ाई में सहयोग करती थी। तीन महिलाओं को भी अंग्रेज पुलिस ने जेल भेज दिया था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी सेनानियों के स्तंभ पर पहुंचकर तिरंगा फहरया था।