एकेटीयू में रिन्यूवेबल एनर्जी प्लांट की होगी स्थापना, एलडीए को जल्द प्रस्ताव भेजने की तैयारी
डा एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) ने एक बार भी विद्यार्थियों के लिए अच्छी पहल की है। दरअसल एकेटीयू अब रिन्यूवेबल एनर्जी प्लांट की स्थापना करने की योजना बना रहा है। इससे विद्यार्थियों को एडवांस तकनीकी के बारे में जानने का मौका मिलेगा।
लखनऊ, [पुलक त्रिपाठी]। डा एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) परंपरागत इंजीनियरिंग कुछ हटकर करने का प्लान किया है। इसके तहत एकेटीयू द्वारा रिन्यूवेबल एनर्जी प्लांट के स्थापना किए जाने की योजना है। ताकि इस क्षेत्र में भी विद्यार्थियों को रोजगार से जोड़ा जा सके। एकेटीयू के कुलपति प्रो पीके मिश्रा की ओर से इस प्लांट को देश का सबसे बड़ा रिन्यूवेबल एनर्जी प्लांट होने का दावा किया गया है।
एलडीए को प्रस्ताव भेजने की तैयारीः कुलपति प्रो पीके मिश्रा ने बताया कि प्लांट की स्थापना के लिए विश्वविद्यालय के ठीक सामने पड़ी खाली भूमि को लिए जाने की प्लान है। इसके लिए एलडीए को प्रस्ताव बनाकर जल्द ही भेजा जाएगा। प्लांट की स्थापना के लिए लगभग 15 -20 एकड़ जमीन की आवश्यकता है। वहीं, प्रो पीके मिश्रा ने बताया कि गुजरात के बड़ौदा स्थित मणिसेवा आश्रम में ऐसा ही एक प्लांट स्थापित है। मगर हमारा लक्ष्य एडवांस प्लांट स्थापित करने का है। जहां बायो इथेनाल, बायो ब्यूटीनाल, सोलर रेफलेक्टर, सोलर कंसेंट्रेटर, सोलर थर्मल किचेन, सोलर विंड का हाइब्रिड प्लांट भी होगा। उन्होंने बताया कि इस प्लांट को शिरडी सांइ, तिरुपति बाला जी व लद्दाख कम्युनिटी किचन के तर्ज पर व्यवस्थाएं रहेंगी। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में विश्वविद्यालय में अभी सोलर रूफटाप ही है।
अहम बातः उन्होंने बताया कि हमारे किसी भी काम की शुरुआत का मकसद यह होना चाहिए कि इससे हमारे विद्यार्थियों को क्या लाभ होगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस प्लांट की स्थापना की जा रही है। इसके तहत रिन्यूवेबल एनर्जी प्लांट में विद्यार्थियों को पहले सिखाया जाएगा, ताकि इंडस्ट्री एप्राेच में वह बेहतर परफार्म कर सकें। इसके अलावा स्टार्टअप की ओर से सोच रहे विद्यार्थियों को पहले से इस क्षेत्र का एक्सपोजर रहेगा।
केरल की एजेंसी के साथ मिशन को पूरा करने का प्लानः रिन्यूवेबल एनर्जी प्लांट की स्थापना के लिए केरल की एजेंसी का चुना गया है। कुलपति प्रो मिश्र ने बताया कि एजेेंसी का एमओयू प्रदेश सरकार के साथ होगा। प्लांट पर आने वाला सारा खर्च एजेंसी उठाएगी। इस खर्चे को उन्हें 90 वर्ष में वापस करने की व्यवस्था बनाई जाएगी, ताकि हम पर किसी तरह का वित्तीय भार न आए।