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जिला कारागार के बंदियों को गलत दवा देने का मामला: DIG जेल ने किया निरीक्षण, हटाए गए फार्मासिस्ट

गलत दवा खिलाने से जिला कारागार के कैदियों के बीमार होने का मामला। पूछताछ में 54 बंदियों को गलत दवा दिए जाने की बात उजागर 30 ने घबराहट व शरीर में ऐंठन की शिकायत की।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 10:50 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 10:50 PM (IST)
जिला कारागार के बंदियों को गलत दवा देने का मामला: DIG जेल ने किया निरीक्षण, हटाए गए फार्मासिस्ट
जिला कारागार के बंदियों को गलत दवा देने का मामला: DIG जेल ने किया निरीक्षण, हटाए गए फार्मासिस्ट

लखनऊ, जेएनएन। जिला कारागार लखनऊ में कैदियों को गलत दवा दिए जाने के मामले में डीआइजी जेल संजीव त्रिपाठी ने बुधवार को छानबीन की। इस दौरान उन्होंने कैदियों के बयान लिए और जांच रिपोर्ट कारागार मुख्यालय को भेज दी। जांच के बाद फार्मासिस्ट के खिलाफ कार्यवाही करते हुए उन्हें जिला कारागार फतेहगढ़ से संबद्ध कर दिया गया है।

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डीजी जेल आनंद कुमार के निर्देश पर डीआइजी जेल मामले की छानबीन करने जिला कारागार पहुँचे थे। डीआइजी जेल के मुताबिक जांच के दौरान पाया गया कि दिनांक 10 अगस्त की शाम को कुल को 340 बंदियों को जेल चिकित्सालय की ओपीडी से दवाएं दी गईं थीं, जिनमें से 54 बंदियों को सेट्रिजीन के स्थान पर हालोपेरिडोल नामक दवा दे दी गई। दवा खाने के बाद मंगलवार को कुछ बंदियों ने घबराहट, शरीर में ऐंठन, कंपकंपी इत्यादि की शिकायत की गई। इसके बाद 54 बंदियों का जेल चिकित्सालय के चिकित्सक ने परीक्षण किया। परीक्षण के दौरान 54 में से 30 बंदियों ने घबराहट व ऐंठन की शिकायत की। जिनका उपचार किया गया। स्वस्थ हुए बन्दियों को वापस बैरक भेजा गया है।

जांच में 16 बंदी भर्ती मिले

डीआइजी की जांच के दौरान 16 बंदी जेल चिकित्सालय में भर्ती पाए गए। पूछताछ में सिर्फ 2 बंदियों ने गर्दन में ऐठन की समस्या बताई। इसके बाद बुधवार को जिला चिकित्सालय बलरामपुर के मनोचिकित्सक प्रवीण कुमार श्रीवास्तव ने जेल चिकित्सालय में भर्ती 16 बंदियों का परीक्षण किया। डॉक्टर के मुताबिक हालो पेरिडोल नामक दवा का असर अधिकतम आठ से 10 घंटे तक रहता है, जबकि दवा खाए हुए बंदियों को 48 घंटा हो चुका है। ऐसे में उनका मत था कि बंदी बीमार होने का दिखावा कर रहे हैं।

एक तरह दिखती हैं दोनों दवाएं

जांच रिपोर्ट के मुताबिक दोनों दवाएं देखने में एक जैसी होने के कारण फार्मासिस्ट आशीष कुमार से चूक हुई है। इस चूक और लापरवाही के लिए प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने के कारण फार्मासिस्ट के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए डीजी जेल आनन्द कुमार ने उसे जिला जेल लखनऊ से हटाकर केंद्रीय कारागार फतेहगढ़ से संबद्ध कर दिया है। डीजी जेल के मुताबिक कारागार चिकित्सालय में भर्ती सभी 16 बंदियों को जेल चिकित्सालय में चिकित्सक की देखरेख में रखा गया है और उनकी स्वास्थ्य दशा वर्तमान में सामान्य है।


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