आधार कार्ड देखने के बाद मिलेगी ’रेमडेसिविर’ की डोज, कालाबाजारी रोकने के लिए सख्त हुए नियम
दवा की कालाबाजारी का भी खतरा मंडरा रहा है। लिहाजा फार्मा कंपनियों के लिए रेमडेसिविर व मरीज का पूरा हिसाब रखना भी अनिवार्य कर दिया है।
लखनऊ, (संदीप पांडेय)। अस्पतालों को ’रेमडेसिविर’ दवा की डोज का हिसाब देना होगा। कोरोना के किस मरीज को कब दवा दी गई, इसका पूरा खाका जमा करना होगा। वहीं, बेवजह दवा खरीदकर डंप करने पर पाबंदी है। ड्रग कंट्रोलर, यूपी ने दवा की कालाबाजारी रोकने के सख्त निर्देश जारी किए हैं। इसके लिए आधार कार्ड भी अनिवार्य कर दिया गया है। राज्य में कोरोना का प्रकोप चरम पर है। वहीं राजधानी में भी वायरस कहर बरपा रहा है। गुरुवार तक शहर में 24 हजार से अधिक मरीज संक्रमण की जद में आ चुके हैं। वहीं 303 मरीजों की महामारी ने जिंंदगी भी छीन ली है। उधर, शहर के केजीएमयू-लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, पीजीआइ व निजी कोविड अस्पतालों में कोरोना के गंभीर मरीजों का भर्ती होना जारी है। कोविड के इन गंभीर मरीजों में 'रेमडेसिविर’ दवा की डोज भी दी जाने लगी है। फार्मा कंपनियों ने जुलाई के तीसरे हफ्ते से राज्य में रेमडेसिविर की आपूर्ति शुरू की। मगर, अभी भी पर्याप्त मात्रा में दवा उपलब्धता चुनौती बनी हुई है। उधर, दवा की कालाबाजारी का भी खतरा मंडरा रहा है। लिहाजा, ड्रग कंट्रोलर यूपी एके जैन ने रेमडेसिविर की आपूर्ति बरकरार रखने के निर्देश दिए हैं। वहीं फार्मा कंपनियों के लिए रेमडेसिविर व मरीज का पूरा हिसाब रखना भी अनिवार्य कर दिया है। कंपनियां अस्पताल में भर्ती मरीज का ब्योरा लेकर ही दवा देंगी।
तीन कंपनियाें ने भेजी दवा
यूके जैन के मुताबिक रेमडेसिविर का निर्माण कंपनियां बढ़ा रही हैं। यूपी में तीन फार्मा कंपनियों ने दवा की आपूर्ति की है। इसमें दो कंपनियों का उत्पाद ज्यादा आया है। कंपनी दवा देने से पहले मरीज का नाम, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, कोविड सेंटर का नाम, दवा देने वाले डॉक्टर का परामर्श फॉर्म लेंगी। इसके साथ ही मरीज या परिवारजनों से दवा की डोज देने का सहमति लेना होगा।
पांच दिन में लगती हैं छह डोज
रेमडेसिविर की पांच दिन में छह डोज दी जाती है। पहले दिन मरीज को दो इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इसके बाद एक-एक इंजेक्शन चार दिन लगता है। यह इंजेक्शन कोरोना के मॉडरेट व सीवियर मरीजों में दिए जाते हैं। इन मरीजों में वायरस का प्रकोप अधिक होता है। उनमें सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है। कोरोना के 80 फीसद केस माइल्ड होते हैं। 14 फीसद मॉडरेट व छह फीसद सीवियर मरीज होते हैं।
चार से पांच हजार तक है कीमत
रेमडेसिविर की एक वायल की कीमत चार हजार से लेकर 5400 रुपये तक है। वहीं लांचिंंग के बाद इसकी ब्लैक मार्केटिंंग का भी मसला उठा। इसकी कीमत 20 से 30 हजार रुपये वसूलने की भी चर्चा छायी। इसके बाद ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने सभी राज्यों को जीवन रक्षक दवा की तय कीमत पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के आदेश दिए।