विवाहित शिक्षिकाओं को अंतर जिला तबादलों में राहत, वेबसाइट में होगा संशोधन
योगी सरकार परिषदीय स्कूलों की विवाहित महिला शिक्षकों को अंतर जिला तबादलों में न्यूनतम पांच साल की सेवा की शर्त से छूट देने जा रही है।
लखनऊ (जेएनएन)। परिषदीय स्कूलों के अंतर जिला तबादले की काउंसिलिंग और ऑनलाइन आवेदन पत्रों के सत्यापन को रोक दिया गया है। बेसिक शिक्षा परिषद सचिव ने बीएसए को निर्देश जारी किया है। अब जल्द ही शासनादेश और वेबसाइट में संशोधन होगा। दरअसल, परिषदीय स्कूलों की विवाहित महिला शिक्षकों को अंतर जिला तबादलों में न्यूनतम पांच साल की सेवा शर्त से छूट के लिए विभाग ने मुख्यमंत्री की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा है। बेसिक शिक्षा विभाग ने अंतर जिला तबादले की नीति 13 जून, 2017 को जारी की थी। तबादला नीति में शर्त थी कि पांच साल की सेवा पूरी कर चुके शिक्षक ही अंतर जिला तबादले के लिए आवेदन कर सकेंगे। कार्मिक विभाग की स्थानांतरण नीति में पति-पत्नी दोनों सरकारी नौकरी में हैं तो दोनों को एक जिले में या पड़ोसी जिलों में तैनात करने का प्रावधान है।
अंतरजिला तबादला काउंसिलिंग पर रोक
परिषदीय स्कूलों के अंतर जिला तबादले की काउंसिलिंग व ऑनलाइन आवेदन पत्र सत्यापन पर रोक के लिए सभी बीएसए को निर्देशित किया गया है। बेसिक शिक्षा परिषद सचिव ने निर्देश में कहा कि प्रक्रिया को अगले आदेश तक स्थगित रखें। ऐसे संकेत हैं कि जल्द ही नए आवेदन लेने के बाद एक साथ प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के शिक्षक-शिक्षिकाओं के अंतर जिला तबादले की प्रक्रिया बीते 16 जनवरी से चल रही है। 29 जनवरी तक शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन लिए जा चुके हैं। तबादले की समय सारिणी के अनुसार ऑनलाइन आवेदन करने वाले शिक्षकों को एक फरवरी तक आवेदन की हार्ड कॉपी बीएसए कार्यालय में जमा करनी थी। उसकी तीन फरवरी को काउंसिलिंग और बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पांच फरवरी तक आवेदनों का सत्यापन करना था। इस दौरान करीब 12 हजार से अधिक शिक्षकों ने अपने जिले में जाने के लिए आवेदन किया है।
शासनादेश और वेबसाइट में संशोधन होगा
परिषद सचिव ने अंतर जिला तबादले की काउंसिलिंग प्रक्रिया को अपरिहार्य कारणों से रोक दिया है। अब काउंसिलिंग व आवेदन पत्रों का सत्यापन अगले निर्देशों के बाद ही होगा।असल में हाईकोर्ट ने पांच साल व उससे कम सेवा वाली अध्यापिकाओं को पति के निवास स्थान या फिर ससुराल वाले जिले में जाने के लिए आवेदन लेने का निर्देश दिया है। यह प्रकरण परिषद ने शासन को भेजा है। शासन जल्द ही संशोधित शासनादेश और वेबसाइट में संशोधन कराएगा। उसके बाद शिक्षिकाओं से आवेदन लिए जाने हैं। तैयारी है कि सभी आवेदन आने के बाद ही प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि सभी तबादले जिलों में रिक्त पदों के 25 फीसदी ही होंगे। यानी केवल 12 हजार शिक्षक ही इधर से उधर होंगे।
स्थानांतरण नीति में विरोधाभास
परिषदीय स्कूल की महिला शिक्षक विभा कुशवाहा की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी जिसमें कहा गया था कि पांच साल की सेवा शर्त के कारण अंतर जिला तबादला नीति शासन की स्थानांतरण नीति में विरोधाभास है।इस पर हाईकोर्ट ने कहा था कि अंतर जिला तबादला नीति शासन की स्थानांतरण नीति के खिलाफ है लिहाजा शासन याची शिक्षक के प्रत्यावेदन पर विचार करे। इस आदेश के आधार पर हाईकोर्ट में लगभग डेढ़ सौ महिला शिक्षकों ने याचिकाएं दाखिल कीं। शासन ने इन सभी प्रत्यावेदनों को बेसिक शिक्षा निदेशक को भेजा था। इस आदेश के साथ कि वह केस-टू-केस आधार पर इन प्रत्यावेदनों का परीक्षण करें और उन्हें उचित पाए जाने पर सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को निर्देश दें कि वह ऐसी महिला शिक्षकों को समयसीमा से छूट देते हुए उनके आवेदन पत्र स्वीकार करें।
छह फरवरी को अगली सुनवाई
चूंकि शासन ने यह आदेश सिर्फ उन्हीं शिक्षकों के संदर्भ में किया था, जिन्होंने अदालत में याचिकाएं दाखिल की थीं, लिहाजा इस शासनादेश के जारी होने के बाद हाईकोर्ट में इसी आधार पर महिला शिक्षकों की ओर से दायर याचिकाओं की भरमार हो गई है। उधर शासनादेश जारी करने के बाद जब शासन ने हाईकोर्ट में जवाब दाखिल किया तो अदालत ने भी निर्देश दिया था कि शासन शिक्षकों के अंतर जिला तबादलों के लिए उपयुक्त नीति बनाए। इस मामले में अगली सुनवाई छह फरवरी को होनी है। लिहाजा बेसिक शिक्षा परिषद ने शासन को प्रस्ताव भेजा है कि विवाहित महिला शिक्षक यदि पति के निवास स्थान या फिर ससुराल वाले जिले में तबादले के लिए आवेदन करती हैं तो उन्हें समयसीमा से छूट दे दी जाए।