रद होगा मनीषा मंदिर का पंजीयन! महिला एवं बाल कल्याण मंत्री ने तलब की रिपोर्ट
गोमतीनगर के मनीषा मंदिर में छोटी बालिकाओं को रखने की अनुमति ही नहीं थी। महिला एवं बाल कल्याण मंत्री डॉ.रीता बहुगुणा जोशी ने न्यायालय बाल कल्याण समिति से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। गोमतीनगर के मनीषा मंदिर में छोटी बालिकाओं को रखने की अनुमति ही नहीं थी। महिला एवं बाल कल्याण मंत्री डॉ.रीता बहुगुणा जोशी ने न्यायालय बाल कल्याण समिति से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। रिपोर्ट के परीक्षण के बाद संस्था का पंजीयन रद किया जाएगा। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष कुलदीप रंजन ने बताया कि जांच रिपोर्ट के बाद मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
समिति तीन दशक से अधिक समय से नियमों को दरकिनार कर चल रहे मनीषा मंदिर बाल संरक्षण गृह का संचालन होता रहा और अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। 10 साल से कम उम्र की आठ बालिकाएं यहां नियमों के विरुद्ध रखीं गई तो छह बालिकाओं को न्यायालय बाल कल्याण समिति के आदेश के बगैर कैसे रखा गया? ऐसे सवालों के जवाब मनीषा मंदिर की संस्थापिका डॉ.सरोजिनी अग्रवाल को अब पुलिस की जांच में देना होगा।
परीक्षण के साथ इलाज शुरू
प्राग नारायण रोड स्थित राजकीय बालगृह (शिशु) में और मोतीनगर के राजकीय बालगृह (बालिका) में रेस्क्यू कर लाई गईं बालिकाओं का मेडिकल परीक्षण के साथ ही इलाज शुरू हो गया है। समिति की सदस्य डॉ.संगीता शर्मा ने बताया कि शरीर में दाने निकले थे और कई को बुखार भी था। बालगृह के चिकित्सक डॉ.सुदर्शन के साथ ही मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा नियुक्त चिकित्सकों की ओर से 22 सितंबर को ही सभी 14 बालिकाओं की चिकित्सीय जांच की गई।
...लेकिन मनीषा मंदिर की नहीं हुई थी जांच
देवरिया कांड के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर राजधानी में भी शरणालयों की जांच करायी गई थी जिसमें मनीषा मंदिर कई खामियां सामने आयीं थी। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियो ने कार्रवाई नहीं करके महज सुधारने का अल्टीमेटम दिया। जाहिर है कि अगर एक्शन लिया होता तो पहले ही बच्चियों को प्रताडि़त होने से बचाया जा सकता था। गत छह अगस्त को जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देश पर प्रशासनिक टीमों ने राजधानी के 23 बालक-बालिका गृहों की जांच की थी। इसके बाद सात सितंबर को मनीषा मंदिर में टीम ने जाकर बच्चों को मिल रही सुविधाओं का जायजा लिया था।
इस दौरान जांच टीम वहां बच्चियों को मिल रही सुविधाओं से खुश नहीं थी। इस पर जांच टीम कार्रवाई करने के बजाये संचालिका को हालात बेहतर करने के निर्देश देकर लौट गई। मनीषा मंदिर में बच्चियों पर अत्याचार की कहानी सामने आने के बाद अब दूसरे बालगृहों और शरणालयों में हुई जांच पर भी सवाल उठने लगे हैं। वहीं पूरेे पूरे मामले में घिरता देखकर संचालिका सरोजिनी अग्रवाल ने मंगलवार को डीएम के सामने अपना पक्ष रखने का प्रयास किया। डीएम का कहना है कि चूंकि न्यायालय बाल कल्याण समिति इस मामले को देख रहा है इसलिए उनके आदेश का इंतजार है। अगर वहां से कोई आदेश मिलेगा तो तत्काल कार्रवाई होगी।
क्या है मामला
- 20 सितंबर को न्यायालय बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने गोमतीनगर स्थित मनीषा मंदिर का निरीक्षण किया।
- 22 सितंबर को न्यायालय बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने निरीक्षण किया और वहां रहने वाली सभी 14 बालिकाओं को रेस्क्यू किया और उन्हें राजकीय बालगृह शिशु और राजकीय बालगृह बालिका में शिफ्ट किया।
- 23 सितंबर को न्यायालय कल्याण समिति की ओर से मनीषा मंदिर की संस्थापिका डॉ.सरोजिनी अग्रवाल के विरुद्ध गोमती नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई।
- 24 सितंबर को श्रम विभाग और महिला एवं बाल कल्याण विभाग की ओर से रिपोर्ट मांगी गई।
- 25 सितंबर को पुलिस ने बालिकाओं और न्यायालय बाल कल्याण समिति के सदस्यों के साथ ही संस्थापिका डॉ.सरोजिनी अग्रवाल से पूछताछ की।