आयुर्वेदिक औषधियों की खेती का हब बनेगा प्रदेश
सरोकार-जन संख्या नियोजन -राजधानी समेत प्रदेश के 52 जिलों में होगी खेती -राष्ट्रीय आयुष मि
सरोकार-जन संख्या नियोजन
-राजधानी समेत प्रदेश के 52 जिलों में होगी खेती
-राष्ट्रीय आयुष मिशन की पहल पर किसानों को होगा फायदा
जितेंद्र उपाध्याय, लखनऊ: गेहूं, धान, उरद, मूंग व अरहर के साथ ही खेतों में अब औषधीय फसलें भी लहलहाएंगी। राष्ट्रीय आयुष मिशन की पहल पर प्रदेश को आयुर्वेदिक औषधियों की खेती का हब बनाने की जिम्मेदारी उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग को दी गई है। पहले चरण में राजधानी समेत प्रदेश के 52 जिलों में तीन हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में खेती की जाएगी। मिशन की ओर से 12.73 करोड़ का बजट भी दिया गया है।
इनकी खेती करेंगे किसान
उद्यान विशेषज्ञ बालीशरण चौधरी ने बताया कि सर्पगंधा, अश्वगंधा, ब्राह्माी, कालमेघ, कौंच, शतावरी, तुलसी, एलोवेरा, वच व आर्टीमीशिया सहित कई आयुर्वेदिक औषधियों की खेती के लिए किसानों को न केवल जागरूक किया जाएगा बल्कि उन्हें खेती के लिए अनुदान भी दिया जाएगा। क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में किसानों को शामिल कर खेती के प्रति जागरूक किया जाएगा।
कम लागत,अधिक मुनाफा
औषधीय खेती करने से किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा होगा। खेती करने में आने वाले खर्च का 30 से 50 फीसद हिस्सा अनुदान के रूप किसानों को मिलेगा। 18 से 20 महीने की खेती में किसान प्रति हेक्टेयर 25 हजार से लेकर डेढ़ लाख तक की अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं।
खेती के लिए ऐसे करें आवेदन
योजना का लाभ लेने के लिए किसान जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय या जिला विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं। आवेदन से पहले किसानों को यूपी एग्रीकल्चर.कॉम पर अपना पंजीयन कराना होगा।
कोड
प्रधानमंत्री के किसानों की आय को दो गुनी करने की मंशा के सापेक्ष राष्ट्रीय आयुष मिशन की पहल किसानों की आर्थिक स्थित मजबूत करने में कारगर साबित होगी। पहले चरण में प्रदेश के 52 जिलों में औषधीय खेती के विस्तार की पहल शुरू होगी। करीब तीन हजार हेक्टेयर में खेती कराने का लक्ष्य रखा गया है।
-राघवेंद्र प्रताप सिंह, निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण